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    Banke Bihari Mandir: ठाकुरजी के मंदिर में भारी भीड़ से बिगड़े हालात, चीख उठे बच्चे व महिलाएं, दो घंटे में हुए दर्शन

    Updated: Mon, 11 Mar 2024 07:23 AM (IST)

    Banke Bihari Mandir Vrindavan News होली निकट आने के साथ वृंदावन में श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है। शनिवार को अचानक भीड़ बढ़ने से हालात बेकाबू हुए रविवार सुबह से स्थिति और खराब हो गई।प्रवेश द्वार से ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर पहुंचने में भक्तों को लगा दो घंटे का समय। मंदिर के अंदर व बाहर गली में पैर रखने की भी नहीं बची जगह।

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    Banke Bihari Mandir: भीड़ के दबाव में बिगड़े हालात, चीख उठे बच्चे व महिलाएं

    संवाद सहयोगी, वृंदावन। ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में रविवार को अमावस्या के कारण भक्तों की भीड़ उमड़ी। मंदिर के प्रवेश द्वार से अंदर पहुंचने में ही करीब दो घंटे लग गए। हाल ये हुआ की भीड़ में फंसकर बच्चे, बुजुर्ग और महिलाओं की चीख निकल गई। कुछ की तो हालत खराब होने लगी, किसी तरह उन्हें बाहर निकाला गया। भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिसकर्मियों का पसीना छूट गया।

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    हर ओर भक्तों की भीड़ बढ़ती रही। उन्हें बैरिकेडिंग पर रोका गया तो बाजार और गलियों में दबाव बढ़ने लगा। हालात ये रही कि बुजुर्ग और बच्चे भीड़ में फंसे, तो उन्हें दम घुटने लगे। कई की हालत खराब होने लगी।

    महिलाओं की बिगड़ी हालत

    कानपुर के किदवई नगर निवासी बुजुर्ग सीताराम दीक्षित और हरदोई के बेनीगंज कस्बा निवासी पुष्पेंद्र सिंह की हालत बिगड़ गई। साथ आए स्वजन ने उन्हें किस तरह बाहर निकाला और एक दुकान के बाहर फड़ पर बैठा दिया। यहां कुछ देर आराम करने के बाद बुजुर्गों को राहत मिल सकी। इधर, बैरिकेडिंग पर 15 से 20 मिनट तक श्रद्धालु रोके गए, तो भीड़ का दबाव और बढ़ गया।

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    मंदिर के पास गलियों में जगह नहीं बची

    बैरिकेडिंग खुलते ही श्रद्धालुओं की भीड़ एकदम से मंदिर की ओर दौड़ी तो हालात बार-बार खराब होते रहे। सुबह पौने नौ बजे मंदिर के पट खुले, लेकिन इससे पहले ही हजारों श्रद्धालु मंदिर के आसपास की गलियों में पहुंच गई। दस बजे तक तो गली में पैर रखने की भी जगह नहीं बची। दोपहर में एक बजे मंदिर के पट बंद हुए, तब तक बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन से वंचित रह गए। शाम को साढ़े चार बजे फिर मंदिर के पट खुले तो हालात वैसे ही रहे। लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

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    मंदिर में भीड़ का रेला

    गर्भगृह के अंदर दर्शन के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही थी। यही कारण था कि मंदिर प्रांगण से बाहर निकलने को श्रद्धालु तैयार न थे और मंदिर के बाहर भीड़ का रेला मंदिर के अंदर प्रवेश के लिए आपाधापी पर उतर आया था।