फलों की केक और तरबूज संग मनाई आजादी की 5वीं सालगिरह, कोरोना काल में मुक्त कराई थी भीख मांगने वाली हथिनी 'जारा'
सड़कों पर भीख मांगने वाली हथिनी जारा ने हाथी संरक्षण केंद्र में स्वतंत्रता के पांच साल पूरे किए। केंद्र में उसकी वर्षगांठ मनाई गई और उसे फलों का केक ख ...और पढ़ें
जागरण टीम, मथुरा। कई वर्ष सड़कों पर भीख मांगने वाली हथिनी जारा ने हाथी संरक्षण केंद्र में अपनी आजादी के पांच वर्ष पूर्ण कर लिए। हाथी संरक्षण केंद्र में सोमवार को उसकी पांचवीं वर्षगांठ मनाई गई। उसे फलों से तैयार केक खिलाया गया। यहां इलाज के बाद अब वह पूरी तरह स्वस्थ है।
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह संस्थापक व सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने बताया, जारा हथिनी को कैद में रहकर यातना भरा जीवन जीने को मजबूर किया गया था। सड़कों पर भिक्षा मांगने एवं तपती डामर पर चलने के लिए मजबूर किया जाता था। एक छोटे सी जगह में उसे बांधा जाता था। आजादी पर रोक लगा रखी थी। इसके कारण जारा गंभीर बीमारी आस्टियो अर्थर्थराइट्स से परेशान थी।
कोरोना काल के समय मुक्त कराकर हाथी संरक्षण केंद्र लाया गया
कोरोना काल में वाइल्ड लाइफ एसओएस की टीम ने उसे मुक्त कराते हुए हाथी संरक्षण केंद्र फरह भेजा। पशु चिकित्सकों ने जांच की तो पता चला उसकी दाहिनी कोहनी का जोड़ क्षतिग्रस्त है। जारा अस्पताल में असहज महसूस कर रही थी। यहां उसे बुज़ुर्ग नेत्रहीन हथिनी आर्या के रूप में एक साथी मिला। दोनों एक साथ गतिविधि में शामिल होती थीं। उसे खाने में हाइड्रेटिंग फल, चुकंदर, पपीता, तरबूज और सन मेलन दिए जाते हैं।
जारा को तरबूज बहुत पसंद है। जारा को इस माह पांच वर्ष पूरे हो गए। इस पर उसकी वर्षगांठ मनाई गई। उसे दलिया, चावल और फलों से बना एक विशेष केक खिलाया।
सचिव गीता शेषमणि ने बताया जारा पहली बार केंद्र में आई थी, तब वह डरी व सहमी थी। धीरे-धीरे वह शांत और सक्रिय होती गई। कई वर्ष तक मनुष्यों द्वारा शोषण किए जाने के बाद भी वह समझदार थी।

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