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    Shri Krishna Janmabhoomi Case: 1832 में शुरू हुआ था ईदगाह व जन्मस्थान का विवाद, पढ़ें अब तक दाखिल-खारिज वाद

    By vineet Kumar MishraEdited By: Abhishek Saxena
    Updated: Sun, 25 Dec 2022 10:57 AM (IST)

    Shri Krishna Janmabhoomi Case पहले भी नौ बार दायर हो चुके हैं वाद हर बार हुई हिंदू पक्ष की जीत। वाद में कहा गया कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन पर मंदिर तोड़कर शाही मस्जिद ईदगाह बनाई गई। समझौता रद करने की मांग की।

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    Shri Krishna Janmabhoomi Case: पहले भी नौ बार दायर हो चुके हैं वाद, हर बार हुई हिंदू पक्ष की जीत।

    मथुरा, जागरण टीम। श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही मस्जिद ईदगाह का विवाद नया नहीं है। 1832 में पहली बार स्वामित्व को लेकर विवाद चला था। इसके बाद 1969 तक मुकदमे चलते रहे। मुकदमेबाजी इसके बाद खत्म हो गई। लेकिन वर्ष 2020 में फिर न्यायालय में पहला मुकदमा लखनऊ निवासी अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने दायर किया था। पूर्व में चले नौ मुकदमों में हर बार श्रीकृष्ण जन्मभूमि प्रबंधन ही जीता।

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    1832 में दायर हुआ था पहला वाद

    1. पहला मुकदमा 15 मार्च 1832 को अताउल्ला खातिब नामक व्यक्ति ने कलेक्टर की कोर्ट में दायर वाद में कहा था कि 1815 में पटनीमल के नाम कटरा केशवदेव की जमीन नीलाम की गई है, उसे निरस्त किया जाए और मस्जिद की मरम्मत करने दी जाए। तब कलेक्टर ने नीलामी को जायज ठहराया था।
    2. दूसरा मुकदमा 1897 में अहमदशाह नामक व्यक्ति ने कटरा केशवदेव चौकीदार गोपीनाथ के खिलाफ मथुरा थाने में मस्जिद की जमीन पर सड़क बनाने और रोकने पर मारपीट करने की रिपोर्ट दर्ज कराई। 12 फरवरी 1897 को मुकदमे को मूर्खतापूर्ण मानते हुए निरस्त कर दिया गया और ये माना की ईदगाह भी पटनीमल की संपत्ति है।
    3. तीसरा मुकदमा 1920 में मुस्लिम पक्ष की ओर से काजी मोहम्मद अमीर ने कटरा केशवदेव के पश्चिम में स्थित गंगा जी के मंदिर पर हक जताया। विवाद निरस्त हुआ।
    4. चौथा मुकदमा 1928 में पटनीमल के वारिस राय कृष्ण दास ने मोहम्मद अब्दुल्ला खां पर मुकदमा किया था। इसमें कहा गया था कि मस्जिद के आसपास पड़े सामान का विपक्षी इस्तेमाल कर रहे हैं। न्यायालय ने कहा कि राय कृष्ण दास ही भूमि के स्वामी हैं। मुस्लिम वहां से कोई वस्तु प्राप्त नहीं करेंगे।
    5. पांचवां मुकदमा 1946 में मस्जिद पक्ष की ओर से बारीताला ने पंडित गोविंद मालवीय और मदन मोहन मालवीय आदि पर मुकदमा किया। इसमें मालवीय आदि को दी गई जमीन को अवैध बताया गया। लेकिन फैसला मालवीय आदि के पक्ष में आया।
    6. छठा मुकदमा 27 सितंबर 1955 को श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने पंडित गोविंद मालवीय आदि का नाम कागजों में दर्ज कराने को म्युनिसिपल बोर्ड को प्रार्थना पत्र दिया था। प्रतिवादी ने अपील की, लेकिन निरस्त हुई। विपक्षी ने एडीजे की कोर्ट में वाद दायर किया, लेकिन फैसला ट्रस्ट के पक्ष में आया।
    7. सातवां मुकदमा 1960 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ने शौकत अली आदि के खिलाफ मुकदमा दायर किया। इसमें सेवा संघ की ओर से अपनी जमीन से न हटने का आरोप लगाया गया। न्यायालय ने कहा कि जो लोग वहां से न हटें,उनकी चल अचल संपत्ति न्यायालय को सौंपी जाए।
    8. आठवां मुकदमा 1961 में शौकत अली व अन्य 16 लोगों ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ पर मुकदमा एडिशनल सिविल जज के न्यायालय में किया था। इसमें मुंसिफ कोर्ट के मुकदमे को रोकने की मांग की गई। न्यायालय ने कहा कि राय कृष्ण दास को जो अधिकार प्राप्त थे, वह अब श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के पास होंगे।
    9. नौवां मुकदमा 1965 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ने विपक्षी बुद्धू व खुट्टन के खिलाफ ज्यूडिशियल मुंसिफ के यहां मुकदमा दायर किया। 26 फरवरी 1969 में इनका फैसला हुआ। इस आखिरी मुकदमे में जन्मस्थान की जमीन पर किराएदार बुद्धू आदि पर जलकर नहीं देने का आरोप था। फैसला श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ के पक्ष में आया।

    अब तक दायर हो चुके हैं ये वाद

    • रंजना अग्निहोत्री-26 सितंबर 2020-सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायालय में लंबित (फिलहाल हाई कोर्ट से निचली अदालत से सुनवाई पर रोक) सुनवाई हाईकोर्ट में
    • मनीष यादव-15 दिसंबर 2020-सिविल जज सीनियर डिवीजन, पोषणीयता पर चल रही सुनवाई-4 जनवरी
    • महेंद्र प्रताप सिंह-23 दिसंबर 2020-सिविल जज सीनियर डिवीजन ने पोषणीयता पर सुनवाई का निर्णय दिया, वादी ने जिला जज के न्यायालय में अपील दायर की। पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की मांग की है 12 जनवरी
    • पवन कुमार शास्त्री-2 फरवरी 2021-सिविल जज सीनियर डिवीजन ने अभी प्रतिवादियों को केवल नोटिस जारी हुए हैं, सुनवाई प्रारंभिक चरण में, सभी प्रतिवादी न्यायालय में उपस्थित नहीं-5 जनवरी
    • दिनेश चंद्र शर्मा, कोषाध्यक्ष अखिल भारत हिंदू महासभा-2 मार्च 2021-सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायालय में पोषणीयता पर सुनवाई चल रही, शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी ने आपत्ति जताई है, इस पर वादी को जवाब दाखिल करना है-5 जनवरी
    • अनिल कुमार त्रिपाठी, उपाध्यक्ष अखिल भारत हिंदूमहासभा-31 मार्च 2021-सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायालय से प्रतिवादियों को नोटिस जारी हुए, सभी प्रतिवादी न्यायालय में उपस्थित नहीं हुए-5 जनवरी
    • जितेंद्र सिंह विसेन-7 सितंबर 2021-सिविल जज सीनियर डिवीजन द्वितीय के न्यायालय में सुनवाई अभी प्रारंभिक चरण में, अभी प्रतिवादी उपस्थित नहीं हुए। इसमें एक वादी शिशिर चतुर्वेदी ने जिला जज के न्यायालय में प्रार्थना पत्र दायर कर इस वाद को सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायालय में स्थानांतरित करने की मांग की है-16 जनवरी
    • गोपाल गिरि महाराज-24-सितंबर 2021-सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायालय में सुनवाई, प्रतिवादियों को नोटिस जारी, अभी प्रतिवादी उपस्थित नहीं हुए-16 जनवरी
    • दुष्यंत सारस्वत-6 जुलाई 2021-सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायालय में सुनवाई, अभी प्रतिवादी उपस्थित नहीं हुए-30 जनवरी
    • विष्णु गुप्ता, राष्ट्रीय अध्यक्ष हिंदूसेना- 8 दिसंबर 2022- न्यायालय के अमीन से निरीक्षण आख्या तलब-20 जनवरी

    ये वाद हुए खारिज

    लखनऊ निवासी अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर से शाही मस्जिद ईदगाह हटाने की मांग की थी। उन्होंने एक वाद सिविल जज सीनियर के न्यायालय में दायर किया था। इसके बाद उन्होंने जिला जज के न्यायालय में समस्त सनातन समाज की ओर से वाद दायर करने की अनुमति मांगी थी। प्रभावी पैरवी के अभाव में दोनों वाद खारिज कर दिए गए। इससे पूर्व में एक वाद सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायालय से पंकज सिंह का भी खारिज हो गया। यहां भी प्रभावी पैरवी नहीं की गई थी।

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    शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी का ये है कहना

    अमीन के निरीक्षण का न्यायालय का आदेश असंवैधानिक है। हमें इस संबंध में पहले नोटिस जारी करनी थी। हमारा सुनने के बाद न्यायालय को निर्णय करना था। जिला जज के न्यायालय में भी वाद चले, यहां भी पहले प्रतिवादी को नोटिस जारी कर उनकी बात सुनी जा रही है। हम इस आदेश को निरस्त कराने की मांग न्यायालय से करेंगे। तनवीर अहमद, सचिव शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी।

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    न्यायालय ने अमीन से निरीक्षण आख्या तलब की है। इससे सारी बात स्पष्ट हो जाएगी। न्यायालय में रिपोर्ट जाने के बाद हमारा पक्ष बहुत मजबूत होगा। पहली बार श्रीकृष्ण जन्मस्थान से जुड़े वाद में अमीन से निरीक्षण कराने का आदेश हुआ है। शैलेंद्र दुबे, अधिवक्ता वादी पक्ष