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    Krishna Leela: यमुना किनारे गोपियों संग श्रीकृष्ण ने अलग-अलग रूपों में किया था महारास, इस दिन होंगे अद्भुत दर्शन

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 02:08 PM (IST)

    शरद पूर्णिमा की रात लक्ष्मीजी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों संग महारास किया था। वृंदावन में यमुना किनारे श्रीकृष्ण ने महारास रचाया जिससे इस पूर्णिमा का महत्व बढ़ गया। शास्त्रों के अनुसार इस दिन माता लक्ष्मी का जन्म भी हुआ था। शरद पूर्णिमा पर ठाकुर बांकेबिहारी मुरली बजाते हुए दर्शन देंगे।

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    शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा बिखेरते हैं सोलह कलाओं से परिपूर्ण चांदनी।

    जागरण संवाददाता, वृंदावन। शरद पूर्णिमा की रात सोलह कलाओं से परिपूूर्ण चंद्रमा की धवल चांदनी में जब लक्ष्मीजी अपने वाहन पर सवार होकर अपने हाथों में वर और अभय लिए पृथ्वी पर भ्रमण करने निकली थीं।

    लेकिन, चूंकि भगवान श्रीकृष्ण ने इसी शरद पूर्णिमा की रात वंशीवट पर गोपियों संग महारास किया तो इस तिथि का महत्व और भी बढ़ गया। इसीलिए शरद पूर्णिमा को महारास की पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।

    वृंदावन शोध संस्थान के शोध अधिकारी डा. राजेश शर्मा कहते हैं कि नारद पुराण के अनुसार शरद पूर्णिमा की श्वेत धवल चांदनी में विष्णुप्रिया माता लक्ष्मीजी अपने वाहन पर सवार होकर पृथ्वी लोक पर भ्रमण के लिए निकली थीं।

    परंतु धार्मिक मान्यता है कि अश्विन मास की पूर्णिमा पर भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराधा की अद्भुत दिव्य महारास लीला भी इसी रात को हुई थी। पूर्णिमा की श्वेत उज्जवल चांदनी में यमुना किनारे भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी गोपिकाओं संग स्वयं के ही अलग-अलग रूपों में महारास रचाया था।

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    इसलिए इस महीने की पूर्णिमा का महत्व भी बढ़ गया। शास्त्रों के अनुसार माता लक्ष्मी का जन्म भी शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। इसलिए देश के कई हिस्सों में शरद पूर्णिमा को लक्ष्मीजी का पूजन किया जाता है, कुंआरी कन्याएं इस दिन सबह सूर्य और चंद्रदेव की पूजा करके मनचाहा वर की प्राप्ति की कामना करती हैं।

    शरद पूर्णिमा पर मुरली बजाते दर्शन देंगे ठाकुर बांकेबिहारी

    शरद पूर्णिमा पर भगवान श्रीकृष्ण ने वंशीवट पर ब्रजगोपियों संग महारास किया था। महारास में भगवान की मुरली की धुन से न केवल भूलोक, बल्कि देवलोक में बैठे देवता भी महारास दर्शन करने को उतावले हो गए थे।

    महारास में जिस तरह भगवान श्रीकृष्ण ने पोशाक धारण कर मुरली बजाई, ठीक ऐसा ही भेष रखकर ठाकुर बांकेबिहारी शरद पूर्णिमा पर छह अक्टूबर को भक्तों को दर्शन देंगे। शरद पूर्णिमा पर ठाकुरजी श्वेत धवल पोशाक, स्वर्ण-रजत शृंगार कर मुरली बजाते हुए भक्तों को दर्शन देते हैं।।