वृंदावन में सिर्फ बांकेबिहारी नहीं, सप्तदेवालयों के भी कर सकेंगे दर्शन; 18 करोड़ की लागत से होगा तैयार
UP Mathura News | Vrindavan News | उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद वृंदावन में सप्त देवालय सर्किट विकसित करेगा। 18 करोड़ की लागत से बनने वाले इस सर्किट का उद्देश्य बांकेबिहारी मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को सप्तदेवालयों तक आसानी से पहुंचाना है। तीन किलोमीटर के मार्ग पर शौचालय पेयजल और विश्राम स्थल जैसी सुविधाएं होंगी जिससे मंदिरों पर भीड़ कम होगी।

जागरण संवाददाता, मथुरा। ठाकुर बांकेबिहारी के दर्शन को देश दुनिया से आ रहे श्रद्धालुओं को सप्तदेवालयों तक पहुंचाने की उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने योजना बनाई है। परिषद अब 18 करोड़ रुपये की लागत से सप्तदेवालय सर्किंट तैयार करेगा। ताकि बांकेबिहारी मंदिर में दर्शन काे आने वाले श्रद्धालु सप्तदेवालयों में सुविधा के साथ पहुंच सकें।
मंदिरों की नगरी वृंदावन में करीब चार हजार मंदिर हैं। लेकिन, देश-दुनिया के नब्बे फीसदी श्रद्धालु ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर तक की सीमित रहते हैं। प्राचीन सप्तदेवालयों का पौराणिक इतिहास वृंदावन की धार्मिक धरोहर के रूप में स्थापित हैं। इनमें से कुछ मंदिर पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित हैं।
राधादामोदर मंदिर तक ही पहुंच पाते हैं श्रद्धालु
सप्तदेवालयों के मंदिरों तक श्रद्धालुओं की पहुंच कम रहती है। राधारमण मंदिर, राधादामोदर मंदिर तक ही श्रद्धालु पहुंच पाते हैं। पांच देवालयों में श्रद्धालुओं की संख्या कम पहुंच पाती है। ऐसे में उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने सप्तदेवालय सर्किट योजना तैयार की है। ताकि श्रद्धालुओं की पहुंच सप्तदेवालयों तक बन सके।
उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने 18 करोड़ की लागत से तैयार होने वाले सप्तदेवालय सर्किट में तीन किमी का मार्ग तैयार होगा। जिसमें सुगम यातायात व्यवस्था भी संभव होगी। इन मार्ग के सुंदरीकरण कार्य में पारंपरिक शैली के साइन बोर्ड, शौचालय, पेयजल सुविधा के साथ विश्राम स्थल विकसित किए जाएंगे।
परिषद के सीईओ श्याम बहादुर सिंह ने कहा वृंदावन सप्तदेवालय सर्किट के विकास की योजना तैयार की है। इसमें मंदिर से जुड़े मार्गों सहित अन्य सुविधाएं श्रद्धालुओं के लिए विकसित की जाएंगी। ताकि ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के साथ श्रद्धालु सप्तदेवालयों में दर्शन करने पहुंच सकें और एक ही मंदिर पर श्रद्धालुओं की भीड़ का दबाव बनने से बचाया जा सकेगा।
ये हैं प्राचीन सप्तदेवालय
मदनमोहन मंदिर, गोविंददेव मंदिर, गोपीनाथ मंदिर, राधारमण मंदिर, राधादमाोदर मंदिर, राधाश्यामसुंदर मंदिर, गोकुलानंद मंदिर।
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