Saint Premanand: 200 KG बालू, 8 घंटे की मेहनत... सैंड आर्टिस्ट ने रेत से बनाई संत प्रेमानंद की अद्भुत आकृति
Saint Premanand Sand Art वृंदावन में एक रेत कलाकार ने संत प्रेमानंद महाराज को श्रद्धांजलि देते हुए बालू से उनकी सुंदर आकृति बनाई। कलाकार रूपेश ने श्रीकृष्ण शरणम कॉलोनी में यह कलाकृति बनाकर संत प्रेमानंद को समर्पित की जिससे संत जी और उनके भक्तगण बहुत प्रसन्न हुए। इस कलाकृति को बनाने में 200 किलो बालू का उपयोग किया गया और आठ घंटे लगे।

संवाद सहयोगी, जागरण, वृंदावन। श्रीराधाजी की महिमा का बखान कर दुनियाभर में ख्याति प्राप्त करने वाले संत प्रेमानंद को अपनी ओर आकर्षित करने को भक्त तरह-तरह के प्रयत्न करते हैं। रात्रिकालीन पदयात्रा हो या फिर एकांतिक वार्ता का दौर। देश दुनिया से आने वाले श्रद्धालु उनके सामने अपनी उत्कृष्ट प्रतिभा का प्रदर्शन करके रिझाते नजर आते हैं।
ऐसे ही एक सेंड आर्टिस्ट ने अपनी प्रतिभा के जरिए उन्हें रिझाने के लिए उनके आवास श्रीकृष्ण शरणम कॉलोनी के बाहर बालू से उनकी आकृति बनाकर उसे रंगों से जीवंत कर दिया। ये देख न केवल भक्त बल्कि खुद संत प्रेमानंद भी अभिभूत हो गए और कलाकार का आभार जताया।
बलिया से आए रूपेश
छटीकरा मार्ग स्थित श्रीकृष्ण शरणम कॉलोनी के प्रवेशद्वार के बाहर बालू से संत प्रेमानंद की आकृति बनाते बलिया निवासी सेंड आर्टिस्ट रूपेश ने कहा वह एक वर्ष से संत प्रेमानंद की आकृति बनाने की कोशिश में जुटे थे। संत के प्रवचनों का उसके मन पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। उनके प्रवचन ने ही ये विचार उनके अंदर डाला। बताया आगरा दौरे पर आए अमेरिका के उप राष्ट्रपति के स्वामी के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, उप राष्ट्रपति जेडी वेंस की आकृति बनाने के लिए उन्हें बुलाया गया था।
वृंदावन के संत हैं प्रेमानंद महाराज।
आगरा आए तो वृंदावन जाने की इच्छा जागी
आगरा दौरे पर जब आए तो मन में इच्छा जागी कि वृंदावन पहुंचकर अपने मन की इच्छा पूरी करें और संत प्रेमानंद की आकृति बनाएं। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए शनिवार की रात संत प्रेमानंद के आवास के बाहर बालू से उनकी आकृति को मूर्तरूप दिया। इसे बनाने के लिए उनके पांच सहयोगियों ने आठ घंटे कड़ी मेहनत की। रूपेश सिंह अपनी टीम के साथ देश दुनिया की हस्ती और इमारतों की बालू से आकृति बना चुके हैं।
प्रवचन से प्रभावित हैं रूपेश
रूपेश ने बताया कि संत प्रेमानंद देश दुनिया को सनातन आस्था के प्रति जागरूकता का संदेश देते हैं। अच्छे कार्यों अच्छी बातों को समझाने का प्रयास करते हैं, गुरुजी को में अपने भाव से प्रणाम करने के लिए यहां आया हूं।
दो सौ किलो बालू का हुआ उपयोग
संत प्रेमानंद के आवास श्रीकृष्ण शरणम कालोनी के बाहर आकृति बना रहे रूपेश ने बताया, इस आकृति बनाने के लिए दो सौ किलो यमुना की बालू की जरूरत पड़ी है। काफी मेहनत लगती है। बारिश, आंधी, तूफान, तेज हवा चलने पर घंटों की मेहनत मिनटों में बर्बाद हो जाती है।
ईश्वर के उपहार में मिली से कला
बलिया निवासी सेंड आर्टिस्ट रूपेश सिंह ने बताया वे बीस साल से बालू से आकृति बना रहे हैं। इस कला को उन्होंने कहीं सीखा नहीं बल्कि ये ईश्वर का उनको मिला उपहार है। पहले बलिया में रहकर आकृति बनाते थे, अब बनारस में रहकर इस कला को बढ़ावा दे रहे हैं।
पांच सदस्य हैं टीम में
सेंड आर्ट से कलाकृति बनाने में उनकी पांच सदस्यीय टीम है। इसकी अगुवाई तो वे खुद करते हैं। इसके अलावा टीम में विवेक, मोहन, आदित्या व रोहन साथ देते हैं। आकृति को आकार वे खुद देते हैं, विवेक, मोहन, आदित्य व रोहन आकृति में रंग भरना, सफाई करने का काम करते हैं। संत प्रेमानंद की आकृति बनाने में आठ घंटे का समय लगा।
ये भी पढ़ेंः जब तक तोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं... ओकेंद्र राणा ने ली सपा सांसद सुमन के काफिले पर हमले की जिम्मेदारी
ये भी पढ़ेंः Bulldozer Action: रामपुर में नगर पालिका की बड़ी कार्रवाई, सुबह-सुबह 40 दुकानें बुलडोजर से कराईं ध्वस्त
संकल्प पूरा होने पर बनवाएंगे दाढ़ी व बाल
सेंड आर्टिस्ट रूपेश ने बताया उन्होंने दिग्गज हस्तियों की बालू से आकृति बनाई हैं। लेकिन, उनके मन में दुनिया की सबसे बड़ी बालू की आकृति बनाने की इच्छा है। इसी का संकल्प लिया है कि जब तक दुनिया की सबसे बड़ी बालू की आकृति नहीं बनाएंगे, तब तक अपनी दाढ़ी, बाल नहीं कटवाएंगे। ये रिकॉर्ड अब तक जर्मनी के कलाकार के नाम है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।