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    वृंदावन में उतरा 'लघु भारत', धीरेंद्र शास्त्री की सनातन यात्रा के समापन पर भगवामय हुई लीलाधरी की नगरी

    Updated: Sun, 16 Nov 2025 09:25 PM (IST)

    मथुरा में बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के नेतृत्व में सनातनी एकता पदयात्रा का समापन हुआ। इस यात्रा में लाखों श्रद्धालु शामिल हुए, जिससे वृंदावन भगवामय हो गया। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने सनातनी एकता का आह्वान किया, जिसकी गूंज पूरे देश में सुनाई दी। देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालुओं ने जाति-पात के बंधन तोड़ दिए।

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    जागरण संवाददाता, मथुरा। सनातनी एकता को जो हुंकार 29 वर्ष के युवा बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भरी। उस हुंकार की गूंज पूरे देश में सुनाई दी। लाखों श्रद्धालुओं को साथ लेकर यात्रा रविवार को अपने अंतिम पड़ाव वृंदावन पहुंची। क्या क्षेत्र, क्या जाति-पात। सारे मिथक इस यात्रा ने तोड़ दिए।

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    पांच एकड़ में फैला समापन समारोह का स्थल भी छोटा पड़ गया। बांकेबिहारी की नगरी में लघु भारत सड़कों पर उतरा तो पूरी वृंदावन भगवामय हो गया। नारों की गूंज भी दूर तक सुनाई दी।

    आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की अगुवाई में रविवार सुबह करीब नौ बजे सनातन एकता पदयात्रा राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित राधा माधव मंदिर से शुरू हुई। श्रद्धालुओं, संत व धर्माचार्यों के साथ पदयात्रा आगे बढ़ने लगी और जयकारों से वातावरण गूंजने लगा।

    पदयात्रा धीरे-धीरे आगे बढ़ती रही। लेकिन इससे पहले हजारों पदयात्री पहले ही तेज कदमों से वृंदावन की धरा पर पहुंच चुके थे। धीरेंद्र शास्त्री के साथ करीब 12 बजे यात्रा छटीकरा मोड़ पर पहुंची। भीड़ के दबाव में पुलिस द्वारा लगाई गई रेलिंग भी धराशाई हो गई।

    भीड़ ऐसी कि पदयात्रा आगे बढ़ते हुए करीब 1.15 बजे कार्यक्रम स्थल पहुंच सकी। सिक्किम, कर्नाटक, नेपाल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, दिल्ली, हरियाणा समेत कई राज्यों से पदयात्री उत्साह के साथ वृंदावन की धरा पर पहुंचे। हाथों में धर्मध्वजा थी और जुबां पर जयकारे। हिंदू हैं हम और जो राम का नहीं वह किसी काम का नहीं।

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    नारों ने यह बता दिया कि दस दिन में 150 किमी का सफर तय करने के बाद भी पदयात्रियों का उत्साह कम नहीं हुआ है। जयपुर से आई सुनीता मीणा की खुशी का ठिकाना नहीं हैं। कई माह से धीरेंद्र शास्त्री से मिलना चाह रही थीं। दो बार बागेश्वर धाम भी गईं, लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी। फिर तय कर लिया कि उनके साथ यात्रा करेंगे।

    दिल्ली से वृंदावन तक दस दिन यात्रा की। बोलीं, जो आनंद इस यात्रा में आया, वह कहीं और नहीं मिल सकता। अब जो भी यात्रा चलेंगी, हम साथ चलेंगे। छत्तीसगढ़ के रायपुर से आए नाथूराम और उनके साथ दिवाकर की खुशी का ठिकाना नहीं है। दोनों खेती करते हैं। लेकिन, सनातनी एकता के लिए यात्रा में चल दिए। अपार भीड़ की ओर इशारा किया और बोले, यह बुलाई नहीं गई है, अपने आप आई है। देश के हर कोने से लोग यहां पहुंचे हैं।

    विदेशी बालकों ने सड़क किनारे बैठ सुनाए भजन

    सनातन एकता पदयात्रा के अंतिम पड़ाव स्थल के समीप सड़क किनारे बैठ इस्कान गुरुकुल के बालकों ने पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ भजन गायन शुरू किया तो श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बन गए। देश के विभिन्न प्रांतों से आ रहे श्रद्धालु बालकों के भजन सुनने को बैठे रहे।