संत प्रमानंद ने लिव-इन रिलेशनशिप को बताया जहर, कहा- अब लड़के- लड़कियों के संबंधों में पवित्रता नहीं बची
वृंदावन के संत प्रेमानंद ने कहा कि मुगलकाल में स्त्रियों ने सम्मान बचाने के लिए जान दे दी लेकिन आजकल लड़के-लड़कियों के संबंध समाज के लिए चुनौती हैं। उन्होंने लिव-इन रिलेशनशिप को समाज के लिए जहर बताया। उनके इस बयान का विरोध हो रहा है। सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने भी संत के बयान की निंदा की है।

जागरण संवाददाता, वृंदावन। संत प्रेमानंद ने कहा है कि मुगलकाल में अपना सम्मान बचाने के लिए हमारे यहां की स्त्रियों ने जान दे दी परंतु अब लड़के और लड़कियों के संबंधों की पवित्रता समाज के लिए चुनौती बन गई है। संत के अनुसार सौ में दो-चार कन्याएं ही ऐसी होंगी, जो पवित्र जीवन रखकर पुरुष को समर्पित होंगी, यही हाल लड़कों का है। जो पहले ही चार जगह संबंध बना चुके, वह एक-दूसरे के प्रति कैसे समर्पित होंगे? उन्होंने लिव-इन रिलेशनशिप को तो समाज के लिए जहर बताया। वहीं, संत के इस बयान को लड़कियों के विरोध में मान संत विरोध कर रहे हैं।
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख व पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने भी संत के बयान की निंदा की है। प्रसारित वीडियो में एक महिला श्रद्धालु ने शादी के बाद टूटते रिश्तों को लेकर प्रश्न उठाया था। कहा था कि बच्चे चाहे अपनी पसंद की लड़की से शादी करें या फिर माता-पिता की पसंद से, दोनों ही परिस्थितियों में परिणाम अच्छे नहीं दिख रहे। उत्तर में संत प्रेमानंद कहते हैं कि आजकल बच्चों के चरित्र पवित्र नहीं हैं। लड़कियों का एक लड़के से ब्रेकअप, दूसरे से व्यवहार, फिर दूसरे से ब्रेकअप और तीसरे से व्यवहार और यह आदत हो जाती है। हमें जब चार होटल की आदत पड़ गई है, तो घर की रसोई का खाना अच्छा नहीं लगेगा।
इसी तरह कोई युवक जब चार लड़कियों से संबंध रखता है तो वह पत्नी के प्रति वफादार कैसे रहेगा। इसका जिम्मेदार मोबाइल फोन है। बच्चे-बच्चियां किसी तरह से पवित्र मिल जाएं, तो भगवान का वरदान समझना चाहिए। बचपन में जो गलती हो गई उसकी बात छोड़ो। लेकिन, शादी होने के बाद सुधार होना चाहिए।
इस वीडियो पर श्रीराधा केलिकुंज आश्रम का पक्ष जानने के लिए संत के अनुयायी नवल नागरी दास को कई बार कॉल की गई, वाट्सएप संदेश दिया, लेकिन उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
माफी मांगने की उठी मांग
वीडियो पर संत समाज की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के सेवायत आचार्य प्रह्लादवल्लभ गोस्वामी ने कहा कि इससे महिला विरोधी मानसिकता नजर आती है, इन्हें अपने बयान वापस लेते हुए सार्वजनिक रूप से क्षमा मांगनी चाहिए।
प्रेमानंद क्या लड़कियों की जांच करते हैं: राजभर
वहीं, सुभासपा प्रमुख ने मंगलवार को कहा कि संत प्रेमानंद क्या लड़कियों की जांच करते हैं, उनके पास कोई जांच करने की मशीन है क्या? इस तरह की अनर्गल बयानबाजी बंद करें। हम उनकी बातों से बिलकुल सहमत नहीं हैं। आधी आबादी महिलाओं की है। भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बैठी हैं। भारत की प्रधानमंत्री की कुर्सी कभी दिवंगत इंदिरा गांधी के पास थी, मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं। यह महिलाओं की ही ताकत है।
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