Saint Premanand Maharaj: राधे-राधे के जयकारों से गूंज उठा रास्ता...पांच दिन बाद पदयात्रा पर निकले संत प्रेमानंद
Saint Premanand Maharaj संत प्रेमानंद महाराज पांच दिनों के अंतराल के बाद रविवार की रात को पदयात्रा पर निकले। भक्तों ने उनके दर्शन कर आनंद लिया और राधे-राधे की जयकार की। संत प्रेमानंद महाराज छटीकरा मार्ग स्थित अपने आवास श्रीकृष्ण शरणम् से रात करीब दो बजे पदयात्रा करते हुए रमणरेती स्थित श्रीराधा केलिकुंज आश्रम पहुंचते हैं। स्वास्थ्य के कारण लेकिन सुबह चार बजे पदयात्रा पर निकले।

संवाद सहयोगी, जागरण, वृंदावन। Saint Premanand Maharaj: राधारानी के अनन्य भक्त और वृंदावन रसिक संत प्रेमानंद महाराज पांच दिनों बाद शनिवार की रात पदयात्रा पर निकले तो भक्तजन उनके दर्शन कर आनंदित हो गए। कदम-कदम पर उनका भावपूर्ण स्वागत करते हुए राधे-राधे की जयकार करते रहे।
संत प्रेमानंद महाराज छटीकरा मार्ग स्थित अपने आवास श्रीकृष्ण शरणम् से रात करीब दो बजे पदयात्रा करते हुए रमणरेती स्थित श्रीराधा केलिकुंज आश्रम पहुंचते हैं। करीब डेढ़ किमी लंबे इस मार्ग पर उनके दर्शन के लिए भक्तजन रात ग्यारह-बारह बजे से ही मार्ग के दोनों ओर कतारबद्ध हो जाते हैं।
संत के दर्शन की प्रतीक्षा करते हैं। संत प्रेमानंद जी महाराज का स्वास्थ्य अगर कभी खराब हो जाता है तो आश्रम के परिकर रात करीब दो-ढाई बजे पदयात्रा स्थगित होने की सूचना प्रसारित कर देते हैं। पिछले दिनों में भी भक्तगण पदयात्रा मार्ग पर रात में ही आ गए थे।
वृंदावन में संत प्रेमानंद रात्रिकालीन पदयात्रा पर निकले, तो भक्तों में हुआ जोश का संचार। - फोटो: इंटरनेट मीडिया से।
शनिवार रात भी भक्तगण पदयात्रा मार्ग पर कतारबद्ध हो गए थे
घंटों प्रतीक्षा के बाद आश्रम के परिकर द्वारा पदयात्रा स्थगित होने की सूचना सुनकर उदास होकर लौटते रहे। भक्तों को बताया गया था कि महाराज जी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। शनिवार रात भी भक्तगण पदयात्रा मार्ग पर कतारबद्ध हो गए थे।
प्रेमानंद महाराज भी भक्तों को आशीर्वाद देते हुए आगे बढ़ते रहे
रविवार सुबह सवा चार बजे संत प्रेमानंद महाराज जैसे ही अपने आवास श्रीकृष्ण शरणम् से पदयात्रा के लिए निकले, भक्त राधानाम की जयकार करने लगे। श्रद्धावनत होकर संत के दर्शन किए। प्रेमानंद महाराज भी भक्तों को आशीर्वाद देते हुए आगे बढ़ते रहे। पदयात्रा करते हुए वे परिक्रमा मार्ग स्थित अपने आश्रम श्री राधा केलिकुंज पहुंचे। जहां नियमित दिनचर्या की शुरुआत हुई।
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