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    Raksha Badhan 2023: बांकेबिहारी मंदिर में 31 को मनेगा रक्षाबंधन पर्व, भद्राकाल के कारण इस दिन बंधेंगी राखी

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Saxena
    Updated: Sat, 26 Aug 2023 07:57 AM (IST)

    Raksha Bandhan Date In Banke Bihari Mandir Vrindavan वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर में इस बार राखी का त्योहार 31 अगस्त को मनाया जाएगा। रक्षाबंधन पर्व को लेकर भ्रांतियां हैं। देशभर में रक्षाबंधन मनेगा 30 को भद्राकाल के कारण दूसरे दिन बांधी जाएंगी राखी। बांकेबिहारी को देश भर की बहनें राखियां भेजती हैं। आराध्य को 31 अगस्त को ये राखियां बांधी जाएंगी।

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    Banke Bihari Mandir: बांकेबिहारी मंदिर में 31 को मनेगा रक्षाबंधन पर्व

    संवाद सहयोगी, वृंदावन-मथुरा। रक्षाबंधन बहन और भाई के उस परस्पर प्रेम का पर्व है, जब बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांध उसके कल्याण की कामना करती है। इस बार 30 अगस्त पूर्णिमा को रक्षाबंधन है। लेकिन, भद्राकाल होने के कारण और सूर्याेदय के समय पूर्णिमा न होने के कारण ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में दूसरे दिन 31 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा।

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    सूर्योदय के अनुसार मनता है पर्व

    • ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में सनातनी पंचांग की तिथियों को सूर्याेदय के अनुसार ही माना जाता है।
    • रक्षाबंधन पूर्णिमा के दिन है।
    • पूर्णिमा 30 अगस्त की सुबह 10.58 बजे शुरू हो रही है और दूसरे दिन सुबह 7.05 बजे तक रहेगी।
    • ऐसे में सूर्योदय के समय 31 अगस्त काे पूर्णिमा रहेगी।

    मंदिर सेवायत श्रीनाथ गोस्वामी कहते हैं 30 अगस्त की रात 9.01 बजे तक भद्राकाल होने के कारण व दूसरे दिन 31 अगस्त को पूर्णिमा सूर्योदय में होने के चलते मंदिर में 31 अगस्त को ही रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा। इसी दिन ठाकुरजी की कलाई पर राखी बांधी जाएंगी। देशभर की बहनों की आई राखियों को भी इसी दिन सेवाधिकारी ठाकुरजी को अर्पित करेंगे।

    31 को ही मनाया जाएगा रक्षाबंधन

    रक्षाबंधन एवं ब्रह्म सम्मत श्रावणी उपाकर्म यज्ञोपवीत धारण विधि हर प्रकार के धर्म सम्मत शास्त्र सम्मत विधि को संज्ञान में रखते हुए भद्रारहित 31 अगस्त को पूर्णमासी गुरुवार को मनाना ही सर्वश्रेष्ठ माना है। प्रातः काल सूर्योदय बेला से ही वैदिक विद्वानों का आगमन और श्रावणी उपाकर्म हेमाद्रि संकल्प आदि प्रारंभ होगा। इसी दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधेंगी, तो शुभ होगा। -आचार्य बनवारीलाल शास्त्री, याज्ञिक आचार्य।