कान्हा की छवि देख मुग्ध हुईं राष्ट्रपति मुर्मु, ठाकुर बांके बिहारी और निधिवन राज मंदिर में किया पूजन
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ब्रज की अपनी पहली यात्रा में बांके बिहारी मंदिर निधिवन और श्रीकृष्ण जन्मस्थान के दर्शन किए। उन्होंने श्रीकुब्जा कृष्ण मंदिर का भी दौरा किया जिससे यह मंदिर चर्चा में आया। राष्ट्रपति ने स्वामी हरिदास की समाधि पर पादुका पूजन किया और संतों के साथ आध्यात्मिक चर्चा की। उन्होंने कान्हा के जन्मस्थान पर भक्तिभाव से समय बिताया।

जागरण संवाददाता, मथुरा । ब्रज भूमि है ही अलौकिक। जो भी यहां आया, यहां का होकर रह गया। गुरुवार को पहली बार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु धर्म नगरी में आईं तो भक्ति में रम गईं। ठाकुर बांकेबिहारी के दर्शन कर राष्ट्र में शांति व सद्भाव की कामना की।
निधिवन पहुंचीं तो ठाकुर जी की प्राकट्यस्थली के दर्शन कर वह स्थल भी देखा जहां ठाकुर जी नित्य रास रचाते हैं। स्वामी हरिदास की समाधि स्थल पर पादुका पूजन कर आरती उतारी। महामहिम ने श्रीकुब्जा कृष्ण के उस मंदिर को चर्चा में ला दिया, जिसके बारे में बहुत से ब्रजवासियों को भी जानकारी नहीं है। महामहिम ने दर्शन किए तो मंदिर खास हो गया। जन्मस्थान में उस कारा को देर तक निहारतीं रहीं, जहां कन्हैया ने द्वापर में जन्म लिया।
गुरुवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से विशेष ट्रेन से ब्रजभूमि के लिए रवाना हुईं। इंजन समेत 18 कोच वाली इस ट्रेन में 12 शाही कोच थे। सुबह 10.02 बजे छटीकरा स्थित वृंदावन रोड रेलवे स्टेशन ट्रेन पहुंचीं तो सरकार की ओर से गन्ना विकास एवं चीनी मिल मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण व महापौर विनोद अग्रवाल ने पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया।
राष्ट्रपति के साथ मौजूद थे परिवार के सदस्य
राष्ट्रपति के साथ बेटी इतिश्री, दामाद गणेश चंद्र हेंब्रम, बेटी के दो बच्चों और परिवार की एक अन्य महिला धनेज मरांडी कार से जादौन पार्किंग और फिर यहां से गोल्फ कार्ट से ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर पहुंचीं। मंदिर सेवायतों गौरव गोस्वामी, डा. फ्रैंकी गोस्वामी, शैलेंद्र गोस्वामी ने वैदिक मंत्रों के बीच रोली से सतिया बनाकर विधिवत पूजन कराया।
इत्र की मालिश कर चांदी का दीपक प्रज्वलित किया। राष्ट्रपति ने मंदिर गोस्वामी को दक्षिणा स्वरूप 11 हजार रुपये का लिफाफा दिया। मोहक शृंगार में ठाकुर जी की छवि राष्ट्रपति काफी देर तक निहारती रहीं। निधिवन में ठाकुर बांकेबिहारी की प्राकट्यस्थली के दर्शन कर वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य पूजन किया। उस रंग महल को निहारा, जहां नित रात में ठाकुरजी विश्राम करते हैं।
साड़ी और शृंगार अर्पित किया। स्वामी हरिदास की समाधि स्थल पर चांदी की चरण पादुका का पूजन किया। निधिवन का महत्व जान अभिभूत हो गईं। श्रद्धाभाव ऐसा कि लता-पताओं का भी पूजन किया। संतों से आध्यात्मिक चर्चा के लिए राष्ट्रपति नाभापीठ सुदामा कुटी दोपहर 12 बजे पहुंचीं। आश्रम संस्थापक साकेतवासी संत सुदामादास की भजन कुटी का रिमोट से लोकार्पण करने के साथ यहां विराजे ठाकुर कौशलकिशोर महाराज का पूजन किया।
यहां उन्होंने गोपूजन किया और परिसर में पारिजात की पौध का रोपण किया। नाभापीठाधीश्वर जगद्गरु स्वामी सुतीक्ष्णदास के साथ आश्रम के महत्व, संत सुदामादास के जीवन के बारे में जानकारी की। यहां गोशाला में गायों की चारा की व्यवस्था के लिए गोधन अर्पित किया और फिर 50 संतों से कुशलक्षेम जाना। शाम 5.25 बजे राष्ट्रपति मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशन से विशेष ट्रेन से दिल्ली के लिए रवाना हो गईं।
श्रीकुब्जा कृष्ण मंदिर पहुंचने वाली मुर्मु पहली राष्ट्रपति
सुदामा कुटी के बाद वृंदावन के रेडिशन होटल में विश्राम करने के बाद राष्ट्रपति मथुरा के अंतापाड़ा स्थित श्रीकुब्जा कृष्ण मंदिर पहुंचीं। वह यहां आने वाली पहली राष्ट्रपति हैं। इस मंदिर के बारे में ज्यादातर ब्रजवासी नहीं जानते थे। यहां कलशपूजन के साथ विधिवत ठाकुर जी का पूजन किया। प्राचीन मंदिर में पुजारी आशीष चतुर्वेदी और बालकिशन चतुर्वेदी ने पूजन कराया। ठाकुर जी का चरण चंदन और गुप्त प्रसादी भेंट कीं।
कान्हा के आंगन में भक्ति में लीन हो गईं महामहिम
राष्ट्रपति की धार्मिक यात्रा का अंतिम पड़़ाव था श्रीकृष्ण जन्मस्थान। कान्हा के आंगन में प्रवेश करते ही भव्यता से वह अभिभूत हो गईं। कंस की जिस कारा में कान्हा का जन्म लिया था, उसे भी निहारती रहीं। यहां पुष्पार्चन करने के बाद उन्होंने योगमाया मंदिर, ठाकुर केशवदेव मंदिर में भी पुष्पार्चन किया।
भागवत भवन में राधाकृष्ण की युगल सरकार की छवि को अपलक निहारतीं रहीं। यहां पंचोपचार विधि से उन्होंने पादुका पूजन किया।
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