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    मथुरा का सनसनीखेज हत्याकांड, जिससे हिला था प्रशासन, जब रंगा-बिल्ला गैंग ने की दिनदहाड़े तोले बाबा की हत्या

    By Abhishek SaxenaEdited By:
    Updated: Thu, 03 Nov 2022 05:29 PM (IST)

    Mathura News 28 फरवरी 2015 को हुए हत्याकांड में अदालत ने सुनाई उम्रकैद की सजा सात साल में हमलावरों के ख़ौफ़ से गवाही को नहीं आ रहे थे लोग। उम्रकैद के बा ...और पढ़ें

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    Mathura News: मथुरा में तोलेबाबा हत्याकांड में रंगा-बिल्ला को उम्रकैद हुई है।

    आगरा, जागरण टीम। मथुरा की 28 फरवरी 2015 की सुबह सबकुछ सामान्य सा था। लेकिन कहीं पर हत्या की साजिश रची जा रही थी। चौबियापाड़ा के गजापाइसा निवासी तुलसीदास उर्फ तोले बाबा सुबह करीब 10.45 बजे सुमित चतुर्वेदी के साथ मुकदमे की पैरवी करने के लिए मोटर साइकिल से कचहरी आ रहे थे। उनके साथ राकेश चतुर्वेदी और दिनेश चतुर्वेदी दूसरी मोटरसाइकिल से साथ चल रहे थे।

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    इसी दौरान सहकारी बैंक के निकट वनखंडी पर रतनकुंड निवासी मुकेश उर्फ बिल्ला, राकेश उर्फ रंगा, कामेश्वर उर्फ चीनी, नीरज अपने साथी प्रदीप उर्फ गुलगुला ने तोले बाबा के आते ही ताबड़तोड़ फायरिंग की। मथुरा जिले में इस घटना से सनसनी फैल गई।

    तोलेबाबा को लग गई गोली

    राकेश उर्फ रंगा की गोली तुलसीदास उर्फ तोले बाबा की पीछे से पीठ में लग गई। रंगा, बिल्ला, चीनी और नीरज सगे भाई हैं। रंगा अपने भाई और साथी के साथ फायरिंग करते हुए भाग गया। खून से लथपथ तोले बाबा को सुमित मोटरसाइकिल से लेकर सीधे एसएसपी कार्यालय पहुंचे। पुलिस ने घायल को जिला अस्पताल भेजा। जहां पर डाक्टर ने तोले बाबा को मृत घोषित कर दिया था। इसके बाद पुलिस ने चार्जशीट और आरोप पत्र लगाए। आरोपितों को सजा हुई।

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    आतंक ऐसा कि सामने बोलने की हिम्मत नहीं करता कोई

    रंगा-बिल्ला के गैंग का आतंक इस कदर बढ़ता गया कि कोई भी इनके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं कर पाता था। 15 मई 2017 की शाम रंगा ने अपने भाई और साथियों के मिलकर कोयलावाली गली में मयंक चैंस के यहां डकैती भी डाली। सर्राफ मेघ अग्रवाल और विकास अग्रवाल की गोली मार कर हत्या कर लाखों के सोने-चांदी के गहने लूटे। उसके बाद पुलिस ने आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेजा। तब से आरोपित जेल में थे।

    अदालत ने सुनाई उम्रकैद की सजा

    मुकदमे की सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम हरेंद्र प्रसाद की अदालत में हुई। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता राजू सिंह ने बताया, अदालत ने मुकेश उर्फ बिल्ला, राकेश उर्फ रंगा, कामेश्वर उर्फ चीनी, नीरज और प्रदीप उर्फ गुलगुला को तुलसीदास उर्फ तोले बाबा की हत्या का दोषी ठहराया। अभियोजन पक्ष ने अदालत में सात गवाह पेश किए थे। अदालत ने पांचों को आजीवन कारावास और दस-दस हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया।

    इस कारण हुई थी तोलेबाबा की हत्या

    रंगा बिल्ला ने दिसंबर 2013 में विजय चतुर्वेदी की भी चौबियापाड़ा में दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले की रिपोर्ट तोले बाबा ने दर्ज कराई थी। इस मामले तोले बाबा की गवाही होनी थी। तोले बाबा मुकदमा की पैरवी को कचहरी आ रहे थे, तभी उनके हत्या कर दी गई थी।