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    मंदिर में दिखता है अक्सर सांप का जोड़ा, तलाश में खोला गया 25 साल से बंद वो कमरा; 16वीं सदी में बनवाया था जयपुर के राजा ने

    By Vipin Parashar Edited By: Prateek Gupta
    Updated: Fri, 05 Dec 2025 08:13 PM (IST)

    वृंदावन स्थित ठाकुर गोविंद देव मंदिर, जो 16वीं सदी में बना था, के दो कमरों को 25 साल बाद खोला गया। सांप होने की शिकायत पर कमरों को खोला गया, लेकिन वहा ...और पढ़ें

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    वृंदावन में ठाकुर गोविंद देव मंदिर का खोला गया कमरा।

    संवाद सहयोगी, जागरण, वृंदावन (मथुरा)। सप्तदेवालयों में शामिल ठाकुर गोविंद देव मंदिर 16वीं सदी (लगभग 1590) में जयपुर के राजा मान सिंह ने चैतन्य महाप्रभु के अनुयायी श्रील रूप गोस्वामी के आग्रह पर लाल बलुआ पत्थर से बनवाया था।

    ये मंदिर श्रील रूप गोस्वामी को मिली कृष्ण की मूर्ति के स्थान पर बनाया गया। मंदिर के दो कमरों को सर्प का जोड़ा होने की शिकायत पर 25 वर्ष बाद खोला गया। हालांकि उसमें केवल गंदगी मिली है।

    दरअसल, औरंगजेब के हमले के कारण मंदिर का ऊपरी हिस्सा टूट गया और मूल मूर्ति जयपुर ले जाई गई, वहां आज भी पूजा होती है। वृंदावन में मंदिर का आंशिक ढांचा और मुख्य हाल बचा है।

    जो हिंदू-मुस्लिम वास्तुकला का अद्भुत संगम है और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षण में है। मंदिर के कई कमरों को बंद रखा गया है। ऐसे ही एक कमरे में सर्प का जोड़ा होने की सूचना पर विभाग के अधिकारियों ने इसे 25 वर्ष बाद खुलवाया।

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    लेकिन, इस कक्ष में मिट्टी के अलावा कुछ भी नहीं मिला। एक कमरे से सटा दूसरा कमरा भी मिला। ठाकुर गोविंद देव मंदिर के सेवायत सुकुमार गोस्वामी ने बताया कि लगभग 25 साल से मंदिर के गर्भगृह के ऊपर बने कमरों को खोला नहीं गया।

    25 वर्ष से कमरों की सफाई नहीं हुई थी। इसलिए कमरा खोलने के लिए एएसआइ के अधिकारियों से कहा गया। विभाग के अधिकारियों ने कमरों की सफाई कराने के लिए दो दिन पहले कमरों को खोला।

    बताया, इस कमरे में कभी ठाकुरजी का शयन कक्ष रहा होगा। गर्भगृह के ऊपर बने होने के कारण यह कमरा किसी अन्य उपयोग में नहीं आ सकता।

    सर्वेक्षण विभाग द्वारा तैनात कर्मचारी सुरेशचंद्र ने बताया, कुछ लोगों ने हमें बताया था कि कमरे में नाग-नागिन का जोड़ा है।

    मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित कमरों की साफ-सफाई को देखते हुए हमने विभाग के सीए नितिन प्रिय राहुल की मौजूदगी में कमरे को खुलवाया तो कमरे में करीब आधी बाल्टी मलबा ही निकला।

    मंदिर से जुड़े लोगों ने पहले बताया था कि मंदिर के ऊपर चक्की है। लेकिन, हमें कहीं कोई चक्की नहीं मिली। मंदिर के गर्भगृह के ऊपर बने कमरे में जाने को दाईं और बाईं ओर से संकरी पत्थर की सीढ़ियां बनी है।

    यहां पूरी तरह अंधकार रहता है। टीम ने दाईं ओर बनी सीढ़ियों से चढ़कर गर्भगृह के ऊपर लोहे के गेट में लगे ताले को तोड़ा। इसके बाद करीब 32 सीढ़ियां चढ़ने के बाद एक लोहे के सींखचों से बने गेट में लगा पुराना ताला तोड़ा।

    गुंबदाकार विशेष चूने से बने कमरे में दो बड़े रोशनदान हैं। ताकि कमरे में रोशनी रह सके। कमरे के तीन ओर बड़े आले बने हैं। एक तरफ नीचे कुछ पत्थर के टुकड़े व धूल मिली। इस कमरे से सटा एक और कमरा खोला गया, जो कि लगभग 30 फीट व्यास गोलाकार बना है।

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