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    Krishna Janmashtami 2025: जन्माष्टमी के लिए मथुरा-वृंदावन तैयार, ब्रज बना देवलोक; हर तरफ हो रही आनंद की वर्षा

    Updated: Thu, 14 Aug 2025 08:28 PM (IST)

    Krishna Janmashtami 2025 मथुरा में जन्माष्टमी के मौके पर ब्रज देवलोक जैसा लग रहा है जहां हर तरफ खुशी की लहर है। चौराहों और रास्तों को भव्य तरीके से सजाया गया है जो ब्रज की संस्कृति को दर्शाता है। भक्त इस अद्भुत सजावट को देखकर रोमांचित हैं और ब्रज की रज को माथे पर लगाकर धन्य महसूस कर रहे हैं। वातावरण आस्था और भक्ति से परिपूर्ण है।

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    Krishna Janmashtami 2025: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर सजाया गया श्रीकृष्ण जन्मस्थान। फोटो जागरण

    जागरण संवाददाता, मथुरा। यह कान्हा का ब्रज है। यहां पग-पग पर उनके लीला स्थल हैं। जब पूर्णावतार का जन्मोत्सव है तो ब्रज की छटा भी अकल्पनीय होना स्वाभाविक है।

    ब्रज देवलोक नजर आ रहा है। हर तरफ आनंद की वर्षा हो रही है। चौराहे-तिराहे की सजावट ब्रज की संस्कृति को जीवंत कर रही है। जन्मस्थान जाने वाले मार्गों की सजावट भी अकल्पनीय है।

    भूतेश्वर तिराहा पर ग्वालियर से आए रंजन शर्मा ब्रज का वैभव को अपने साथ ले जाना चाहते थे। वह सजावट के दृश्य को मोबाइल में कैद कर रहे थे। उनका रोम-रोम रोमांचित हो रहा था। उन्होंने कहा कि वह इस वर्ष तीसरी बार अपने साथियों के साथ आए हैं और हर बार ब्रज की सजावट अद्भुत होती है। सजावट से आंखें हटने का नाम ही नहीं ले रही हैं।

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    स्टेट बैंक तिराहा की सजावट देख मुरैना से आए रमेश और दिनेश रुक गए। वह साज-सज्जा को निहार रहे थे। उन्होंने बताया कि पहली बार जन्मोत्सव में शामिल होने का अवसर मिल रहा है। वह अब चार दिन ब्रज का ही भ्रमण करेंगे। जितना सुना था, उससे भी कहीं ज्यादा ब्रज का स्वरूप है। यहां तो हवा में भी आस्था की सुगंध है।

    यह बस ब्रज में ही हो सकता है। यहां तो भगवान का वास है। सौभाग्यशाली हैं यहां के लोग, जिन्हें ब्रज में रहने का अवसर मिला है। कानपुर निवासी सचिन कुमार तो जन्मस्थान मार्ग पर ब्रज की रज को माथे से लगा रहे थे। वह कह रहे थे, यह कान्हा की रज है। इसे लगाने से तो मानव तर जाता है। वह कान्हा की भक्ति में सुधबुध खो चुके थे।

    कह रहे थे, अब तो भगवान के जन्मोत्सव में शामिल होने का इंतजार है। ब्रज श्रीकृष्ण के रंग में रंगा है और हर तरफ आस्था की वर्षा हो रही है। ब्रज में आते ही भक्ति में भक्त भावविभोर हो रहे हैं। सागर से आए सुरेंद्र कुमार गोवर्धन से आए जन्मस्थान जा रहे थे, लेकिन गोवर्धन चौराहा की सजावट ने उनके कदम रोक दिए।

    वह सजावट को निहारने लगे। बोले, द्वापर में भी ब्रज का नजारा कुछ इसी तरह रहा होगा। यहां भक्ति, संस्कृति का संगम हो रहा है। यहां पहली आर आए हैं, आनंद आ रहा है। यह केवल यहीं का नहीं, बल्कि पूरे ब्रज का नजारा है। हर तरफ कान्हा के क्रीड़ा स्थल भक्तों को आकर्षित कर रहे हैं।

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