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    'शाही मस्जिद ईदगाह के नाम से कोई संपत्ति वक्फ बोर्ड में दर्ज नहीं', श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास का दावा

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Saxena
    Updated: Sat, 22 Mar 2025 11:34 AM (IST)

    Mathura News श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास का दावा है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि की ढाई एकड़ भूमि पर बनी शाही मस्जिद ईदगाह के नाम से कोई भी संपत्ति वक्फ बोर्ड में दर्ज नहीं है। न्यास को यह जानकारी सर्वे कमिश्नर वक्फ बोर्ड लखनऊ ने सूचना का अधिकार में दी है। मथुरा जिले के साथ ही पूर्व में जिले में तहसील रहे सादाबाद को मिलाकर 825 संपत्तियां वक्फ में दर्ज हैं।

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    Mathura: श्रीकृष्ण जन्मस्थान व शाही मस्जिद ईदगाह। फाटो जागरण आर्काइव

    जागरण संवाददाता, मथुरा। श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही मस्जिद ईदगाह को लेकर न्यायालय में चल रहे विवाद को लेकर शुक्रवार को नया मामला सामने आया है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास का दावा है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि की ढाई एकड़ भूमि पर बनी शाही मस्जिद ईदगाह के नाम से कोई भी संपत्ति वक्फ बोर्ड में दर्ज नहीं है। न्यास को यह जानकारी सर्वे कमिश्नर वक्फ बोर्ड लखनऊ ने सूचना का अधिकार में दी है।

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    मथुरा जिले के साथ ही पूर्व में जिले में तहसील रहे सादाबाद को मिलाकर 825 संपत्तियां वक्फ में दर्ज हैं। कुछ संपत्तियों का रकबा दर्ज नहीं है, बाकी का रकबा करीब 351 एकड़ है। न्यास ने संपत्तियों की जांच के लिए राजस्व परिषद लखनऊ और सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है।

    महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि 18 अगस्त 1990 को जिले की वक्फ संपत्तियों का गजट उत्तर प्रदेश सरकार ने कराया था, जो 27 मई 1987 की उस अधिसूचना पर आधारित था, जिसे मुस्लिम वक्फ विभाग ने जारी किया था। तब हाथरस की सादाबाद तहसील मथुरा जिले में थी।

    श्रीकृष्ण जन्मस्थान।

    सरकार ने कराया था गजट

    सादाबाद तहसील और जिले की पांचों तहसीलों को मिलकर सरकार ने जो गजट कराया, उन संपत्तियों में शाही ईदगाह मस्जिद डीग गेट के नाम से कोई भी संपत्ति वक्फ बोर्ड में दर्ज नहीं है। हालांकि ये सभी संपत्तियां कब्रिस्तान, मस्जिद, दरगाह और इमामबाड़ा के नाम से हैं।

    सीएम को लिखा जांच के लिए पत्र

    कई संपत्तियां ऐसी हैं, जिनका रकबा तक भी नहीं खोला गया है,सिर्फ उनकी चौहद्दी ही का उल्लेख वक्फ संपत्तियों में किया गया है। एक-एक गांव में वक्फ बोर्ड की कई संपत्तियां हैं। इनमें देवसेरस, हथिया, विशंभरा, दौलतपुर, शाहपुर, कोसीकलां, खावल, जाबरा, कराहारी, मांट शामिल है।

    उन्होंने बताया कि सैन्य और छावनी क्षेत्र में एक मस्जिद की भूमि का जिक्र वर्ग फीट में किया गया है तो दूसरी की चौहद्दी को दर्शाया गया। इन संपत्तियों की जांच के लिए राजस्व परिषद उत्तर प्रदेश और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा गया है।

    कोर्ट में करेंगे प्रस्तुत, महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा

    महेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर की जमीन कब्जाने और वहां मस्जिद निर्माण कराने के कई साक्ष्य हैं। सर्वे कमिश्नर वक्फ बोर्ड से जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार शाही ईदगाह मस्जिद के नाम से कोई वक्फ बोर्ड की संपत्ति नहीं है। हम इसे कोर्ट में प्रस्तुत करेंगे।

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    शाही मस्जिद ईदगाह वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज है। हम इसके दस्तावेज पूर्व में कोर्ट में दाखिल कर चुके हैं। वादी महेंद्र प्रताप सिंह को भी इसकी प्रति दे चुके हैं। उनके द्वारा इसे लेकर कोई जवाब नहीं दिया गया है। वह कोरी बयानबाजी कर रहे हैं, यदि ऐसा है तो कोर्ट में अपने साक्ष्य प्रस्तुत करें। हम जवाब देंगे। तनवीर अहमद, सचिव, शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी।

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