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    Iskon: एक ऐसा संत, जिसने पूरी दुनिया को दिया हरे कृष्णा का मंत्र

    By Prateek GuptaEdited By: Prateek Gupta
    Updated: Fri, 24 Oct 2025 08:36 PM (IST)

    श्रील प्रभुपाद गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय के संत थे, जिन्होंने सनातन धर्म का प्रचार किया। उन्होंने 14 बार विश्व भ्रमण कर 800 इस्कॉन मंदिर स्थापित किए। उनके हरे कृष्णा अभियान ने विदेशियों को सनातन संस्कृति से जोड़ा। 25 अक्टूबर को वृंदावन में उनका तिरोभाव महोत्सव मनाया जाएगा, जिसमें धार्मिक अनुष्ठान होंगे। उनके अनुयायी दुनिया भर में फैले हुए हैं।

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    वृंदावन में इस्कान मंदिर। यहां श्रील पाद प्रभु का तिरोभाव महोत्सव मनाया जा रहा है। फोटोः जागरण

    जागरण संवाददाता, मथुरा। श्रील प्रभुपाद, गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय के ऐसे संत जिनका नाम दुनिया धर्म में सनातन धर्म की ध्वजा को स्थापित करने के लिए लिया जाता है। उन्होंने 14 बार विश्व भ्रमण कर दुनिया भर में 800 इस्कान मंदिर स्थापित किये। उनके हरे कृष्णा अभियान ने विदेशियों को सनातन संस्कृति से जोड़ा। उनके कदम जहां-जहां पड़े, वहां-वहां हरेरामा-हरेकृष्णा मंत्र गुंजायमान हो उठा। 25 अक्टूबर को उनका तिरोभाव महोत्सव वृंदावन में होगा।

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    अभय चरण डे यानी अभय चरणाविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद को श्रील प्रभुपाद के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म कोलकाता में सितंबर 1896 में हुआ। उन्होंने 1959 में सन्यास लिया और वृंदावन में रहकर श्रीमदभागवत पुराण का अनेक खंड़ों में अंग्रेजी में अनुवाद किया। उन्होंने न्यूयार्क में इंटरनेशनल सोसाइटी फार कृष्णा कान्शियसनेस (इस्कान) की स्थापना की। 1966 से 1977 तक विश्वभर का 14 बार भ्रमण किया।

    इस्कान की प्रबंध समिति की सदस्य व सचिव रहीं यूएसए निवासी देवी शक्ति माताजी कहती हैं उनकी श्रील प्रभुपाद से उनकी यूएसए में 1970 में मुलाकात हुई। उनकी जीवन शैली और प्रवचन का जीवन पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि 18 वर्ष की आयु में भी प्रभुपाद से प्रभावित होकर दीक्षा ले ली। श्रील प्रभुपाद ने उन्हें हरेकृष्णा मूवमेंट से जोड़ लिया और प्रचार-प्रसार में साथ देने लगीं।


    इसके बाद 1974 में 22 वर्ष की आयु में अपने पति के साथ वृंदावन आ गईं। यहां 1975 में इस्कान मंदिर की स्थापना हुई तो वे खुद मौजूद रहीं। देवी शक्ति माताजी ने कहा न्यूयार्क में श्रील प्रभुपाद के अनुयायी जुड़ते गए, तो सबसे पहला इस्कान मंदिर न्यूयार्क में स्थापित किया। इसके बाद कैलोफोर्निया, सेंट फ्रांसिस्को, अमेरिका में तीस मंदिर बने, लंदन, हाबर्ट, पेरिस, आस्ट्रेलिया में इस्कान मंदिरों की बड़ी शृंखला तैयार हो गई।

    भारत में भक्तों के लिए वृंदावन का इस्कान मंदिर आस्था का केंद्र बनाया। 1975 में भारत में पहला इस्कान मंदिर वृंदावन में बनवाया।

     

    Shreel Paad Prabhu

    इस्कॉन के संस्थापक श्रील पाद महाप्रभु। 

     


    यहां स्थापित हैं इस्कान मंदिर


    इस्कान मंदिर दुनियाभर के कई देशों में स्थापित हैं। इनमें एशिया, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया व अमेरिका में मुख्य रूप से इस्कान मंदिरों की स्थापना हुई। भारत में वृंदावन के अलावा कर्नाटक के बंगलूरू , महाराष्ट्र के नवी मुंबई का मंदिर प्रमुख है। तो एशिया में इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, चीन, रूस के कई शहरों में इस्कान मंदिर है। अफ्रीका में केन्या, डरबन में, आस्ट्रेलिया के कृष्ण गांव व न्यूजीलैंड में चार मंदिर स्थापित हैं।

    यूरोप के रूस, यूक्रेन में इस्कान मंदिर स्थापित हैं। उत्तरी अमेरिका के कनाडा, अमेरिका में इस्कान के प्रमुख मंदिर स्थापित हैं। लेकिन, इस्कान का मुख्यालय पश्चिम बंगाल के मायापुर में स्थापित है।



    दुनिया भर के भक्त देंगे भावांजलि


    इस्कान संस्थापक श्रील प्रभुपाद का 25 अक्टूबर को 48वां तिरोभाव महोत्सव मनाया जाएगा। इस्कान मंदिर प्रवक्ता रविलोचन दास ने शुक्रवार को बताया इस्कान संस्थापक श्रील प्रभुपाद का 48 वां तिरोभाव महोत्सव 25 अक्टूबर को मंदिर में धार्मिक अनुष्ठानों के साथ मनाया जाएगा।

    सुबह 4.10 बजे समाधि पूजन, 4.30 बजे मंदिर में मंगला आरती, तुलसी पूजन, हरेराम महामंत्र का जप, 7 बजे समाधि दर्शन, 7.25 बजे गुरु पूजा, 8.20 बजे भजन, दोपहर 12.30 से 1.30 बजे तक श्रील प्रभुपाद के विग्रह का महाभिषेक, 1.30 बजे पुष्पांजलि, 2 बजे इस्कान गोशाला में उत्सव और शाम 5 बजे से श्रील प्रभुपाद की कुटिया के दर्शन भक्तों को होंगे।


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