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    बांके बिहारी मंदिर में एक नंबर गेट से मिला प्रवेश, सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने पर मची खलबली

    Updated: Fri, 24 Oct 2025 10:28 AM (IST)

    ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर की उच्चाधिकार प्रबंधन समिति ने प्रवेश और निकास के लिए नियम तय किए थे, जिसके अनुसार प्रवेश गेट दो और तीन से, और निकास गेट एक और चार से होना था। वीआईपी प्रवेश गेट दो या पांच से ही अनुमत था। हाल ही में, एक वीडियो प्रसारित हुआ है जिसमें श्रद्धालुओं को गेट नंबर एक से प्रवेश करते दिखाया गया है, जो नियमों का उल्लंघन है।

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    सीओ सदर की मौजूदगी में एक नंबर गेट से वीआइपी कटहरे में पहुंचाए गए श्रद्धालु

    संवाद सहयोगी, जागरण, वृंदावन! ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में जिन पर व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी है, वही इसमें लापरवाही कर रहे हैं। गुरुवार शाम कुछ श्रद्धालुओं को नियमों को ताक पर रखकर गेट संख्या एक से प्रवेश दिया गया, वह वीआइपी कटहरा तक भी पहुंच गए।

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    उच्च न्यायालय एवं उच्चाधिकार प्रबंधन समिति द्वारा तय किए नियमों के अनुसार गेट संख्या एक निकास द्वार है। वीआइपी के प्रवेश के लिए गेट संख्या दो या पांच का ही उपयोग किया जा सकता है।

    ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में गुरुवार शाम कुछ श्रद्धालु जो पुलिस सुरक्षाघेरे में मंदिर के दर्शन के लिए आए थे। उन्हें मंदिर के गेट संख्या एक से प्रवेश दिलाकर वीआइपी कटहरे तक पहुंचाया गया। श्रद्धालुओं के साथ पुलिस का सुरक्षा घेरा साथ था और सीओ सदर संदीप सिंह भी सुरक्षा घेरे की अगुवाई कर रहे थे। देर शाम इसका वीडियो इंटरनेट मीडिया में प्रसारित हो गया।

    इस मामले में सीओ सदर संदीप सिंह का कहना है कि बांकेबिहारी मंदिर में दिन में कई बार वीआइपी को दर्शन कराने जाता हूं। सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के जज बांकेबिहारी के दर्शन करने के लिए आते ही रहते हैं।

    मंदिर के गेट एक से भी बड़े वीआइपी को दर्शन कराए जा सकते हैं। किसने कह दिया कि गेट एक से वीआइपी को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। यदि गेट एक से प्रवेश का वीडियो प्रसारित हो रहा है तो कोई भी बना सकता है और प्रसारित कर सकता है।

    ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर उच्चाधिकार प्रबंधन समिति ने भी अपनी बैठक में मंदिर में दर्शन व्यवस्था बनाते करते समय तय किया था कि मंदिर में प्रवेश के लिए गेट संख्या दो व तीन निकास के लिए गेट संख्या एक व चार रहेगा। जबकि वीआइपी एंट्री गेट संख्या दो अथवा पांच से ही होगी।


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    -दिनेश गोस्वामी, सेवायत सदस्य: उच्चाधिकार प्रबंधन समिति।