Mathura News: सख्त स्वभाव, कड़े प्रशासनिक फैसले के लिए जाने जाएंगे पुलकित खरे; नए डीएम बने शैलेंद्र कुमार सिंह
Mathura DM Pulkit Khare Transfer मथुरा में पुलकित खरे का कार्यकाल एक साल से कम रहा है। इस दौरान उन्होंने बहुत की महत्वपूर्ण फैसले लिए। पुलकित खबरे अपने आवास पर किसी से मिलते नहीं थे। इस कारण जनप्रतिनिधियों को रास नही आ रही थी कार्यशैली। नए डीएम शैलेंद्र कुमार सिंह के सामने जन्माष्टमी से पहले बहुत चुनौतियाें का सामना करना होगा।
मथुरा, जागरण संवाददाता। शासन की तबादला एक्सप्रेस में डीएम मथुरा का ट्रांसफर कर दिया गया है। जिले में अपने तीखे तेवर और कड़ी प्रशासनिक कार्य शैली के लिए पहचान बनाने वाले पुलकित खरे मथुरा में केवल 348 दिन ही डीएम रह सके। इस दौरान उनका कई बार विवादों से नाता भी रहा। लेकिन कई अच्छे कार्यों के लिए वह जाने जाएंगे। जनप्रतिनिधियों को भी उनकी कार्यशैली रास नहीं आ रही थी।
अवैध कालोनियों पर चलवाया था बुलडोजर
बीते वर्ष 19 सितंबर को 2010 बैच के आइएएस अधिकारी पुलकित खरे को डीएम की जिम्मेदारी दी गई थी। विकास कार्यों का समयबद्ध तरीके से निष्पादन कराने के लिए वह काफी चर्चा में रहे। 2016 से लंबित मथुरा-गोवर्धन सड़क के चौड़ीकरण कार्य को सख्ती से पूरा कराने का श्रेय भी पुलकित खरे को जाता है। अवैध रूप से बस रही कालोनियों पर ध्वस्तीकरण की करवाई लंबे समय बाद पुलकित खरे के आदेश पर ही की गई।
आवास पर किसी से मुलाकात नहीं करते थे पुलकित खरे
पुलकित खरे की कार्यशैली का कुछ लोग विरोध भी करते रहे। इसके पीछे प्रमुख कारण यह रहा कि वह अपने आवास पर किसी से मुलाकात नहीं करते थे। आंगनवाड़ी केंद्र की समस्याओं के सहयोग से सूरत बदलने का काम भी उनके द्वारा किया गया। विकास प्राधिकरण के कार्यों की जांच कराने को लेकर भी वह काफी चर्चा में रहे। सख्त रुख के चलते उनके तबादले की कई बार चर्चा उठी। लेकिन तबादला नहीं हुआ ।
जन्माष्टमी से पहले तबादला
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी जैसे महत्वपूर्ण त्योहार से ठीक पहले उनका तबादला हो गया। नए डीएम शैलेंद्र कुमार सिंह के लिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भीड़ नियंत्रण और ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती की व्यवस्था चुनौती पूर्ण होगी। मथुरा वृंदावन मार्ग को कदम्ब पथ के रूप में विकसित उन्होंने ही किया। पुलकित खरे को शासन ने अभी कहीं चार्ज नहीं दिया है। दो दिन पूर्व हापुड़ में अधिवक्ताओं पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में ज्ञापन देने गए अधिवक्ताओं से ज्ञापन न लेने के कारण उनके विरोध में अधिवक्ता आ गए और हड़ताल की घोषणा की। हालांकि दो दिन बाद ही उन्होंने बार एसोसिएशन सभागार पहुंचकर ज्ञापन लिया।
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