मंडी परिसर में रावण को नहीं मिली जगह, एसडीएम तक पहुंचा मामला... कोसीकलां रामलीला संस्थान असमंजस में
कोसीकलां में रामलीला संस्थान को दशहरा आयोजन के लिए मंडी परिसर में जगह की कमी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि यह धान की फसल से भरा है। कुंभकरण वध लीला जैसे-तैसे हो पाई लेकिन रावण वध को लेकर असमंजस है। संस्थान ने एसडीएम से जगह की मांग की है। भरत मिलाप में काशी के कलाकार डमरू बजाएंगे जो आकर्षण का केंद्र होंगे।

संसू, जागरण, कोसीकलां/मथुरा। रामलीला संस्थान इस बार मुश्किल में है। मंडी परिसर में दशहरा मेला के लिए जगह तक नहीं बची है। पूरा मंडी परिसर धान की फसल से भरा है। बुधवार को बमुश्किल कुंभकरण के पुतले को जगह मिल सकी, लेकिन रावण इससे वंचित रह गया। इसको लेकर संस्थान के पदाधिकारियों ने एसडीएम से जगह उपलब्ध कराने की मांग की है, ताकि दशहरा का भव्य आयोजन हो सके।
धान की फसल से मंडी परिसर भरा, श्रीराम महोत्सव के लिए नहीं बची जगह
श्रीरामलीला महोत्सव के तहत कुंभकरण वध लीला एवं दशहरा पर रावण वध लीला नगर की मंडी परिसर में कई वर्ष से होती आ रही है। हाल ही में हुई वर्षा से किसानों ने अपनी धान की फसल को मंडी में पहुंचा दिया है। पूरा मंडी परिसर धान की फसल से भर गया है। बुधवार को कुंभकरण वध लीला कम जगह में बमुश्किल हो सकी। लेकिन, गुरुवार को दशहरा पर होने वाली रावण वध लीला व पुतला दहन कार्यक्रम को लेकर असमंजस बना है।
कुंभकरण के पुतला को बमुश्किल मिली जगह, संस्थान के पदाधिकारी चिंतित
श्रीरामलीला संस्थान के पदाधिकारी रावण वध लीला के आयोजन के लिए जगह उपलब्ध कराने के लिए बुधवार को एसडीएम छाता से मिले। लेकिन, देर शाम तक जगह नहीं मिल सकी है। इससे संस्थान के अध्यक्ष अजय मंगला आदि खासे नाराज हैं। थानाध्यक्ष अजय कौशल ने बताया लगातार प्रयास हो रहा है कि जगह उपलब्ध हो जाए। श्रीरामलीला संस्थान के अध्यक्ष अजय मंगला ने कहा कि अभी तक कोई समुचित व्यवस्था नहीं हो पाई है।
भरत मिलाप में काशी के कलाकार बजाएंगे डमरू
भरतमिलाप मेले में वैसे तो दो दर्जन से अधिक झांकियां आकर्षण का केंद्र रहेंगी, साथ ही भगवान श्रीराम जिस पुष्पक विमान में सवार होकर अवधपुरी भरत मिलाप चौक तक आते हैं। वह पुष्पक विमान भी देखते ही लोगों के लिए मनमोहक बन जाता है। इस बार नगर पालिका परिषद बड़ी भूमिका निभा रही है। पालिका अध्यक्ष धर्मवीर अग्रवाल ने बताया कि इस बार के मेले में भगवान शिव की धरती काशी से डेढ़ दर्जन कलाकारों का एक दल आ रहा है, जो डमरू वादन के साथ-साथ शंख नाद कर लोगों के आकर्षण का केंद्र बनेगा।
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