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यमुना में गिर रहे नाले, जल हो रहा प्रदूषित

कोरोना क‌र्फ्यू के दौरान यमुना जल में हुआ था सुधारफैक्ट्री कारखानों के साथ अनलाक होने का फिर दिखने लगा यमुना पर प्रदूषण का असर

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Jul 2021 06:12 AM (IST)Updated: Sun, 18 Jul 2021 06:12 AM (IST)
यमुना में गिर रहे नाले, जल हो रहा प्रदूषित
यमुना में गिर रहे नाले, जल हो रहा प्रदूषित

जागरण संवाददाता, मथुरा: कान्हा की नगरी में यमुना एक बार फिर प्रदूषण की शिकार होने लगी है। कोरोना क‌र्फ्यू में यमुना की कलकल ने श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित किया था। लेकिन एक बार फिर अब यमुना का आंचल फिर प्रदूषण से मैला होने लगा है। कालिदी का जल फिर आचमन योग्य नहीं रह गया। श्रद्धालु यमुना में गिर रहे नालों को गिरने से रोकने की मांग कर रहे हैं।

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शनिवार को यमुना के घाटों पर गंदगी का अंबार लगा हुआ देखने को मिला। हालांकि साफ-सफाई के लिए यहां पर कर्मचारी तैनात किए गए हैं, लेकिन उनके होने न होने का असर इसलिए दिखाई नहीं देता, क्योंकि अभी भी यमुना में नाले सीधे गिर रहे हैं। जिसकी वजह से यमुनाजल में प्रदूषण एक बार फिर बढ़ने लगा है। जबकि पिछले दिनों कोरोना क‌र्फ्यू के दौरान यमुना के जल में काफी सुधार हुआ था। प्रदूषण बढ़ने की वजह शहर में अब फैक्ट्री, कारखाने का चलना भी माना जा रहा है। विश्व धर्म रक्षक दल के अध्यक्ष विजय चतुर्वेदी का कहना है कि हथिनी कुंड के आगे 140 किमी तक यमुना पूरी तरह से सूखी हुई है। सरकार यमुना सफाई के नाम पर लाखों-करोड़ों रुपये का घोटाला कर रही है। शहर में जितना भी यमुना जल दिखाई दे रहा है। यह नालों का गंदा पानी है। उसी गंदे पानी को शहर के लोगों को पेयजल के लिए आपूर्ति की जा रही है। यमुना का प्रदूषण वर्ष 1980 से लेकर आज तक लगातार बढ़ता ही जा रहा है। जब तक नालों का यमुना में गिरना बंद नहीं होगा। तब तक यमुना जल साफ नहीं हो सकता है। उन्होंने यमुना जल को प्रदूषण मुक्त कराए जाने की प्रदेश के मुखिया से मांग की है। -नाले सीधे यमुना में ना गिरे। इसके लिए दो ट्रीटमेंट प्लांट बन रहे हैं। कोरोनाकाल की वजह से कार्य थोड़ा लेट हो गया है। नाला टेपिग का कार्य भी लगभग पूरा हो गया है। अगस्त में कार्य पूरा होने के साथ ही नालों का यमुना में गिरना बंद हो जाएगा।

योगेश शर्मा, परियोजना प्रबंधक - ड्रेनेज एवं सीवरेज इकाई - कोरोना क‌र्फ्यू में कारखाने, फैक्ट्री तथा बाजार सब बंद थे। लोग अपने-अपने घरों में थे। अब धीमे-धीमे सब खुलने लगा है। जिसकी वजह से प्रदूषण में अंतर आना स्वभाविक है। बारिश होने पर पूर्व की तरह प्रदूषण कम हो जाएगा।

अरविद कुमार, क्षेत्रीय कार्यालय - उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड


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