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    Dharmendra Death: बाहर से गरम और अंदर से नरम, कथावाचक ने सुनाया धर्मेंद्र से जुड़ा किस्सा

    By Raja Tiwari Edited By: Prateek Gupta
    Updated: Mon, 24 Nov 2025 07:38 PM (IST)

    वृंदावन में धर्मेंद्र के निधन पर शोक व्यक्त किया गया। आचार्य मृदुलकांत शास्त्री ने 2012 की एक कथा का स्मरण किया, जहां धर्मेंद्र माता-पिता के प्रसंग पर भावुक हो गए थे। धर्मेंद्र ने फूलचैन अग्रवाल परिवार के प्रति आभार व्यक्त किया, जिन्होंने उनके संघर्ष के दिनों में मदद की थी। 

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    मथुरा में चुनावी जनसभा के दौरान हेमामालिनी के साथ धर्मेंद्र। फाइल फोटो

    संवाद सहयोगी, जागरण, वृंदावन (मथुरा)। हीमैन कहे जाने वाले बालीवुड अभिनेता धर्मेंद्र के निधन की खबर से फिल्म जगत के साथ-साथ ब्रज में भी शोक की लहर है। वृंदावन के आचार्य मृदुलकांत शास्त्री ने उनके जीवन से जुड़े वे दुर्लभ संस्मरण साझा किए। 

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    आचार्य शास्त्री ने बताया कि वर्ष 2012 में मुंबई में आयोजित उनकी कथा में यजमान फूलचैन अग्रवाल थे। उसी दौरान धर्मेंद्र जी कथा सुनने पहुंचे थे। कथा में जब माता-पिता के प्रसंग का वर्णन हुआ तो धर्मेंद्र जी अत्यंत भावुक हो उठे।

    वे अपनी सीट से उठकर आंसू पोंछते हुए आए और बोले कि माइक दीजिए… जिस पर कहा कि उन्होंने माता-पिता पर इतना हृदय स्पर्शी प्रवचन आज तक नहीं सुना।

    इसके बाद धर्मेंद्र जी ने आचार्य मृदुलकांत शास्त्री को अपने घर निमंत्रित दिया और उस परिवार का आभार जताया, जिसने उनके संघर्षपूर्ण दिनों में उन्हें संभाला था।

    आचार्य शास्त्री ने बताया कि कथा के मंच पर ही धर्मेंद्र जी ने खुलकर स्वीकार किया कि उनके जीवन के सबसे कठिन दौर में फूलचैन अग्रवाल परिवार ने उन्हें सहारा दिया। उन्होंने कथा के दौरान बताया था कि फिल्मी दुनिया में शुरुआती दिनों में जब लगातार असफलताएं मिलीं, तो वे घर लौटने का मन बना चुके थे।

    तभी फूलचैन अग्रवाल परिवार ने उन्हें रोक लिया और कहा कि मुंबई में रहो, हम तुम्हारे रहने–खाने का ध्यान रखेंगे। परिवार ने न सिर्फ उन्हें घर दिया, बल्कि पहली फिल्म का संपूर्ण खर्चा, कपड़े, प्रेस, रेडियो और तमाम आवश्यकताएं सब अपने जिम्मे ले लीं।

    धर्मेंद्र जी ने भावुक होते हुए बताया था कि उन्होंने पहली फिल्म पूरी तो कर ली, लेकिन वह आज तक कभी रिलीज नहीं हो सकी। फिर भी उस परिवार ने उनका साथ नहीं छोड़ा। मृदुलकांत शास्त्री ने कहा कि धर्मेंद्र जी का हृदय बहुत कोमल था।

    उनके भीतर संस्कारों का समुद्र था। मां–बाप, गुरु और उपकार करने वालों के प्रति उनकी श्रद्धा असाधारण थी।

    धर्मेंद्र जी के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय सिनेमा का एक उज्ज्वल सितारा अस्त हुआ है, लेकिन उनके संस्कार, भव्यता और इंसानियत हमेशा दिलों में जीवित रहेंगे।

     

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