बांकेबिहारी मंदिर में चल रही सेवायतों की मनमानी, श्रद्धालुओं के लिए दर्शन की नई व्यवस्था को भी नकारा
बांकेबिहारी मंदिर में सेवायतों द्वारा श्रद्धालुओं के लिए दर्शन की नई व्यवस्था के आदेश की अनदेखी की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाईपावर मैनेजमेंट कमेटी के आदेशों का पालन नहीं हो रहा है जिसमें दर्शन का समय बढ़ाने का आदेश भी शामिल है। अब तक केवल वीआइपी पर्ची पर ही रोक लग पाई है।

जागरण संवाददाता, वृंदावन। ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर प्रबंधन के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हाईपावर मैनेजमेंट कमेटी का गठन तो कर दिया, लेकिन सेवायत कमेटी के आदेश नहीं मान रहे।
कमेटी ने मंदिर में दर्शन का समय बढ़ाया तो सेवायत उसे भी मानने को तैयार नहीं हैं। तीन दिन बीत जाने के बाद भी गुरुवार तक सेवायतों ने दर्शन के लिए नई समय सारिणी का पालन नहीं किया। कमेटी ने अब तक तीन आदेश किए हैं। इनमें से केवल वीआइपी पर्ची सिस्टम से दर्शन पर रोक लग सकी है।
कमेटी के सचिव व डीएम सीपी सिंह का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर की व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने के लिए कमेटी गठित की है। हम पूजा-पद्धति में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं। श्रद्धालुओं की सुविधाओं को देखते हुए सेवायतों को भी इसमें सहयोग करना चाहिए। कमेटी के आदेश का अनुपालन कराया जाएगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता आरके अग्रवाल का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी हाईपावर है। जब सरकार ने न्यास का एक्ट बनाया तो हाई कोर्ट का दखल अपने आप खत्म हो गया। मेरा मानना है कि हाईपावर कमेटी का आदेश न मानना, सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है। यह सीधे तौर पर न्यायालय की अवमानना है।
मंदिर में व्यवस्था प्रबंधन के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश अशोक कुमार की अध्यक्षता में गठित कमेटी में मंदिर के चार सेवायत भी शामिल हैं।
29 सितंबर को बैठक में मंदिर में दर्शन करीब ढाई घंटे बढ़ाने का निर्णय 30 सितंबर से ही लागू करने का निर्णय लिया गया। मंदिर प्रबंधन कमेटी ने नई समय सारिणी भी जारी कर दी। सेवायत इसे मानने को तैयार नहीं हैं।
तीन दिन बाद गुरुवार को भी सेवायतों ने दर्शन के नए समय पर मंदिर के पट नहीं खोले। कमेटी ने रेलिंग लगाकर कतारबद्ध होकर श्रद्धालुओं को दर्शन कराने का निर्णय लिया था। यह व्यवस्था भी लागू नहीं हो सकी है। कमेटी के वीआईपी पर्ची दर्शन संबंधी आदेश को ही अभी लागू किया गया है।
सेवायत ने यह उठाया मुद्दा
सेवायतों का कहना है कि 2022 में प्रशासन ने सिविल जज जूनियर डिवीजन से मंदिर में दर्शन का समय बढ़वाया था। तब सेवायतों की याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने समय वृद्धि पर रोक लगा दी थी।
सेवायतों का कहना है कि हाई कोर्ट के फैसले के आगे हम कमेटी का आदेश क्यों मानें। कमेटी यह लिखकर दे कि हाई कोर्ट का आदेश नहीं माना जाएगा।
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