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    Banke Bihari Mandir: आज से जगमोहन में बैठकर फूल बंगला में दर्शन, बांकेबिहारी मंदिर का ये है समय

    Updated: Tue, 08 Apr 2025 08:25 AM (IST)

    वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर में आज से फूल बंगला शुरू हो गया। गर्मी से राहत देने के लिए चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से ठाकुर के मंदिर में सुबह और शाम को फूल बंगला सजेगा।ठाकुर जी मंगलवार से मंदिर के गर्भ गृह से बाहर आकर जगमोहन में विराज दर्शन देंगे। फूल बंगला की रीति और दर्शन की ये प्रीत हरियाली तीज तक निभाई जाएगी।

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    Vrindavan News: वृंदावन के ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर का सांकेतिक फोटो।

    संस, जागरण l वृंदावन। ग्रीष्म ऋतु का प्रभाव बढ़ने लगा है। गर्मी में लाला परेशान न हो जाएं इसलिए, परंपरा के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी मंगलवार से ठाकुर के मंदिर में सुबह और शाम को फूल बंगला सजेगा। प्रकृति के प्रति सम्मान और प्रभु के प्रति श्रद्धा का प्रतीक फूल बंगला बांकेबिहारी जी को शीतलता प्रदान करेगा।

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    ठाकुर जी मंगलवार से मंदिर के गर्भ गृह से बाहर आकर जगमोहन (बरामदा) में विराज दर्शन देंगे। फूल बंगला की रीति और दर्शन की ये प्रीत हरियाली तीज तक निभाई जाएगी। रंग-बिरंगे विभिन्न किस्म के खूबसूरत फूलों की महक के बीच ठाकुर जी के दिव्य दर्शन करके श्रद्धालु भी आनंदित होंगे।

    वृंदावन के उपवनों में कान्हा ने बाल्यावस्था में अपनी लीलाएं की थीं। इसलिए, वृंदावन में उनकी बाल रूप में सेवा की जाती है। ऋतु के अनुसार, ठाकुर जी की सेवा का विधि-विधान बदल जाता है। आचार्य गोपी गोस्वामी बताते हैं कि स्वामी हरिदास ने ठाकुर बांकेबिहारीजी के लिए फूल बंगला की शुरुआत की थी। इसी को आज तक सेवायतों ने परंपरा बना रखा है।

    ये है मान्यता

    मान्यता के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से ठाकुरजी के लिए फूल बंगला सजाने शुरू हो जाते हैं। इस बार ये एकादशी आठ अप्रैल मंगलवार को है। इसे कामदा एकादशी भी कहा जाता है। मंगलवार से ही बांकेबिहारी मंदिर में सुबह और शाम फूल बंगला सजने शुरू हो गए। अब से ठाकुर जी जगमोहन में विराजकर दर्शन देंगे। फूल बंगला और जगमोहन में दिव्य दर्शन का सिलसिला श्रावण मास की हरियाली तीज (24 जुलाई) तक चलेगा।

    केवल अक्षय तृतीया को फूलबंगला नहीं सजाया जाता। इस दिन ठाकुरजी गर्भगृह में चरण दर्शन देते हैं। ठाकुरजी के चरणों में इन दिनों चंदन का लड्डू अर्पित किया जाता है।

    इसलिए बंगला बनने की तिथि हैं तय

    मंदिर सेवायत आचार्य गोपी गोस्वामी बताते हैं कि स्वामी हरिदास ने साढ़े पांच सौ साल पहले जब ठाकुर बांकेबिहारीजी का प्राकट्य किया, तो निधिवन की निकुंज में ही सेवा करते थे। उस समय गर्मी से राहत देने के कोई कृत्रिम उपाय न थे। इसलिए स्वामी हरिदास ने ही चैत्र मास की एकादशी जबकि सूर्य का तेज बरसना शुरू होता है, इसी दिन से फूलबंगला बनाकर ठाकुरजी को शीतलता प्रदान करना शुरू किया।

    स्वामीजी के समय केवल रायबेल से फूलबंगला सजाए जाते थे, जिससे शीतलता के साथ सुंदर महक भी मिलती थी। चूंकि सूरज के तेज में गिरावट होने के साथ हरियाली तीज को ठाकुरजी स्वर्ण-रजत हिंडोले में विराजते हैं, तो फूलबंगला सजना बंद हो जाता है। 

    ये है मंदिर का समय

    ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में गीष्मकालीन दर्शन का समय सुबह पौने आठ बजे से दोपहर 12 बजे और शाम को साढ़े पांच बजे से रात नौ बजे तक का है।

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    फूल बंगला की है अपनी थीम

    फूलबंगला की भाव परंपरा के अनुसार अपनी थीम है। फूल बंगला की थीम में छोटी वृंदावनी, वृंदावनी, तीन टेड़ का बंगला, चौकोर बंगला, दो मंजिला बंगला, तीन मंजिला बंगला के अलावा बंगला में उपयोग होने वाली टटिया के रूप में बंगले में छज्जे, तिवारी, बगली भी शामिल होती हैं।