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    Mathura News: औरंगजेब ने मंदिर तोड़ खड़ी की शाही मस्जिद, कनिंघम ने कराई खोदाई तो मिले थे मंदिर के प्रमाण

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Saxena
    Updated: Wed, 10 May 2023 08:44 AM (IST)

    Mathura Shri Krishna Janmabhoomi Case श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर का मामला अदालत में है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पहले महानिदेशक ने पुस्तक में बताई मंदिर की भव्यता। न्यायालय में अलेक्जेंडर की पुस्तक के महत्वपूर्ण साक्ष्य के रूप में किया गया प्रस्तुत।

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    Mathura Shri Krishna Janmabhoomi Case: कनिंघम ने कराई खोदाई तो मिले थे मंदिर के प्रमाण

    मथुरा, जागरण टीम, (विनीत मिश्र)। श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में स्थित ठाकुर केशवदेव (केशव राय) मंदिर को तोड़ औरंगजेब ने वहां शाही मस्जिद ईदगाह खड़ी कर दी। ये मामला न्यायालय में विचाराधीन है। वादी न्यायालय में साक्ष्यों को प्रस्तुत कर रहे हैं। इन्हीं में एक महत्वपूर्ण साक्ष्य है, अलेक्जेंडर कनिंघम की किताब आर्कोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया।

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    मिले थे हिंदू मंदिर के कई चिन्ह

    कनिंघम में जन्मस्थान परिसर में खोदाई कराई थी। तब हिंदू मंदिर के कई चिन्ह मिले। ये देख कनिंघम भी आश्चर्यचकित था। अपनी पुस्तक में कनिंघम में इसकी जानकारी दी, जिसे न्यायालय में साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की स्थापना 1861 में हुई थी, तब इसके पहले महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम थे। 1861 से 1864 के बीच उन्होंने यहां कई बार खोदाई कराई। तब उन्हें हिंदू मंदिर होने के प्रमाण मिले। अलेक्जेंडर कनिंघम ने बाद में एक पुस्तक लिखी आर्कोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया, इसके पेज संख्या 236 में कनिंघम ने पूर्व में स्थित केशवराय मंदिर का उल्लेख किया है।

    केशव राय लिखा मिला पत्थर मिला

    खोदाई के दौरान जो प्रतीक चिन्ह मिले, उसके बारे में कनिंघम ने कहा कि एक पत्थर ऐसा मिला, जिसमें वत 1713 फाल्गुन लिखा था। लेकिन उसके आगे का सम कटा था। ऐसा लगता है कि ये संवत 1713 था। एक अन्य पत्थर मिला, जिसमें केशव राय लिखा था। उन्होंने पुस्तक में लिखा कि केशवराय के मंदिर की नींव का बड़ा हिस्सा अभी भी मस्जिद के पीछे पाया जा सकता है।

    वादी पक्ष ने दिया हवाला

    श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले को लेकर न्यायालय में वाद दायर करने वाले अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं कि अलेक्जेंडर कनिंघम ने पुस्तक में लिखा है कि मस्जिद की पिछली दीवार वास्तव में मंदिर की नींव पर बनाई गई है। कनिंघम ने पुस्तक में लिखा है कि यदि इस स्थान की लंबाई-चौड़ाई को देखा जाए, तो केशवदेव मंदिर भारत में सबसे बड़ा रहा होगा।

    पुस्तक को बनाया मजबूत साक्ष्य

    वादी महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि उन्होंने न्यायालय में दायर वाद में अलेक्जेंडर कनिंघम की पुस्तक को मजबूत साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है। कनिंघम ने जब खोदाई कराई, तो उन्हें हिंदू मंदिर के साक्ष्य मिले थे। पुस्तक हमारे लिए न्यायालय में काफी उपयोगी साबित होगी।