विराट-अनुष्का ने 15 मिनट तक संत प्रेमानंद से की अध्यात्मिक बातें, मिला राधा नाम जप का आशीर्वाद
विराट कोहली और अनुष्का शर्मा वृंदावन में श्रीराधाकेलिकुंज आश्रम पहुंचे जहां उन्होंने संत प्रेमानंद महाराज से आशीर्वाद लिया। संत प्रेमानंद ने दंपती को राधा नाम का जाप करने का महत्व बताया और कहा कि इससे जीवन में बदलाव आएगा। विराट और अनुष्का ने संत के साथ आध्यात्मिक चर्चा की और गौरांगी शरण आश्रम का भी दौरा किया। संत प्रेमानंद ने भक्तियोग और आंतरिक शांति पर जोर दिया।

संवाद सहयोगी, जागरण, वृंदावन। Virat Kohli: भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी विराट कोहली टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के दूसरे दिन मंगलवार को पत्नी अनुष्का शर्मा के साथ संत प्रेमानंद का आशीर्वाद लेने श्रीराधाकेलिकुंज आश्रम पहुंचे। विराट कोहली व अनुष्का शर्मा ने करीब 15 मिनट संत प्रेमानंद से अध्यात्मिक चर्चा की।
करीब दो घंटे बीस मिनट तक आश्रम में ठहरे। इसके बाद विराट और अनुष्का बाराहघाट स्थित संत प्रेमानंद के गुरु गौरांगी शरण के आश्रम में उनका आशीर्वाद लेने पहुंचे। संत प्रेमानंद ने विराट व अनुष्का को मन से राधा नाम जप करने का आशीर्वाद दिया। कहा मन के अंदर से जब राधानाम का जप करोगे, तो जीवन में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
राधा नाम जप करने का आशीर्वाद
रमणरेती स्थित श्रीराधा केलिकुंज में पहुंचे विराट कोहली व अनुष्का शर्मा ने संत प्रेमानंद के सामने दंडवत किया। संत प्रेमानंद ने पूछा प्रसन्न हो, इस पर विराट ने मुस्कराकर कहा, जी। संत प्रेमानंद ने खूब आनंदित रहने व राधा नाम जप करने का आशीर्वाद दिया।
अनुष्का शर्मा ने संत प्रेमानंद से सवाल किया कि बाबा क्या नाम जप से सबकुछ पूरा हो जाएगा? तो संत पबोले बिल्कुल पूरा होगा। हमने इसका अपने जीवन में अनुभव किया है। 20 साल काशी विश्वनाथ में संन्यासी जीवन बिताया है, जहां सांख्ययोग, कर्मयोग, अष्टांग योग का अनुभव किया अब भक्तियोग में रमे हैं। कहा भगवान शंकर से बढ़कर कोई ज्ञानी नहीं। वह भी हरि शरणम हर समय जपते रहते हैं। भगवान शिव राम राम जपते रहते हैं।
संत प्रेमानंद ने प्रभु का विधान बताते हुए कहा जब प्रभु किसी पर कृपा करते है, तो ये वैभव नहीं, ये पुण्य है। पुण्य तो घोर पापी को भी उसके पिछले पुण्य से मिल जाता है। वैभव, यश बढ़ना भगवान की कृपा नहीं। भगवान की कृपा तो मन के अंदर के चिंतन से मिलती है। हमें अंदर का चिंतन बदलना है, ताकि अनंत जन्मों के संस्कार भस्म होकर अगला जन्म उत्तम मिले।
अंदर कृपा से परमशांति का रास्ता
बैर मुखी हम लोगों का स्वभाव बन गया है। जिसका मतलब बाहर यश, कीर्ति, लाभ, विजय से हमें सुख मिलता है। अंदर का कोई मतलब नहीं। अंदर के चिंतन से भगवान की कृपा तो मिलती है भगवान संत समागम देते हैं। भगवान की दूसरी कृपा होती है तो वे विपरीतता देते हैं। भगवान अंदर की कृपा से परमशांति का रास्ता देते हैं। ये रास्ता देकर भगवान जीव को अपने पास बुलाते हैं।
जितने भी महापुरुष हुए, उनका जीवन प्रतिकूलता से बदला है। प्रतिकूलता देखकर वैराग्य होता है। सबकुछ हमारे अनुकूल है तो आनंदित होकर भोग करते हैं। जब प्रतिकूलता आती है, तो ठेस पहुंचती है, कि कितना झूठा संसार है। अंदर से भगवान रास्ता देते हैं। जब प्रतिकूल समय आए ताे आनंदित होकर सोचें भगवान की कृपा हुई है, सत्मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिली है। सतमार्ग पर जीवन ले जाने पर अगले जीवन में श्रीवान, कुलवान, धनवान, वैभव संपन्न मिलेगा और भक्ति की अनुकूलता रहेगी।
संत प्रेमानंद ने कहा हम प्रिया-प्रियतम की उपासना करते हैं। राम में रा है वही रा है और धा जो है वह रस देने वाली वस्तु है। तो हम राधा-राधा-राधा का जप करते हैं। हमारी तार्किक व श्रद्धालु बुद्धि नहीं रही। संन्यासी की बुद्धि तर्क प्रधान होती है। हम भावुकता में राधा राधा प्रचार नहीं करते। स्वयं इसका स्वाद ले रहे हैं।
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