एक आया कर रही सात बच्चों की देखभाल
जागरण संवाददाता, मथुरा: राजकीय शिशु सदन में एक-एक आया पर सात-सात बच्चों की देखरेख की जिम्मेदारी है।
जागरण संवाददाता, मथुरा: राजकीय शिशु सदन में एक-एक आया पर सात-सात बच्चों की देखरेख की जिम्मेदारी है। इनमें आधा दर्जन से अधिक बच्चे मानसिक और शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं। शिशु सदन में मंगलवार तड़के दम तोड़ने वाली तीन माह की बच्ची सिद्धि की पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी जिला प्रोबेशन अधिकारी और बाल कल्याण समिति को नहीं मिली है। जिला प्रोबेशन अधिकारी ओपी यादव ने प्रथम दृष्टया बच्ची की मौत का कारण समय से पहले जन्म लेना और शारीरिक कमजोरी बताया है।
राजकीय शिशु सदन में दस साल तक की आयु वाले 50 बच्चे हैं। इनकी देखरेख के लिए सात आया बताई गई हैं। इनमें से एक लंबे समय से अवकाश पर हैं। दो आया ऐसी हैं जो शिशुओं की देखभाल के नाम पर सिर्फ लकीर पिटती हैं। बच्ची सिद्धि की देखरेख करने वाली आया गुलाबो भी स्वयं को दिव्यांग बताती है। बुधवार को गुलाबो ने शिशु सदन में आया की कमी की जानकारी देते हुए बताया है एक-एक आया पर कई-कई बच्चों की देखरेख की जिम्मेदारी है। शिशु सदन के प्रभारी अधीक्षक जेडी गौतम ने बुधवार को जिला प्रोबेशन अधिकारी ओपी यादव से मुलाकात की। श्री यादव ने बताया कि सदन के प्रभारी अधीक्षक के बयान लिए जाएंगे। बाल कल्याण समिति की सदस्य प्रतिभा शर्मा और सतीश शर्मा ने बताया कि प्रभारी अधीक्षक से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा है।
रोजाना दो बार नाश्ता, दो बार भोजन:: राजकीय शिशु सदन में बच्चों को सुबह आठ बजे नाश्ता, डेढ़ बजे भोजन, शाम चार बजे नाश्ता और रात में आठ बजे भोजन मिलता है। रोजाना नाश्ता और भोजन के मैन्यू भी अलग-अलग हैं।
रात में नहीं नर्स की डयूटी, वाहन भी नहीं: राजकीय शिशु सदन में दो नर्स रजनी और रूचि हैं। लेकिन रात में किसी की ड्यूटी नहीं लगाई जाती। रात में बीमार होने पर बच्चों को अस्पताल ले जाने के लिए यहां वाहन की भी सुविधा नहीं है।
रोजाना 17 लीटर गाय का दूध: शिशु सदन कर्मियों ने बताया कि यहां बच्चों को सेहत को ठीक रखने के लिए सुबह दस और शाम को सात लीटर दूध की खरीद होती है। इसके अलावा 24 घंटे में एक डिब्बे का दूध पिलाया जाता है। इतना दूध पीने के बाद भी अधिकतर बच्चे कमजोर नजर आते हैं।
मिड डे मील का दूध पीने से भी हो चुकी है मौत: इस साल मिड डे मील में बंटे पैकेट बंद दूध को पीने से डायट के समीप एक प्राथमिक विद्यालय में दो बच्चों की मौत हो गई थी। इस मामले में मिड डे मील का वितरण कराने वाली संस्था अक्षय पात्र और दूध कंपनी के खिलाफ रिपोर्ट खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा लिखाई गई थी।
साढे़ आठ माह में 343 सैंपल : खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग द्वारा बीते अप्रैल से अब तक दूध और अन्य खाद्य वस्तुओं के 343 सैंपल भरे गए। इसमें से अब तक 63 नमूने फेल आए। फेल नमूनों में दूध के भी कई सैंपल शामिल है। अभिहीत अधिकारी एके गुप्ता ने बताया कि दूध के फेल नमूनों में फैट की मात्रा कम मिलती है। इसका मतलब यह कि पानी की मिलावट की गई थी।
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