Mainpuri News: बच्चों के मेरी गली-मेरा स्वाभिमान से चमकी उपाध्यायजी गली, बचा खाना अब सड़क नहीं पशुओं का सहारा
Mainpuri News बच्चों की सोच फूली-फली तो चमक उठी उपाध्यायजी गली। निर्माणा फाउंडेशन के छात्र गली में हर रोज एकत्र करते हैं बचा हुआ खाना भेजते हैं गोशाला। क्षेत्रीय लोग भी आए साथ सेवा कार्य पर बनी फिल्म को ब्रज फिल्म महोत्सव में मिला पुरस्कार।

मैनपुरी, जागरण टीम, (दिलीप शर्मा)। बचा हुआ भोजन या सब्जियों का कचरा, हर घर में है। इसका निस्तारण भी एक समस्या है। बाहर फेंके, तो गंदगी और पशुओं का जमघट। कूड़ादान में डालें तो अन्न की व्यर्थ बर्बादी। इधर-उधर बिखरे भोज्य पदार्थों और उससे जनित गंदगी ने व्यथित बाल मन को सोचने को विवश कर दिया। हल निकालने के लिए चले चिंतन ने एक ऐसा निचोड़ दे दिया, जिसकी हर तरफ प्रशंसा हो रही है।
मेरी गली-मेरा स्वाभिमान अभियान
मेरी गली-मेरा स्वाभिमान, नाम देकर बच्चों ने अभियान शुरू कर दिया। बचे हुए खाने व सब्जियों को अपने स्तर से एकत्र करते हुए गोशाला तक पहुंचाने का बीड़ा उठा लिया। परिणाम स्वरूप गली साफ है, पशुओं का विचरण बंद है। बचा हुआ निवाला, गोशाला में पल रहीं गायों का सहारा बन चुका है। अब बड़े भी इस काम में हाथ बंटाने लगे हैं। खरगजीत नगर की उपाध्यायजी वाली गली में छह साल से लेकर 13 साल तक के लगभग 30 बच्चों ने मिलकर पूरे क्षेत्र की काया बदल दी है।
सड़क पर फेंक देते थे खाने का सामान
बीते साल के नवंबर से पहले तक गली में जगह-जगह गंदगी नजर आती थी। लोग घरों में बचने वाले खाने को सड़क पर ही फेंक देते थे। इसी गली में स्थित निर्माणा फाउंडेशन शिक्षण संस्थान में पढ़ने आने वाले अखंड, उत्कर्ष, माधव, अक्षिता, रक्षित, कार्तिकेय आदि बच्चों ने गंदगी और दुर्गंध को दूर करने का मन बनाया। खुद ही सफाई करना शुरू कर दिया। लोगों से अपील की, कचरा गली में न फेंके।
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इस काम में फाउंडेशन संचालक सौरभ उपाध्याय, गली के लोग भी जुड़ गए। अभियान को ‘मेरी गली-मेरा स्वाभिमान’ नाम दिया गया। इसके बाद नगर पालिका से एक हथठेला और दो डस्टबिन उपलब्ध कराए गए। तीन नवंबर से बच्चों ने घर-घर से बचा हुआ खाना एकत्र करना शुरू किया, जिसे पालिका के दो कर्मचारी रोज ले जाकर कान्हा पशु आश्रय स्थल में देते हैं। अब तक 17 कुंतल सामग्री एकत्र कर गोशाला भेजी जा चुकी है।
विश्व संवाद केंद्र ने दिया पुरस्कार
विश्व संवाद केंद्र की ओर से आगरा के ललित कला संस्थान में आयोजित फिल्म महोत्सव में निर्माणा फाउंडेशन के सौरभ उपाध्याय ने बच्चों द्वारा किए जा रहे सेवा कार्य पर तैयार चार मिनट की फिल्म को भेजी थी जिसे पुरस्कृत किया गया।
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हम रोज गली में गंदगी देखते थे। दुर्गंध भी परेशान करती थी। फिर सभी साथियों के साथ खुद ही मिलकर सफाई का फैसला किया। अब सब हमारे साथ हैं। -माधव, छात्र
हम सभी की पहल की तारीफ हो रही है। इससे बहुत अच्छा लग रहा है। इस मुहिम से जुड़े रहेंगे और दूसरे लोगों को भी प्रेरित करेंगे।- अक्षिता, छात्रा
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