Navratri 2025: महोबा में मां बड़ी चंद्रिका माता मंदिर, वीर आल्हा ऊदल की हैं आराध्य देवी
महोबा में स्थित माँ बड़ी चंद्रिका देवी मंदिर वीर आल्हा ऊदल की आराध्य देवी हैं। नवरात्र में यहाँ भक्तों की विशेष कृपा बरसती है। इतिहासकारों के अनुसार माँ की कृपा से ही चंदेल वंश का साम्राज्य 400 वर्षों तक चला। मंदिर में माँ चंद्रिका की 18 भुजाओं वाली विशाल प्रतिमा है। नवरात्र में नौ दिनों तक यहाँ विशाल मेला लगता है ।

सुशांत खरे, जागरण, महोबा। नवरात्र में वैसे तो सभी देवी मंदिरों में भक्त परिवार सहित पहुंचते है और पूजा अर्चना कर परिवार की सुख समृद्धि की कामना करते हैं। शहर के देश के 51 शक्तिपीठों में से एक ऐतिहासिक मां बड़ी चंद्रिका देवी मंदिर अपने आप में विशेष महत्व रखता है। यह देवी वीर आल्हा ऊदल की अराध्य हैं तो नवरात्र के सभी नौ दिन भक्तों पर इनकी विशेष कृपा बरसती है। इतिहासकार डा. एलसी अनुरागी बताते हैं कि मां की कृपा से ही 400 सालों तक चंदेलों का साम्राज्य चला।
पौराणिक कथाओं में मां बड़ी चंद्रिका देवी मंदिर मदन सागर सरोवर के पास ताराचंडी सिद्धपीठ के रूप में स्थित है। इन्हीं देवी को माता बड़ी चंद्रिका की ख्याति मिली है। मूर्ति स्थापना अति प्राचीन है। इस मंदिर में दिल्ली, मुंबई, उप्र व मप्र सहित विभिन्न प्रांतों से भक्त पहुंचकर आराधना और दान धर्म करते हैं। इतिहासकार बताते हैं कि चंदल नरेश चंद्रवर्मन ने खजुराहो में विशाल यज्ञ कराने के बाद 831 ईसवी में महोबा आकर देवी को अपना ईष्ट मानकर मूर्त रूप दिया।
मां चंद्रिका देवी के आशीष से ही चंदेलों का विजय अभियान शुरू होने की मान्यता है। चंदेलों का राज्य विस्तार 400 वर्षों तक चला और वीर योद्धा आल्हा ऊदल पर मातारानी की विशेष कृपा बनी रही। नवरात्र पर चंद्रिका देवी मंदिर परिसर में नौ दिवसीय विशाल मेले का आयोजन किया जाता है।
नौ दिनों तक यहां पर स्थित यज्ञशाला में विशाल यज्ञ और हवन पूजन कराया जाता है। दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पर आकर मातारानी के चरणों में माथा टेक पर खुशहाली की कामना करते हैं। पुजारी चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय ने बताया कि चारों पहर मातरानी के मुख का स्वरूप बदलता रहता है और कोई भी एक टक लगाकर ज्यादा देर तक माता को निहार नहीं पाता। उसके स्वयं आंसू निकल आते हैं।
इनके दर्शन से कल्याण होता है। मंदिर के अंदर मां चंद्रिका की 18 भुजाओं वाली 10 फिट से ज्यादा ऊंची प्रतिमा है। नवरात्र में यहां पूरे नौ दिन कन्या भोज, भंडारे के साथ ही अन्य धार्मिक अनुष्ठान किए जाएंगे।
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