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देशी रियासत चरखारी को चाहिए रेलवे सुविधा

संवाद सहयोगी चरखारी (महोबा) महोबा उरई वाया चरखारी-राठ रेलवे लाइन के लिए बजट मिले

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 04:59 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 04:59 PM (IST)
देशी रियासत चरखारी को चाहिए रेलवे सुविधा
देशी रियासत चरखारी को चाहिए रेलवे सुविधा

संवाद सहयोगी, चरखारी (महोबा) : महोबा उरई वाया चरखारी-राठ रेलवे लाइन के लिए बजट मिले तो घोषणा को धरातल पर उतारा जा सके। जब महोबा से खजुराहो रेलवे लाइन बिछाई जा रही थी उसी समय महोबा से उरई वाया चरखारी राठ रेलवे लाइन निर्माण की मांग उठाई गई थी।

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बुंदेलखंड के कश्मीर कहे जाने वाले कस्बा चरखारी को पर्यटन के रूप में विकसित कराने का सपना कई दशकों से दिखाया जा रहा है। देशी-विदेश के पर्यटकों को कस्बा तक लाने के लिए रेलवे का साधन आवश्यक है। अंग्रेजों के समय बना था प्रोजेक्ट

अंग्रेजी शासन के समय चरखारी रियासत को रेलवे से जोड़ने के लिए प्रोजेक्ट बना था, लेकिन राज शाही को चाटूकारों ने रियासत में अंग्रेजों का कब्जा व शासकों की नींद में खलल बताकर राजा ने रेलवे लाइन को चरखारी कस्बा से आठ किमी दूर सूपा की ओर करा दिया था। कुछ समय बाद ग्राम सूपा तिरहा में चरखारी रोड के नाम से पैसेंजर ट्रेन के चंद सेकेंड ठहराव का स्टेशन बना दिया था। आज भी यह रोड स्टेशन उपेक्षित है। पूर्व सांसद ने रखी थी मांग

वर्ष 1998 में हमीरपुर से तत्कालीन सांसद गंगा चरन राजपूत ने महोबा उरई वाया चरखारी राठ रेलवे लाइन निर्माण की मांग रखी थी। वर्ष 2004 में जालौन से तत्कालीन सांसद धनश्याम अनुरागी ने भी यह मांग को संसद में रखा था। वर्ष 2012 में चरखारी विधान सभा से विधायक बनीं पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कांग्रेस सरकार के तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री मुकल राय को 26 जुलाई 2012 को महोबा से भिड वाया चरखारी, राठ, उरई तक रेलवे लाइन निर्माण की मांग को लिए पत्राचार किया था। सपना जो पूरा न हुआ

व्यापारी राहुल बड़ौनिया, राम जी सोनी, आनंद स्वरूप का कहना है कि वर्ष 2014 में केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद पहले बजट में ही महोबा भिड रेलवे लाइन को स्वीकृति मिल गई है का जमकर प्रचार हुआ। और इसी खुशी में कस्बा के व्यापारिक व अन्य संगठनों ने वर्तमान सांसद पुष्पेंद्र सिंह चंदेल का आभार भी जताया था, लेकिन आजतक रेलवे लाइन निर्माण से संबंधित कोई काम नहीं हो रहा है। उम्मीद लिए आज भी चरखारी क्षेत्र के लोग बैठे है कि शायद इस बजट में ही कुछ हो जाए।


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