Nag Panchami 2025: नाग पंचमी पर अजीब है बुंदेलखंड की परंपरा, इस दिन नहीं तोड़ते नागबेल, पान से जुड़ा है रहस्य
बुंदेलखंड में नाग पंचमी का विशेष महत्व है। यहां पान की खेती करने वाले किसान नागदेवता को पान बेल का रक्षक मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं। नागपंचमी पर महोबा में भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है जिसमें चौरसिया समाज के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। इस दिन पान की बिक्री पर प्रतिबंध रहता है और नागौरिया मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

सुशांत खरे, जागरण, महोबा। Nag Panchami 2025: बुंदेलखंड की परंपराएं अपने आप में अनूठी है। आल्हा ऊदल की वीरभूमि देशावरी पान के लिए मशहूर है। यहां नागपचंमी पर होनी वाली पूजा का विशेष महत्व है। पान की खेती करने वाले किसान नागदेवता को पान बेल का रक्षक मानते हैं। 29 जुलाई को नाग पंचमी है, इस दिन इस परंपरा के लोग साक्षी होते हैं।
नागपंचमी पर उनकी शहर में भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है। पुलिस लाइन के पास पहाड़ पर स्थित नागौरिया मंदिर में नाग की पूजा, कीर्तन की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। खास बात है कि इस दिन निकलने वाली शोभायात्रा में चौरसिया समाज के हर घर से लोग शामिल होते है। इस दिन समाज का कोई भी व्यक्ति पान नहीं बेचता और न ही अपनी दुकान खोलता है।
नागदेव को मनाते आराध्य देव
समाज के लोग नागदेव को अपना आराध्य देव मानते हैं। लोगों की ऐसी मान्यता है कि नाग देवता उनकी पान की खेती में बढ़ोत्तरी करते हैं। पान की बेल को नागबेल भी कहा जाता है। शहर में नाग देवता की झांकी निकाल कर नागौरिया मंदिर पहुंचते हैं। झांकी के समय सबसे आगे झंडा लेकर चला जाता है और उसपर नागदेवता व पान का चिह्न होता है।
गोरखगिरि परिक्रमा पथ पर बना नागौरिया मंदिर। जागरण
नागौरिया मंदिर में होती खास पूजा
नाग पंचमी पर शहर के नागौरिया मंदिर में विशेष पूजा आराधना की जाती है। इस दिन पानमंडी से बैंडबाजों, डीजों, हाथी घोड़ों के साथ विशाल शोभायात्रा निकाली जाती है। समाज के लोग शोभायात्रा और झांकी का शहर में भ्रमण कराते हैं और नागौरिया मंदिर समापन करते हैं। यहां पर हवन पूजन और कीर्तन का आयोजन और प्रसाद वितरण किया जाता है। यात्रा में एक विशेष झंडा रहता है जिस पर नाग देवता व पान की चिंह बना होता है।
पान की बिक्री पर प्रतिबंध
नागपंचमी के दिन समाज के लोगों के विशेष पकवान बनाए जो हैं और पान की बिक्री पर भी प्रतिबंध रहता है। शहर के कलेक्ट्रेट के समीप स्थित नागौरिया मंदिर ऐतिहासिक है। यह गोरखगिरि की परिक्रमा पथ के किनारे है। इस चंदेलकालीन मंदिर में तमाम कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इतिहासकार डा. एलसी अनुरागी बताते हैं कि प्राचीन काल से नागौरिया मंदिर में पूजा अर्चना करने की परंपरा है। नीरज चौरसिया ने बताया कि नाग पंचमी के दिन न तो पान तोड़ा जाता है और न ही इसकी बिक्री की जाती है। समाज के लोग अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान पूरी तरह बंद रखते हैं। चौरसिया समाज के लोग नागदेव को अपना अराध्य मानते है और नागपंचमी को लेकर उनमें उत्साह देखा जा रहा है।
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पान मंडी से निकलेगी शोभायात्रा
नागपंचमी के अवसर पर मंगलवार को शहर के पानमंडी में चल रहे अखंड कीर्तन के समापन के बाद दोपहर करीब 2 बजे से भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। जो सुभाष चौक, ऊदल चौक, आल्हा चौक, पुलिस लाइन होते हुए नागौरिया मंदिर पहुंचेगी और यहां से विधिक विधान से पूजा अर्चन कर धार्मिक आयोजन किए जाएंगे।
जानें गोरखगिरि परिक्रमा का महत्व
चित्रकूट में वनवास काल दौरान भगवान श्रीराम माता सीता व लक्ष्मण जी करीब 12 साल तक रहे। मान्यता है कि गोरखगिरि पर्वत भी उनका वनगमन क्षेत्र रहा। यहां गुरु गोरखनाथ ने भी पर्वत पर तपस्या की थी। वहीं शिव जी की तांडव नृत्य करती प्रतिमा भी यहां स्थापित है। हर अमावस्या व पूर्णमासी को भक्त गोरखगिरि की करीब पांच किमी की परिक्रमा पूर्ण करते है। मान्यता है कि इस परिक्रमा का फल चित्रकूट के कामदगिरि की भांति ही मिलता है।
नागौरिया मंदिर में होती नागपंचमी पर विशेष पूजा
नागौरिया मंदिर गोरखगिरि की परिक्रमा पथ के किनारे स्थित एक प्राचीन मंदिर है। इतिहासकार बताते है कि यह मंदिर चंदेल काल का माना जाता है और नाग पंचमी के अवसर पर यहां विशेष पूजा और मेले का आयोजन होता है। नागपंचमी पर, चौरसिया समाज के लोग नाग देवता की पूजा करते हैं और नागौरिया मंदिर में शोभायात्रा निकालते हैं। मान्यता है कि यहां की पूजा अर्चना करने से पान की खेती में बढ़ोत्तरी होती है।
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