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    दर्दनाक; गले में रोटी का टुकड़ा फंसने से मासूम की तड़पकर मौत, बच्चे के साथ आप न करें ये गलती

    By abhisek dwivedi Edited By: Anurag Shukla1
    Updated: Sat, 16 Aug 2025 06:47 PM (IST)

    मध्य प्रदेश के जनपद छतरपुर थाना लवकुशनगर के ग्राम ज्योराहा निवासी कृष्णा की 11 माह की पुत्री वैष्णवी उसके साथ बैठी थी। पिता के मुताबिक वह खाना खा रहा था। तभी पुत्री ने रोटी का टुकड़ा अपने मुंह में डाल लिया। टुकड़ा उसके गले में फंस गया और उसकी मौत हो गई।

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    बच्ची के गले में रेाटी का टुकड़ा फंसने से मौत।

    जागरण संवाददाता, महोबा। जिंदगी कितनी नाजुक होती है, यह महोबा जिले में घटी दर्दनाक घटना से स्पष्ट हो गया। मध्य प्रदेश के जनपद छतरपुर थाना लवकुशनगर क्षेत्र के ग्राम ज्योराहा निवासी कृष्णा की 11 माह की मासूम पुत्री वैष्णवी की मौत ने सभी को झकझोर दिया।

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    पिता कृष्णा के अनुसार, वह घर पर भोजन कर रहा था और पुत्री पास ही खेल रही थी। तभी बच्ची ने रोटी का एक टुकड़ा उठाकर अपने मुंह में डाल लिया। पिता इस बात पर ध्यान नहीं दे पाए। अचानक बच्ची के गले में टुकड़ा फंस गया और वह रोने के साथ ही सांस लेने में तकलीफ महसूस करने लगी। घबराहट में परिवारजन तुरंत उसे गांव के अस्पताल लेकर पहुंचे।

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    गांव के चिकित्सक ने हालात गंभीर देखते हुए बच्ची को जिला अस्पताल महोबा रेफर कर दिया। परिवारजन आनन-फानन में उसे जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। चिकित्सकों ने जांच के बाद बच्ची को मृत घोषित कर दिया।

    जिला अस्पताल के चिकित्सक डा. नरेंद्र राजपूत ने बताया कि प्राथमिक जांच में यह प्रतीत होता है कि रोटी का टुकड़ा गले में फंस जाने से बच्ची को सांस नहीं मिल पाई। दम घुटने के कारण उसकी मौत हो गई। घटना से परिवार में कोहराम मच गया। स्वजन बिलखते हुए शव को घर लेकर लौट आए।

    इस दर्दनाक हादसे ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि छोटे बच्चों को भोजन कराते समय विशेष सतर्कता बरतना आवश्यक है। अक्सर मासूम अपनी मासूमियत में भोजन के टुकड़े, खिलौने या अन्य वस्तुएं मुंह में डाल लेते हैं, जिससे घुटन की स्थिति बन जाती है। साथ ही एक साल से कम उम्र के बच्चों को इस तरह की चीजें नहीं देनी चाहिए। परिवार के लोगों को इसका ख्याल रखना चाहिए।

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    सुझाव

    • छोटे बच्चों को कभी भी अकेले भोजन न करने दें।
    • भोजन को हमेशा छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर दें।
    • खाने के दौरान बच्चों पर लगातार निगाह रखें।
    • परिवारजनों को प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण लेना चाहिए, ताकि आपात स्थिति में बच्चे की जान बचाई जा सके।