इंटरसिटी एक्सप्रेस बनी सहारा... हमीरपुर में जब हादसे के बाद तीन किमी रिवर्स दौड़ी ट्रेन
बांदा जनपद के चहितारा गांव निवासी 40 वर्षीय सुरेंद्र वर्मा अपनी पत्नी सीमा पुत्र अर्पित व आयांश के साथ सिकरी गांव निवासी अपनी बहन गीता हालमुकाम सुमेरपुर के यहां आ रहे थे। इंटरसिटी से जाते वक्त गिर गए। इससे ट्रेन में शोर मच गया। ड्राइवर ने तीन किमी पीछे ट्रेन लिया और उन्हें लेकर अस्पताल में भर्ती कराया गया।

जागरण संवाददाता, हमीरपुर। मौदहा से सुमेरपुर जा रही इंटरसिटी एक्सप्रेस अचानक तीन किमी उल्टी दिशा में चलने लगी। ऐसा नहीं कि यह कोई तकनीकि समस्या थी या गलती से ट्रेन पीछे की ओर चलने लगी। ट्रेन के ड्राइवर ने पीछे की ओर से इसलिए लिया ताकि एक घायल की मदद की जा सके।
इंटरसिटी एक्सप्रेस से एक यात्री के गिरने पर गार्ड ने ट्रेन को रुकवाकर करीब तीन किलोमीटर ट्रेन को लेकर गए और घायल यात्री को अपने केबिन में लेकर ट्रेन को आगे बढ़ाया। सुमेरपुर पहुंचने पर उसे एंबुलेंस की मदद से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया। जहां से सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया।
बांदा जनपद के चहितारा गांव निवासी 40 वर्षीय सुरेंद्र वर्मा अपनी पत्नी सीमा पुत्र अर्पित व आयांश के साथ सिकरी गांव निवासी अपनी बहन गीता हालमुकाम सुमेरपुर के यहां आ रहे थे। पत्नी सीमा ने बताया कि मौदहा से ट्रेन चलने के कुछ देर बाद उसके पति सुरेंद्र ने लघुशंका की बात कहकर गेट की तरफ चले गए और तभी अचानक वह ट्रेन से नीचे गिर गए।
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यात्री के गिरने पर अन्य यात्रियों ने शोर मचाया। गार्ड ने यात्रियों के शोर को सुनकर ट्रेन को रुकवा दिया। घटना की जानकारी होने के बाद वह मौदहा एवं सुमेरपुर स्टेशन मास्टरों को सूचित करते हुए करीब तीन किलोमीटर तक ट्रेन को वापस बैक कर ले गए और घायल यात्री ट्रैक से उठाकर अपने केबिन में लेकर फिर ट्रेन को आगे बढ़वाया। स्टेशन पर ट्रेन पहुंचने पर घायल को प्लेटफार्म पर ही प्राथमिक उपचार दिया गया।
इसके बाद एंबुलेंस से पीएचसी लाया गया। हालत गंभीर होने पर उसे सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया। स्टेशन मास्टर अमानुउद्दीन ने बताया कि यात्री के घायल होने की सूचना प्राप्त हुई थी। जिस पर एंबुलेंस को बुलाकर यात्री को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भेज दिया गया है। प्लेटफार्म पहुंचे यात्री भार्गव मिश्रा ने बताया कि यात्री के गिरने के बाद उसे लाने के लिए तीन किमी. तक ट्रेन को बैक किया गया। रेल प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए एक युवक की जान बचाई। यदि ऐसा नही होता तो शायद दूसरी ट्रेन की चपेट में आने से यात्री की मौत भी हो सकती थी।
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