महोबा में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में घोटाला, राजस्थान-गुजरात तक जुड़े तार, प्रमुख सचिव कृषि को भेजी रिपोर्ट
महोबा में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। इस घोटाले में राजस्थान और गुजरात के लोगों के नाम भी शामिल हैं, जिससे योजन ...और पढ़ें
-1766316515342.webp)
जागरण संवाददाता, महोबा। महोबा में 40 करोड़ का प्रधानमंत्री फसल बीमा घोटाला हुआ है। इसके तार महाराष्ट्र से लेकर गुजरात तक के लोगों के नाम जुड़े हैं। अब प्रशासन ने शासन के प्रमुख सचिव कृषि को रिपोर्ट भेजी है। मामले का शासन के संज्ञान लेने से घोटालेबाजों में अफरा-तफरी मची हुई है। वहीं जांच में और तेजी के साथ ही असल चेहरों के नाम सामने आने की संभावना भी बढ़ गई है।
अन्य जिलों में रह रहे लाभार्थी
खास बात रही कि चकबंदी ग्रामों का हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र का बीमा कराकर भुगतान ले लिया। सामने आया कि राजस्थान, जालौन, मप्र, गुजरात आदि राज्यों व जिलों के लोगों ने भी लाभ लिया। सूत्रों की मानें तो ये वे लोग है जिनकी रिश्तेदारी उन गांव में है या वह चकबंदी वाले गांव के निवासी हो और अन्य राज्यों व जिलों में रह रहे हो। ग्रामीणों की जमीनों की जानकारी होने पर बटाईनामा लगाकर उनकी जमीन का बीमा करा लिया। जिनकी जमीन थी उन्हें पता नहीं चला और भुगतान बाहर रह रहे लोगों के खातों में चला गया।
30 लोगों को जेल भेजा जा चुका
दूसरा कारण यह है कि बीमा कंपनी के जिम्मेदारों ने ही अपने सगे संबंधियों व दोस्तों के नाम पर बीमा करा दिया। हालांकि यह जांच का विषय है। 2024 में हुए घोटाले के बाद अब खरीफ 2025 की पालिसियों में प्रशासन फूंक-फूंकर कदम रख चुका है। 52 हजार से अधिक पालिसियां निरस्त कर सही अभिलेखों के साथ आवेदन करने के लिए किसानों से कहा गया है। सीएससी संचालकों पर भी शिकंजा कसा जा रहा है। अब तक इस मामले में बीमा कंपनी इफको टोकियो के जिला प्रबंधक निखिल चतुर्वेदी समेत 30 लोगों को जेल भेजा जा चुका है। अब प्रमुख सचिव को रिपोर्ट भेजने के बाद शासन स्तर पर आगे क्या कार्रवाई होगी यह देखने वाली बात होगी।
जय जवान जय किसान एसोसिएशन सीबीआई जांच पर अड़े
124 दिनों से सदर तहसील में धरना दे रहे जय जवान जय किसान एसोसिएशन के अध्यक्ष गुलाब सिंह, मनोहर आदि सीबीआइ जांच की मांग पर अड़े है। 10 नवंबर को इसकी मांग को लेकर किसानों ने मुख्यमंत्री के जनता दरबार में मुख्य सचिव को पत्र सौंपा था। जिला कृषि अधिकारी दुर्गेश सिंह ने बताया कि प्रमुख सचिव व लखनऊ कृषि विभाग ने रिपोर्ट मांगी थी। इसे भेजा जा चुका है। कृषि मंत्रालय के रिपोर्ट तलब करने की जानकारी उन्हें नहीं है। हो सकता है लखनऊ से रिपोर्ट मांगी गई हो।
इस तरह किया गया फर्जीवाड़ा
फसल बीमा में फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों ने कंपनी से सांठगांठ कर ऐसे गांवों को चुना, जहां चकबंदी प्रक्रिया चल रही है। बीमा करने के लिए पोर्टल (प्रधानमंत्री फसल बीमा पोर्टल) पर भू-स्वामी व बटाईदार अपना बीमा करा सकता है। चकबंदी प्रक्रियावाले गांवों का डाटा प्रदर्शित नहीं होता, जिससे कोई भी 10 रुपये के स्टांप पर बटाईनामा बनवाकर जमीन पर बीमा करा सकता है। इसमें वह जो जानकारी भर देता है वह सही मानी जाती है। खाली स्टांप भी इसमें लगाया जा सकता है। उसी के कागजातों के आधार पर बीमा होता है। इसकी जांच बीमा कंपनी ही करती है। इसके बाद व्यक्ति टोल फ्री नंबर पर फोन कर नुकसान की जानकारी देता है। इसकी जांच भी बीमा कंपनी करती है और क्लेम पास कर भुगतान दे देती है। जाहिर है कहीं न कहीं बीमा कंपनी के लोग भी इसमें शामिल है। किसी भी मामले का सत्यापन नहीं किया गया। यदि सत्यापन कराया जाता तो शायद फर्जी भुगतान होने से बच जाता।
ऐसे खुला था पूरा घोटाला
जय जवान जय किसान संगठन के अध्यक्ष गुलाब सिंह बताते है कि उन्हें जानकारी हुई थी कि जिले में 89 करोड़ का फसल बीमा आया है। लेकिन संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि कई गांव के लोगों को रकम ही नहीं मिली। किसानों से बात की तो पता चला किसी के खाते में पैसा नहीं आया। ऐसे गांवों के गाटा संख्या का बीमा कराया गया जहां चकबंदी की प्रक्रिया चल रही है।किसानों ने गाटा संख्या जुटाए और वेबसाइट पर डालकर जानकारी की तो पता चला कि एक गाटा संख्या में कई पालिसी हो गई और बाहरी लोगों ने बीमा करा लिया। इसके बाद उन्होंने डीएम सहित उच्चाधिकारियोें को डाटा सौंपा। तहसील स्तर पर टीमें गठित हुई और बड़ा घोटाला सामने आया।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।