Pankaj Chaudhary: UP BJP चीफ बनने से पहले का इतिहास, पंकज चौधरी ने दो बाहुबलियों को कैसे चटाई थी धूल?
पंकज चौधरी को यूपी बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया है। 1991 में, उन्होंने वीरेंद्र प्रताप शाही जैसे बाहुबलियों को हराया। 1996 में हरिशंकर तिवारी को हराया। ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, महराजगंज। पंकज चौधरी को पराजित करने के लिए उस समय गोरखपुर के बाहुबलियों ने भी काफी जोर लगाया था, लेकिन उनके सरल व्यक्तित्व को महराजगंज की जनता ने स्वीकार कर उनके गले में विजय की माला पहना दी।
1991 के आम चुनाव में जब भाजपा ने उन्हें टिकट दिया तो मुकाबले में उस समय के बाहुबली वीरेंद्र प्रताप शाही खड़े थे। कांग्रेस ने जीतेंद्र सिंह व जनता दल ने हर्षवर्धन को टिकट दिया था।
चुनाव में पंकज चौधरी जहां 155650 मत पाकर विजयी हुए, वहीं जनता पार्टी से चुनाव लड़े वीरेंद्र प्रताप शाही 48700 मत पाकर चौथे स्थान पर थे।
दो बाहुबलियों को चटाई धूल
1996 के लोकसभा चुनाव का मुकाबला भी काफी रोमांचक रहा। भाजपा की तरफ से पंकज चौधरी चुनाव मैदान में थे तो उस समय के बाहुबली कहे जाने वाले पं. हरिशंकर तिवारी कांग्रेस (तिवारी) से मुकाबले में खड़े थे।

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बसपा की तरफ से हर्षवर्धन व समाजवादी पार्टी से कुंवर अखिलेश सिंह चुनाव लड़ रहे थे। चुनाव परिणाम आया तो पंकज चौधरी 182855 मत पाकर विजयी घोषित हुए, जबकि हरिशंकर तिवारी को 70610 मत मिले थे।
पिछड़े समाज में पंकज चौधरी की पकड़ रही मजबूत
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ओहदा पार्टी में हमेशा ठीक रहा है। इसी कारण भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद के चुनाव में भी पार्टी ने उनपर भरोसा जताया। पिछड़े समाज में इनकी मजबूत पकड़ के अलावा संगठन में इनको लेकर कभी गतिरोध सामने नहीं आया। शुरूआत से ही पार्टी की ओर से मिली जिम्मेदारी का बखूबी निवर्हन कर आगे बढ़ते चले गए।
इनके विरोधी भी इनके व्यक्तित्व की सराहना करते हैं। सात बार सांसद होने के बाद भी जनता से इनकी नजदीकी कम नहीं हुई। कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद करने में भरोसा रखते हैं। राजनीति के जानकार बताते हैं कि अपना दल व अन्य सहयोगियों से परंपरागत कुर्मी वोट को अपने ओर आकर्षित करने में पंकज चौधरी काफी मददगार साबित हो सकते हैं।
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1989 के शुरू किया राजनीतिक सफर
गोरखपुर के घंटाघर की हरबंश गली के अपने पैतृक आवास में 20 नवंबर 1964 में जन्मे पंकज चौधरी ने एमपी इंटर कॉलेज और गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातक तक की शिक्षा ग्रहण किया। गोरखपुर के उद्योगपति स्वर्गीय भगवती चौधरी एवं पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष उज्ज्वल चौधरी के छोटे सुपुत्र पंकज चौधरी ने गोरखपुर नगर निगम के पार्षद के तौर पर 1989 में राजनीति का सफर शुरू किया।
15 नवंबर 1964 में गोरखपुर के उद्योगपति परिवार में जन्मे पंकज चौधरी की शिक्षा शिक्षा गोरखपुर विश्वविद्यालय से हुई है।औद्योगिक घराने में जन्मे पंकज चौधरी ने राजनीति में कदम रखा और नगर निगम गोरखपुर में पार्षद बने और डिप्टी मेयर बने।
पंकज चौधरी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1989 में गोरखपुर नगर निगम में पार्षद का चुनाव लड़ने के साथ की थी। वो पार्षद के चुनाव में जीते थे। 1989 में ही गोरखपुर से कटकर महाराजगंज अलग जिला बना, जिसके बाद से पंकज चौधरी ने महराजगंज को अपनी राजनीति का केंद्र बनाया।

पार्षद के तौर पर शुरू राजनीति का सफर
पंकज चौधरी वर्ष 1990 में ही भारतीय जनता पार्टी के जिला कार्य समिति सदस्य हुए। 10 वीं लोकसभा में वर्ष 1991 में महराजगंज संसदीय सीट से भाजपा के सिम्बल पर सांसद चुने गए। 11 वीं और 12 वीं लोकसभा में वर्ष 1996, 1998 में सांसद चुने गए।
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आयुर्वेदिक तेल बनाती है पंकज चौधरी की कंपनी
राजनीति के साथ-साथ पंकज चौधरी एक बड़े बिजनेसमैन भी हैं। आयुर्वेदिक तेल 'राहत रूह' बनाने वाली मशहूर कंपनी हरबंशराम भगवानदास के मालिक हैं।
यह तेल खासतौर पर उत्तर प्रदेश और पूर्वांचल के इलाकों में बहुत लोकप्रिय माना जाता है। बिजनेस की वजह से भी उनकी पहचान एक प्रभावशाली नेता के रूप में बनी है और यही कारण है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में उन्हें किंग मेकर की छवि वाला नेता कहा जाता है।

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