UP: गैंडे को बहा लाई बाढ़, लौटने में मुसीबतों का 'पहाड़'
दो साल पहले नेपाल में आई बाढ़ में बहकर एक गैंडा भारतीय क्षेत्र में आ गया था और तब से वापस नहीं जा पाया है। नारायणी नदी और पहाड़ उसके रास्ते में बाधा बने हुए हैं। अब सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग गैंडे की वंश वृद्धि के लिए मादा गैंडा लाने की योजना बना रहा है। पहले भी 2017 में 16 गैंडे बहकर आए थे, जिन्हें बाद में वापस भेजा गया था। चितवन राष्ट्रीय उद्यान में नेपाल के अधिकांश गैंडे हैं।

बाढ़ में नेपाल से बह कर आने वाले गैंडे अपने से नहीं जा पाते चितवन राष्ट्रीय उद्यान
विश्वदीपक त्रिपाठी, जागरण, महराजगंज। नेपाल में दो वर्ष पूर्व आई बाढ़ में बह कर भारतीय क्षेत्र में आया गैंडा अपने घर चितवन राष्ट्रीय उद्यान नहीं जा पा रहा। सामने नारायणी नदी की तेज धारा व नेपाल के नवलपरासी पश्चिमी व पूर्वी जिले के बीच मौजूद पहाड़ बाधा बन कर खड़ा है। भारतीय क्षेत्र में बह कर आए गैंडों को नाव पर लाद कर नेपाल के वनकर्मी चितवन राष्ट्रीय उद्यान ले जाते हैं, लेकिन दो वर्ष से इस दिशा में कोई पहल न होने से गैंडा रिफ्यूजी बन महराजगंज के सोहगीबरवा व बिहार के जंगल में एकाकी जीवन जी रहा है।
ऐसे में सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग व वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के अधिकारी इस गैंडे के सहारे भारतीय वन्य क्षेत्र में गैंडों की वंश वृद्धि की योजना बना रहे हैं। इसके लिए असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान से मादा गैंडे को लाने की तैयारी चल रही है। नेपाल का चितवन राष्ट्रीय उद्यान, बिहार का वाल्मीकि टाइगर रिजर्व व सोहगीबरवा जंगल भौगोलिक रूप से आपस में जुड़े हैं।
बाघ, तेंदुआ, हिरण सहित अन्य वन्य जीव तो प्राय: एक दूसरे के वन क्षेत्र में विचरण करते हैं, लेकिन अपने विशालकाय शरीर के चलते गैंडे के लिए यह संभव नहीं हो पाता। वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया के परियोजना प्रमुख अरशद हुसैन ने बताया कि गैंडे पर ट्रैपिंग कैमरे से नजर रखी जा रही है। कुछ दिनों के लिए वह भारतीय सीमा के सटे नवलपरासी जिले में जाता है, लेकिन आगे अवरोध होने के चलते वह पुन: सोहगीबरवा जंगल में वापस आ जा रहा है। भारतीय क्षेत्र में गैंडे की वंश वृद्धि के लिए मादा गैंडे के लाने की योजना बनाई जा रही है।
आठ वर्ष पूर्व भी नेपाल से बह कर आए थे 16 गैंडे:
अगस्त 2017 में आई बाढ़ में 16 गैंडे नेपाल से बह कर भारतीय सीमा में आ गए थे। इनमें से एक की मृत्यु उसी समय कुशीनगर जिले की सीमा में नारायणी नदी के किनारे हो गई थी। 12 गैंडों को चितवन राष्ट्रीय उद्यान के वनकर्मी मई 2018 तक नाव से नारायणी नदी के रास्ते वापस ले गए थे। शेष तीन गैंडों को भी बारी-बारी नेपाल ले जाया गया। हालांकि बिना अनुमति गैंडों को लेकर जाने पर उस समय दोनाें देशों के वनकर्मियों के बीच तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वाल्मीकि टाइगर रिजर्व व सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग के अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा था।
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चितवन में हैं 694 गैंडे, नेपाल के चार जिलों में फैला है उद्यान:
नेपाल के गैंडों की संख्या 752 है। इनमें से चितवन राष्ट्रीय उद्यान में सर्वाधिक 694 गैंडे हैं। इसके अलावा बर्दिया राष्ट्रीय उद्यान में 38, शुक्ला फांट राष्ट्रीय उद्यान में 17 व परसा राष्ट्रीय उद्यान में तीन गैंडे हैं। चितवन राष्ट्रीय उद्यान 952 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है। नेपाल के नवलपरासी पूर्वी, चितवन, सरसा व मकवानपुर जिले में इसका विस्तार है।
चितवन राष्ट्रीय उद्यान से एक गैंडा बाढ़ के समय बह कर भारतीय क्षेत्र में गया है। इस संबंध में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व व सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग के अधिकारियों से वार्ता हुई है। गैंडा स्वस्थ है। फिलहाल उसे वापस लाने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है।
-अविनाश थापा मगर, सूचना अधिकारी, चितवन राष्ट्रीय उद्यान(नेपाल)
सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग के शिवपुर रेंज में लगभग दो वर्ष से रह रहे गैंडे पर नजर रखी जा रही है। कुछ दिन नेपाल व बिहार सीमा में रहने के बाद गैंडा पुन: सोहगीबरवा जंगल में आ जाता है। उसकी निगरानी के लिए ट्रैपिंग कैमरे भी लगाए गए हैं।
-निरंजन सुर्वे, प्रभागीय वनाधिकारी, सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग

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