UP के इस जिले में नहर के नीचे बहती है नदी, दोनों का पानी अलग-अलग
उत्तर प्रदेश में एक अनोखी इंजीनियरिंग देखने को मिलती है। यहाँ, देवरिया शाखा नहर के नीचे से एक नदी बहती है। नहर बनाते समय नदी के प्रवाह को बनाए रखने के लिए नहर के नीचे सुरंग बनाकर साइफन का निर्माण किया गया, जिससे नदी का पानी बिना किसी बाधा के बहता रहता है।

देवरिया जिले में 150 किमी यात्रा तय कर आपस मिलती हैं दोनों
जागरण संवाददाता, निचलौल। जिले में नेपाल सीमा से तीन किमी दूर ग्राम अमड़ी के पास नहर के नीचे से एक नदी दशकों पूर्व से सफलता पूर्वक बह रही है। इस सिविल इंजीनियरिंग के तकनीक से लोग अनजान हैं। वहीं सच्चाई जानने के बाद हैरान भी हो जाते हैं।
इस इंजीनियरिंग तकनीक पर पांच दशक बाद भी कोई असर नहीं पड़ा है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि यहां से निकल कर दोनों जहां विपरीत दिशा में हो जाती है। वहीं 150 किमी दूर जाकर दोनों एक दुसरे में मिल जाती है।
नेपाल सीमा से पश्चिमी गंडक नहर से निकलने वाली यह नहर देवरिया जिले में भटनी के पास इसी छोटी गंडक नदी में जाकर समा जाती है। नेपाल से निकलने वाली यह नदी यहां पर चाहे नहर के सामने छोटी दिखती हो लेकिन जैसे जैसे जैसे आगे बढ़ती इसका स्वरूप बढ़ता जाता है।यह नदी में देवरिया जिले के बिहार सीमा के निकट मेहरौना के पास घाघरा नदी में मिल जाती है।
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यहां इंटहिया मंदिर के बगल से होकर पहले से बह रही छोटी गंडक नदी को पार नहर निकालना सिंचाई विभाग के पास एक बड़ी चुनौती थी। यदि नदी का रास्ता बंद करते तो क्षेत्र में जलप्लावन व बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती। इस लिए नदी को बहने के लिए नहर के नीचे से रास्ता बनाया गया।
उसके उपर से नहर की संरचना तैयार की गई। जिसके चलते छह दशक बाद भी सिविल इंजीनियरिंग के अनोखे तकनीक से सुगमता पूर्वक नहर व नदी बह रहे हैं।इन दोनों का पानी अलग अलग बह रहा है। यह तकनीक इस जिले के किसानो के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
जब देवरिया शाखा नहर को निकाला गया तो बह रही नदी को पार करना एक बहुत मुश्किल काम था। जिसमें दोनों का प्रवाह अलग अलग हो। इसके लिए नहर के नीचे से सुरंग बनाकर दोनों तरफ साइफन का निर्माण किया गया जिससे होकर नदी का पानी निकल कर निर्बाध पूर्वक बहता है। चाहे नदी कितनी उफनाई हो नहर के ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
विनोद वर्मा, अधिशासी अभियंता सिंचाई महराजगंज
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