नेपाल से धूप की लकड़ी भारत में हो रही तस्करी, SSB जवानों ने रंगे हाथ पकड़ा
नेपाल से भारत में धूप की लकड़ी की तस्करी करते हुए एसएसबी जवानों ने कुछ लोगों को रंगे हाथों पकड़ा। सीमा पर निगरानी के दौरान यह कार्रवाई की गई। पकड़े गए तस्करों से पूछताछ जारी है और जब्त की गई लकड़ी को वन विभाग को सौंप दिया गया है। एसएसबी तस्करी रोकने के लिए लगातार अभियान चला रही है।

पिकअप में बरामद धूप की लकड़ी के साथ आरोपित व एसएसबी जवान। सौ. एसएसबी
अरविंद त्रिपाठी, नौतनवा। नेपाल के पहाड़ी इलाकों मधुबनी, खनुवा, मुस्तांग, सुर्खेत, पाल्पा और पर्वतीय जंगलों में मिलने वाली देवदार/धूप की लकड़ी की तस्करी इन दिनों अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बेखौफ तरीके से बढ़ गई है। लकड़ी को नेपाल के ऊपरी इलाकों से काटकर पहले सीमावर्ती गांवों तक पहुंचाया जाता है। इसके बाद कैरियर साइकिल, बोरी और पैदल रास्तों के जरिए इसे धीरे-धीरे भारत की सीमा में दाखिल कराते हैं।
नेपाल में धूप की लकड़ी 100–120 रुपये प्रति किलो मिलती है, जबकि भारत में यही लकड़ी 250–300 रुपये प्रति किलो बिकती है। यही अंतर तस्करी को बड़ा धंधा बना रहा है।
यह लकड़ी धार्मिक अनुष्ठान, धूपबत्ती, अगरबत्ती, आयुर्वेदिक दवाओं और सुगंधित वस्तुओं के निर्माण में प्रयुक्त होती है। पिछले तीन दिनों में यह दूसरा बड़ा खुलासा है। गुरुवार तड़के 66वीं बटालियन एसएसबी ने बरगदही आम बगीचे के पास से 44 बोरी (1952 किलो) लकड़ी, एक पिकअप और दो साइकिल बरामद की। एक युवक राजकुमार को पकड़ा गया, जबकि उसका साथी फरार हो गया। वहीं दो दिन पहले भी इसी इलाके से 52 बोरी लकड़ी और एक पिकअप पकड़ी गई थी।
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पकड़े गए युवक ने बताया कि नेपाल से बोरी में लकड़ी ढोने पर प्रति बोरी 30 रुपये दिए जाते हैं। लकड़ी को सीमावर्ती इलाकों में पहुंचाने के बाद पिकअप गाड़ियों में लादकर अयोध्या, लखनऊ, गोरखपुर और आसपास के बड़े शहरों में भेजा जाता है, जहां इसकी बड़ी मांग है।
66वीं वाहिनी के कार्यवाहक कमांडेंट बिप्लव दौलागजाऊ ने बताया कि लगातार बढ़ती बरामदगी यह साबित करती है कि सीमा पर एक बड़ा तस्करी सिंडिकेट सक्रिय है। एसएसबी ने सीमा चौकसी और रात्री गश्त बढ़ा दी है, तस्करी मार्गों की पहचान कर नेटवर्क के विरुद्ध सख्त
कार्रवाई जारी रहेगी।

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