UP के बजट में गांव-किसान पर जोर... क्या हैं संकेत; योजनाओं के जरिए पकड़ मजबूत करने की कवायद
उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने बजट में गांवों और किसानों पर जोर दिया है। पंचायत चुनावों को ध्यान में रखते हुए बजट में कई योजनाओं का ऐलान किया गया है। किसानों के लिए बीज खाद सिंचाई और बाजार व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए धनराशि दी गई है। साथ ही मत्स्य पालकों और पशुपालकों का भी ध्यान रखा गया है।

दिलीप शर्मा, लखनऊ। योगी सरकार ने अपने बजट में अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव के लिए खेत तैयार कर लिया है। गांव, गरीब, किसान, महिलाओं के लिए बजट में योजनाओं रूपी उपहारों का इंतजाम कर व्यापक समर्थन के लिए खाद-बीज डाले जा चुके हैं।
अब योजनाओं का लाभ दिलाने की मुहिम के तहत सत्ताधारी भाजपा का संगठन लाभार्थियों से सतत् संपर्क कर सिंचाई के लिए पसीना बहाएगा जिससे वोटों की उपज बढ़ाकर जीत की फसल काटी जा सके।
त्रिस्तरीय पंचायतों में बढ़त तो जरूरी है ही, विधानसभा चुनावों में जीत का रास्ता भी इन्हीं पंचायतों से होकर गुजरता है। हालांकि चुनावी वेला आने से पहले योगी सरकार को एक और बजट पेश करने का अवसर मिलेगा, परंतु वह अभी से माहौल बनाए रखना चाहती है, ताकि विरोधियों की रणनीति को असफल किया जा सके।
प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत (ग्राम, क्षेत्र व जिला पंचायत) चुनाव अप्रैल 2021 में हुआ था जिसमें भाजपा को बड़ी जीत मिल थी। भाजपा जिला पंचायत अध्यक्ष के 75 में से 66 पदों पर काबिज हुई थी। सपा के लगातार कब्जे वाली कई सीटों पर भी उसको पछाड़ दिया था।

इसके बाद वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनावों में भी भाजपा ने परचम लहराया था और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में दोबारा सरकार बनी थी। भाजपा अब इसी क्रम को दोहराना चाहती है। गुरुवार को पेश किए गए बजट में योगी सरकार ने इस दिशा में कदम आगे बढ़ा दिया है।
बजट में गांवों और ग्रामीणों से जुड़ी योजनाओं पर बड़ा जोर दिया गया है। इसमें भी सबसे पहली कोशिश किसानों की नब्ज थामने की है, क्योंकि पंचायतों में अधिकांश आबादी कृषि से ही जुड़ी है।
इसके लिए बीज, खाद, सिंचाई, बाजार की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए धनराशि दी गई है। बागवानी, फसलों की उपज बढ़ाने से लेकर शिक्षा-शोध की चिंता भी शामिल है। किसानों के साथ मत्स्य पालकों, पशुपालकों का भी ध्यान रखा गया है।
| 75 में से 66 जिला पंचायतों में है भाजपा का कब्जा |
| 2026 में होंगे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव |
सरकार को दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य विकास योजना, डिजिटल लाइब्रेरी, स्टेडियम एवं ओपन जिम की व्यवस्था से ग्रामीण युवाओं का साथ मिलने की उम्मीद है। गांवों में रह रहे गरीबों के दिल में जगह बनाने के लिए पीएम आवास योजना, सीएम आवास योजना के साथ स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण और मनरेगा का सहारा लिया जाएगा।
साथ में मुख्यमंत्री पंचायत प्रोत्साहन पुरस्कार योजना, उत्सव भवन का निर्माण, अन्नपूर्णा भवन, ग्रामीण अंत्येष्टि स्थलों के विकास और पीएम ग्राम सड़क योजना से भी भाजपा को मजबूती मिलने की आस है। माना जा रहा है कि चुनाव आते-आते सरकार इस पर और आगे बढ़ेगी।
जिन योजनाओं में जरूरत पड़ेगी, उनमें अनूपूरक बजट के जरिये गति को बरकरार रखा जाएगा क्योंकि समाजवादी पार्टी और अन्य विरोधी दल भी इन्हीं वर्गों को साधने की कसरत में जुटे हैं। महिला, किसान, नौजवान, बेरोजगारी जैसे मुद्दे उठाकर भाजपा सरकार पर निशाना साधते हैं।
ऐसे में सरकार का जोर अब इन योजनाओं का लाभ धरातल पर उतारने पर रहेगा। संगठन भी लाभार्थियों से संपर्क और योजनाओं-उपलब्धियों के प्रचार की भूमिका निभाएगा, जिससे विरोधियों को अपनी जमीन पक्की करने का अवसर न मिल सके।
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