किसानों व वनवासियों को राहत देगी योगी सरकार, आंवला, चिरौंजी, महुआ व लाख के लिए जरूरी नहीं होगा ट्रांजिट परमिट
UP News आंवला का फल महुआ का फूल व बीज चिरौंजी और लाख वनोपज की श्रेणी में आते हैं। इस कारण वन क्षेत्रों के अंदर और बाहर इनकी पैदावार होने पर किसानों को अभिवहन शुल्क जमा कर ट्रांजिट परमिट लेना पड़ता है। सरकार यह शुल्क खत्म करने जा रही है।

UP News: लखनऊ, राज्य ब्यूरो। किसानों, वनवासियों और आदिवासियों को राहत देने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार आंवला के फल, महुआ के फूल व बीज, चिरौंजी और लाख को अभिवहन शुल्क से छूट देने जा रही है। यह छूट मिलने पर किसानों को इन वस्तुओं के परिवहन के लिए वन विभाग में अभिवहन शुल्क जमा कर ट्रांजिट परमिट बनवाने की जरूरत नहीं होगी। वन विभाग के इस प्रस्ताव को जल्द ही कैबिनेट से मंजूरी दिलाने की तैयारी है।
वनोपज की श्रेणी में आते हैं ये उत्पाद
आंवला का फल, महुआ का फूल व बीज, चिरौंजी और लाख वनोपज की श्रेणी में आते हैं। वनोपज की श्रेणी में आने के कारण वन क्षेत्रों के अंदर और बाहर इनकी पैदावार होने पर किसानों को अभिवहन शुल्क जमा कर ट्रांजिट परमिट लेना पड़ता है। यह शुल्क उत्तर प्रदेश इमारती लकड़ी और अन्य वन उपज का अभिवहन नियमावली, 1978 के तहत जमा किया जाता है।
40 रुपये प्रति टन की दर से अभिवहन शुल्क
आंवला और चिरौंजी के लिए वन विभाग 40 रुपये प्रति टन की दर से अभिवहन शुल्क वसूलता है। ट्रांजिट परमिट बनवाने की पेचीदगियों के अलावा इस प्रक्रिया में किसान कई बार शोषण का शिकार भी होता है। अभिवहन शुल्क से छूट मिलने पर किसान इन्हें बिना किसी रोक-टोक के बाजार में अच्छे भाव पर बेच सकेंगे। इसका एक और फायदा यह होगा कि इससे किसान वन क्षेत्रों के बाहर इन उपजों की पैदावार बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
किसानों की आय बढ़ाने पर सरकार का जोर
केंद्र और राज्य की सरकारें किसानों की आय बढ़ाने पर जोर दे रही हैं। आंवले की उपज ने प्रतापगढ़ जिले को विशिष्ट पहचान दी है। योगी सरकार आंवले से बने उत्पादों को प्रोत्साहित भी कर रही है। इसी उद्देश्य से उसने 'एक जिला, एक उत्पाद' योजना के अंतर्गत आवंला से बने उत्पादों को प्रतापगढ़ के विशिष्ट उत्पाद का दर्जा दिया है। आयुर्वेदिक उत्पादों में भी आंवले का उपयोग होता है। सूखे मेवे की श्रेणी में आने वाली चिरौंजी की उपज सोनभद्र, मीरजापुर, चंदौली, ललितपुर, झांसी व महोबा में होती है। लाख का उपयोग काष्ठ कला, फर्नीचर उद्योग और केमिकल इंडस्ट्री में होता है।
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