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    UP News: संपत्ति के ब्योरे को लेकर योगी सरकार के कड़े रुख का ‘साहबों’ पर नहीं पड़ रहा असर, अभी भी कर रहे हीला-हवाली

    UP News उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कर्मचारियों से संपत्ति का ब्यौरा मांगा था लेकिन कई कर्मचारी अभी भी इसका पालन नहीं कर रहे हैं। सरकार के कड़े रुख के बावजूद कर्मचारी हीला-हवाली कर रहे हैं। स्थिति यह है कि प्रथम व द्वितीय श्रेणी के 11112 अधिकारियों ने अब तक अपनी संपत्ति की जानकारी पोर्टल पर नहीं दी है।

    By Ajay Jaiswal Edited By: Vinay Saxena Updated: Thu, 05 Sep 2024 03:06 PM (IST)
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    उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आद‍ित्‍यनाथ।- फाइल फोटो

    अजय जायसवाल, लखनऊ। राज्यकर्मियों की चल-अचल संपत्ति का ब्योरा जुटाने को लेकर गंभीर योगी सरकार के कड़े रुख का असर ‘बड़े साहब’ से ज्यादा चतुर्थ श्रेणी कर्मियों में देखने को मिल रहा है। मानव संपदा पोर्टल पर संपत्ति की जानकारी देने में चतुर्थ श्रेणी कर्मियों से कहीं ज्यादा हीला-हवाली अन्य श्रेणी के अधिकारी-बाबू कर रहे हैं। प्रथम श्रेणी के जहां 78 प्रतिशत अधिकारियों ने ही अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया है वहीं चतुर्थ श्रेणी के 81 प्रतिशत कर्मी संपत्ति की जानकारी दे चुके हैं। राज्य में सर्वाधिक तृतीय श्रेणी के कर्मी हैं लेकिन संपत्ति बताने में वे भी चतुर्थ श्रेणी कर्मियों से पीछे हैं।

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    दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली के तहत प्रदेश के सभी श्रेणियों के 8,55,514 राज्यकर्मियों को अब अपनी चल-अचल संपत्ति का वार्षिक ब्योरा मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से देना है। वैसे तो नियमानुसार पिछले वर्ष 2023 की संपत्ति का ब्योरा इस वर्ष 31 जनवरी तक देना था लेकिन कार्मिक विभाग के तमाम आदेशों के बाद भी ज्यादातर कर्मी संपत्ति बताने के लिए आगे नहीं आए।

    ऐसे में पिछले माह सरकार ने संपत्ति न बताने वाले राज्यकर्मियों का जब अगस्त का वेतन रोकने का निर्णय किया तब कहीं 74 प्रतिशत ने अपनी संपत्ति बताई। मंगलवार को सरकार ने 31 अगस्त तक संपत्ति न बताने वाले 26 प्रतिशत राज्यकर्मियों को 30 सितंबर तक का एक और अंतिम मौका देते हुए अगस्त का वेतन तो दे दिया, लेकिन इस दरमियान जानकारी न देने वालों को सितंबर का वेतन नहीं मिलेगा।

    गौर करने की बात तो यह है कि इस संबंध में मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की ओर से स्पष्ट आदेश होने के बावजूद राज्य के वरिष्ठ अधिकारी ही अपनी चल-अचल संपत्ति बताने में हीला-हवाली कर रहे हैं। स्थिति यह है कि प्रथम व द्वितीय श्रेणी के 11,112 अधिकारियों ने अब तक अपनी संपत्ति की जानकारी पोर्टल पर नहीं दी है। इसी तरह तृतीय श्रेणी में आने वाले 1,29,790 लिपिक(बाबू), सिपाही आदि ने भी संपत्ति नहीं बताई है। चतुर्थ श्रेणी के 2.07 लाख अनुसेवक, चालक, माली, सफाईकर्मियों आदि में से 39,023 ने को अभी संपत्ति का ब्योरा पोर्टल पर देना है। पोर्टल पर 7,551 राज्यकर्मी ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी श्रेणी ही नहीं बताई है। इनमें से 2261 ने ही अपनी संपत्ति के बारे में बताया है।

    अभी 22 प्रतिशत राज्यकर्मियों ने नहीं बताई संपत्ति

    प्रदेश के 1,85,215 (22प्रतिशत) राज्यकर्मियों ने अब तक अपनी संपत्ति की जानकारी संबंधित पोर्टल पर नहीं दी है। तीन सितंबर तक 78 प्रतिशत राज्यकर्मियों द्वारा संपत्ति का ब्योरा दिया गया है। गौर करने की बात यह है कि जिन प्रमुख विभागों के ज्यादा कार्मिकों ने अब तक संपत्ति नहीं बताई है उनमें अब शिक्षा, उद्योग, राजस्व आदि हैं। बेसिक शिक्षा के 10,031 कार्मिकों में से 3622(36 प्रतिशत) ने ही अब तक संपत्ति की जानकारी दी है। इसी तरह गृह के 3,27,495 में से 2,48,311(75 प्रतिशत), उद्योग के 3190 में से 1775(55 प्रतिशत), चिकित्सा स्वास्थ्य के 78,353 में से 53,083(67 प्रतिशत), राजस्व के 64,078 में से 41,873(65 प्रतिशत) कार्मिकों ने ही संपत्ति की जानकारी दी है।

    संपत्ति बताने वाले राज्यकर्मियों का श्रेणीवार ब्योरा

    श्रेणी-  कुल राज्यकर्मी – संपत्ति बताने वाले (प्रतिशत में)

    1-        13,740 -           10,719 (78)

    2-        40,868 -           32,777 (80)

    3-        5,86,459 -         4,56,669 (78)

    4-         2,06,896 -        1,67,873 (81)

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