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    योगी आदित्यनाथ सरकार के प्रयास से लौटा सनातन का वैभव, युवाओं में काशी, मथुरा व अयोध्या का क्रेज

    By Dharmendra PandeyEdited By: Dharmendra Pandey
    Updated: Wed, 31 Dec 2025 04:15 PM (IST)

    New Celebration Destinations of UP : अयोध्या में 29-30 दिसंबर को ही भगवान श्रीराम का दर्शन करने पांच लाख से अधिक पर्यटक पहुंच चुके हैं, जबकि काशी विश् ...और पढ़ें

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    योगी आदित्यनाथ सरकार का प्रयास रंग ला रहा 

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : उत्तर प्रदेश की सभी आध्यात्मिक नगरों को संवारने के साथ ही उनकी पौराणिक महत्ता को जन-जन तक पहुंचाने का योगी आदित्यनाथ सरकार का प्रयास रंग ला रहा है।

    युवा नव वर्ष का जश्न मनाने के लिए जहां पहले पाश्चात्य संस्कृति से प्रेरित होकर डिस्को, होटल, रेस्टोरेंट और हिल स्टेशनों का रुख करता था, वहीं इस वर्ष इसमें एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है।

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासन के पौने नौ वर्षों में उत्तर प्रदेश में जिस तरह से धार्मिक और पर्यटन स्थलों का विकास हुआ है, उसका ही परिणाम है कि युवा लाखों की संख्या में काशी, मथुरा-वृंदावन और अयोध्या में नव वर्ष की शुरूआत अपने इष्ट का दर्शन-पूजन से कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश से आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की उठी यह वो लहर है, जिसमें न केवल प्रदेश बल्कि देशभर के युवा, लड़के-लड़कियां नए जोश और उत्साह के साथ सम्मिलित हो रहे हैं।

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    काशी, मथुरा, अयोध्या में लाखों की संख्या में पहुंच रहे युवा

    पर्यटन विभाग के अनुसार, इस नव वर्ष के कई दिन पहले से ही प्रदेश के प्रमुख तीर्थ स्थलों काशी, अयोध्या, मथुरा-वृंदावन और प्रयागराज में लाखों की संख्या में युवा पर्यटक पहुंच रहे हैं। अयोध्या में 29-30 दिसंबर को ही भगवान श्रीराम का दर्शन करने पांच लाख से अधिक पर्यटक पहुंच चुके हैं, जबकि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में तीन दिनों में दस लाख और मथुरा में तीन लाख से अधिक पर्यटकों ने दर्शन-पूजन किया।

    इनमें युवा पर्यटकों की संख्या सर्वाधिक है। 31 दिसंबर और एक जनवरी 2026 को और अधिक संख्या में श्रद्धालुओं के आने का अनुमान लगाया जा रहा है जिसे ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने विशेष सुरक्षा प्रबंध किए हैं, साथ ही सुविधा के लिए गाइडलाइन भी जारी की है।

    छाया हैशटैग न्यू ईयर 2026 इन अयोध्या

    नव वर्ष 2026 का जश्न धर्म स्थलों में मनाने का युवाओं का यह रुझान सोशल मीडिया पर भी दिखाई दे रहा है। जहां न्यू ईयर 2026 इन अयोध्या, न्यू ईयर 2026 इन काशी या स्पिरिचुअल न्यू ईयर जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। युवा नए साल के जश्न में इन धर्म स्थलों पर दर्शन पूजन कर, दोस्तों और परिवारजनों के साथ सेल्फी अपलोड कर रहे हैं।

    यही रुझान पिछले वर्ष प्रयागराज में आयोजित हुए दिव्य-भव्य महाकुंभ में भी देखने को मिला था, जिसमें न केवल देश बल्कि विश्व के कोने-कोने से श्रद्धालु और पर्यटकों ने आकर विश्व रिकॉर्ड कायम किया था। सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में जिस तरह से प्रदेश में धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार और सांस्कृतिक पुनरुत्थान हुआ है, उसने युवाओं के मन में आध्यात्मिक उत्साह और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की अलख जगाई है।

    इस संबंध में काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी, विश्व भूषण मिश्र का कहना है- सनातन संस्कृति उत्सव, उत्साह एवं उल्लास की आश्रयस्थली है। विश्व के समस्त उत्सव सनातन मान्यता में उत्कर्ष प्राप्त करते हैं। लोक उत्सव प्रायः तात्कालिक सत्ता के आचरण को प्रतिबिंबित करता है। अतः स्वाभाविक ही है कि वर्तमान काल में प्रत्येक पर्व पर चाहे वह भारतीय हो अथवा पश्चिम का पर्व, सनातन आस्था के केंद्रों पर श्रद्धालुओं का प्रवाह अभूतपूर्व है।

    मंदिरों और तीर्थस्थलों के पुनरुद्धार से बढ़ा पर्यटन

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से अयोध्या में भव्य राम मंदिर का उद्घाटन हुआ, वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण और मथुरा-वृंदावन, तीर्थराज प्रयागराज, विंध्याचल, नैमिषारण्य, संभल, मुजफ्फरनगर में शुक्रतीर्थ (शुक्रताल) के साथ प्रदेश के पुरातन मंदिरों का जीर्णोद्धार हुआ है।

    इससे बाद से विशेष तौर पर युवाओं में सनातन संस्कृति और अपनी परंपराओं के प्रति नई को ऊर्जा का संचार हुआ। यह स्थान पहले की सरकारों में उपेक्षा का शिकार थे। प्रमुख तीर्थों और धार्मिक स्थलों तक सड़क, रेल और हवाई कनेक्टिविटी के साथ वहां रुकने ठहरने, होटल और रेस्टोरेंट गतिविधियों का विकास हुआ है।

    यही नहीं जिस तरह से समय-समय पर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति विभाग की ओर से दिव्य-भव्य उत्सवों का आयोजन किया जाता है, उसने प्रदेश के युवाओं में सनातन संस्कृति के तीर्थों और धर्म स्थलों के प्रति आकर्षण बढ़ाया है। सीएम योगी आदित्यनाथ के इन प्रयासों ने न केवल प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा दिया है, बल्कि युवाओं को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने का अवसर भी मिला है।