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    पानी कम क्यों पी रही यूपी के इस सरकारी अस्पताल में भर्ती महिलाएं? आखिर किस बात का है डर… मरीज ने बताई हकीकत

    Updated: Mon, 10 Feb 2025 10:50 PM (IST)

    वीरांगना झलकारी बाई महिला अस्पताल में मरीजों और तीमारदारों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है जिनमें साफ-सफाई की कमी शौचालयों की दुर्दशा बेड की कमी जर्जर इमारत और पार्किंग की व्यवस्था की कमी शामिल हैं। महिला मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी शौचालयों की दुर्दशा के कारण हो रही है जिससे उन्हें पानी पीने में भी परेशानी होती है।

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    मजबूरियों के चलते एक बेड पर तीन से चार मरीज भी सामंजस्य बिठाते हैं।

    गौरी त्रिवेदी, लखनऊ। 6 दिन का शिशु अपने आंचल में दबाए सोमवती प्यासी थीं, लेकिन पानी नहीं पी रही थीं, क्योंकि उन्हें गंदे शौचालय में पेशाब जाना पड़ता था। शौचालय में गंदे खून से सने सैनेटरी पैड और उसपर दरवाजा बंद नहीं होता है। 

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    सोमवती ने कहा कि यहां सिर्फ मैं ही एक नहीं हूं जो पानी नहीं पी रही, बल्कि कई महिलाएं हैं। इतना ही नहीं, यहां ओपीडी में केवल एक शौचालय हैं, जिसमें इतनी गंदगी है कि इसमें जाने से घबराहट होने लगती है, इस डर से महिलाएं पानी कम पी रही हैं। 

    सोमवार को जब जागरण की टीम ने वीरांगना झलकारी बाई महिला अस्पताल का जायजा लिया तो कई समस्याओं पर महिलाएं मुखर हुईं।

    बेड को लेकर हो रहीं लड़ाईयां

    रकाबगंज की रहने वाली ज्ञानू कहती हैं कि कल रात को उनकी बेड को लेकर आधे घंटे लड़ाई चली। एक बेड पर दो मरीज लिटा पाना मुश्किल हो रहा था। दूसरे तीमारदार का कहना था कि उनका मरीज भी गंभीर है उसे भी भर्ती होने की जरूरत है। 

    कहा कि ओपीडी में रोजाना मरीजों की संख्या कम से कम 250 के पार होती है, जबकि बेड की संख्या 90 है। अब ऐसे में मरीजों और कर्मचारियों के बीच तनातनी होती है। मरीज पहले मैं, पहले मैं के चक्कर में झगड़ा करते हैं। 

    मजबूरियों के चलते एक बेड पर तीन से चार मरीज भी सामंजस्य बिठाते हैं। कई महिला कर्मचारियों ने बताया कि इमारत जर्जर हो चुकी है, इसमें जगह-जगह चोक हैं। इमारत कभी भी गिर सकती है। मरीजों की सुरक्षा खतरे में है।

    चरमरा रही पार्किंग की व्यवस्था

    अपनी पत्नी को लेकर आए मानिक बताते हैं कि गिरते-गिरते बचा हूं। पैर में चोट भी आ गई है। इतने बड़े अस्पताल में पार्किंग की कोई व्यवस्था न नहीं है। आधी सड़क पर गाड़ियां खड़ी रहती हैं। बड़ी संख्या में रोजाना दुर्घटनाएं हो रही हैं। 200 मीटर पर विधानसभा है फिर भी हालात सुधर नहीं रहे हैं। गली में स्कूटी खड़ी करो तो दलाल परेशान करते हैं।

    रोज करीब 10 से 20 मरीज भर्ती होते हैं, इन दिनों बेड की दिक्कत नहीं होती है, बल्कि जुलाई अगस्त में होती है। शौचालय बंद होने की वजह पता करवाती हूं। हर एक घंटे पर शौचालय को साफ करने की हिदायत दी गई है। बाकी पार्किंग की दिक्कत यहां सदियों पुरानी है।

    -डाॅ. रंजना खरे, सीएमएस

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