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    शिक्षामित्रों के प्रदर्शन और स्कूलबंदी पर शासन सख्त, सघन चेकिंग

    By Nawal MishraEdited By:
    Updated: Sat, 29 Jul 2017 07:40 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों के प्रदर्शन और तोडफ़ोड़ की घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाने के निर्देश हैं। वीडियोग्राफी कराने के लिए कहा गया है। ...और पढ़ें

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    शिक्षामित्रों के प्रदर्शन और स्कूलबंदी पर शासन सख्त, सघन चेकिंग

    लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में शिक्षामित्रों के प्रदर्शन और तोडफ़ोड़ की घटनाओं को शासन ने गंभीरता से लिया है। आज सड़कों पर जगह जगह सख्ती, वाहन चेकिंग दिखाई दी। हर संदिग्ध शिक्षामित्र को रोककर पूछतांछ की गई। उल्लेखनीय है कि अदालत से समायोजन रद होने को लेकर शिक्षामित्र आंदोलित है। उन्होंने जिले जिले जबरदस्त आंदोलन छेड़ रखा है। इस दौरान धरना, प्रदर्शन, जाम, तोड़फोड़, नारेबाजी, अनशन औऱ अन्य झड़पें के बीच गिरफ्तारियां जारी हैं। कई जिलों में स्थाई जेल बनाना पड़ा है।

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    तस्वीरों में देखें-आंदोलन की हदों की ओर जाते शिक्षामित्र

    बहिष्कार, तालाबंदी और तोडफ़ोड़ उचित नहीं 

    दरअसल अपर मुख्य सचिव राजप्रताप सिंह ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाने के निर्देश दे रखे हैं। उन्होंने घटनाओं की वीडियोग्राफी कराने के लिए भी कहा है। अपर मुख्य सचिव ने पत्र के साथ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अंश भी भेजें और कहा कि कार्य बहिष्कार, तालाबंदी और तोडफ़ोड़ किसी भी ढंग से उचित नहीं है। जिलाधिकारी अपने स्तर से शिक्षामित्रों के प्रतिनिधियों से वार्ता करके उन्हें स्कूलों में जाने के लिए प्रेरित करें। सभी घटनाओं की वीडियोग्राफी कराई जाए और ऐसे लोगों को चिह्नित किया जाए जो पठन-पाठन में व्यवधान उत्पन्न कर रहे हैं।

     

    शिक्षामित्रों से पूरी सहानुभूति

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन में कहा था कि सरकार की शिक्षामित्रों से पूरी सहानुभूति है। शिक्षामित्र वोट की राजनीति करने वालों के बहकावे में न आएं। सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले की समीक्षा कर रही है। शिक्षामित्रों की समस्या का निवारण करने के लिए तर्कसंगत, विधिसम्मत रास्ता तलाशा जा रहा है। उन्होंने शिक्षामित्रों से हिंसा, आगजनी और प्रदर्शन न कर विद्यालयों में पढ़ाने की अपील की है। 

    तस्वीरों में देखें-आंदोलन की हदों की ओर जाते शिक्षामित्र

     

    समायोजन की प्रक्रिया में ही गड़बड़ी 

    मुख्यमंत्री ने शिक्षामित्रों का समायोजन रद होने का ठीकरा सपा सरकार पर फोड़ा और कहा कि समायोजन की प्रक्रिया में ही गड़बड़ी थी। इसी वजह से पहले हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने समायोजन को रद कर दिया। मुख्यमंत्री ने शिक्षामित्रों से अपील कि वे संघर्ष का रास्ता छोड़़कर संवाद का माध्यम अपनाएं। स्कूलों में जाकर पढ़ाएं और अपना प्रतिवेदन प्रतिनिधियों के माध्यम से अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा राज प्रताप सिंह के पास भेजें।

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    संघर्ष नहीं संवाद से चलता लोकतंत्र 

    मुख्यमंत्री ने कहा था कि जब सरकार शिक्षामित्रों के फैसले को लेकर संजीदा है तो सड़कों पर प्रदर्शन, आगजनी, तोडफ़ोड़ नहीं होना चाहिए। लोकतंत्र संघर्ष से नहीं, संवाद और सहमति से चलता है। सरकार शिक्षामित्रों की समस्या के समाधान के लिए हर विकल्प पर विचार कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि हिंसा होगी तो सरकार को मजबूरी में कड़े कदम उठाने होंगे। ऐसे हालात न पैदा हों जिससे कि शिक्षामित्रों के लिए अप्रिय स्थिति पैदा हो। वहीं उन्होंने विपक्ष को भी आगाह किया कि सरकार उसकी धमकी से दबाव में आने वाली नहीं।