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    यूपी में कारोबारियों को इस योजना के तहत GST ब्याज और पेनाल्टी में मिल रही भारी छूट... आप भी उठाएं लाभ

    Updated: Wed, 05 Feb 2025 09:25 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश में (GST) जीएसटी जमा न करने पर लगे जुर्माने और ब्याज को माफ करने की सरकारी योजना से प्रदेश के 35680 से अधिक व्यापारियों ने लाभ उठाया है। इस योजना से अब तक सरकारी खजाने में 550 करोड़ रुपये जमा हुए हैं। यह योजना 31 मार्च तक लागू रहेगी। 20 जोन में से गौतमबुद्ध नगर में सबसे अधिक 141 करोड़ रुपये का राजस्व विभाग को प्राप्त हुआ है।

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    GST पेनाल्टी माफी योजना से व्यापारियों को बड़ी राहत। (तस्वीर जागरण)

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। जीएसटी जमा न करने के कारण लगे अर्थदंड और ब्याज को माफ करने के लिए सरकार की ओर से लागू की गई योजना व्यापारियों को बड़ी राहत दे रही है। पांच फरवरी तक इस योजना का लाभ प्रदेश के 35,680 व्यापारियों ने उठाया है।

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    इससे सरकारी खजाने में 550 करोड़ रुपये जमा हुए हैं। यह योजना 31 मार्च तक लागू रहेगी। प्रमुख सचिव राज्य कर एम. देवराज ने बताया कि उत्तर प्रदेश के व्यापारियों व सेवा प्रदाताओं को ब्याज में छूट देने संबंधी प्रावधान के तहत वर्ष 2017-2018, 2018-19 व 2019-2020 का जीएसटी जमा करने पर ब्याज और अर्थदंड माफ किया जा रहा है।

    35 हजार से ज्यादा व्यापारियों ने उठाया लाभ

    इस योजना का लाभ इन तीन वर्षों में कर जमा न करने वाले 35,680 व्यापारियों ने उठाया है। प्रदेश के कुल 20 जोन में से गौतमबुद्ध नगर में सबसे अधिक 141 करोड़ रुपये का राजस्व विभाग को प्राप्त हुआ है। इसके अलावा वाराणसी जोन-1 से लगभग 18 करोड़ रुपये, जोन-2 से लगभग 16 करोड़ रुपये, गोरखपुर जोन से 29 करोड़ रुपये, लखनऊ जोन-1 से 22 करोड़ रुपये, लखनऊ जोन-2 से 81 करोड़ रुपये, गाजियाबाद जोन-1 से 53 करोड़ रुपये व जोन-2 से करीब 21 करोड़ का राजस्व प्राप्त किया गया है।

    प्रमुख सचिव ने सभी करदाताओं से भारत सरकार की इस योजना का लाभ तत्काल लेने का आग्रह किया है। करदाता इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए राज्य कर विभाग के स्थानीय अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं।

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    नागालैंड के बाद यूपी के ग्रामीणों को मिल रही सबसे कम बिजली

    राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में देश के अन्य राज्यों से कम बिजली दिए जाने का मुद्दा उठाया है। उन्होंने उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन तथा प्रदेश सरकार से मांग की है कि बिजली कंपनियों के निजीकरण की प्रक्रिया को छोड़ पहले ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ताओं को अन्य राज्यों की तरह भरपूर बिजली देने का काम करें।

    नागालैंड को छोड़ दिया जाए तो उत्तर प्रदेश ग्रामीणों को सबसे कम बिजली दे रहा है। पड़ोसी राज्य बिहार से भी कम बिजली राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों को दी जा रही है।

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