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    UPPCL: बस इतने घंटे! नागालैंड के बाद यूपी के ग्रामीणों को मिल रही सबसे कम बिजली

    By Jagran NewsEdited By: Aysha Sheikh
    Updated: Wed, 05 Feb 2025 09:00 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों को अन्य राज्यों की तुलना में कम बिजली मिलने का मुद्दा उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने उठाया। उन्होंने पावर कारपोरेशन व सरकार से ग्रामीण उपभोक्ताओं को भरपूर बिजली देने की मांग की। देश में औसतन 21-23 घंटे बिजली मिलती है जबकि यूपी में यह 18.1 घंटे है। उन्होंने बिजली कंपनियों को सुधार की जरूरत बताई और निजीकरण रोकने की सलाह दी।

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    नागालैंड के बाद यूपी के ग्रामीणों को मिल रही सबसे कम बिजली - प्रतीकात्मक तस्वीर।

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में देश के अन्य राज्यों से कम बिजली दिए जाने का मुद्दा उठाया है। उन्होंने उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन तथा प्रदेश सरकार से मांग की है कि बिजली कंपनियों के निजीकरण की प्रक्रिया को छोड़ पहले ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ताओं को अन्य राज्यों की तरह भरपूर बिजली देने का काम करें।

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    नागालैंड को छोड़ दिया जाए तो उत्तर प्रदेश ग्रामीणों को सबसे कम बिजली दे रहा है। पड़ोसी राज्य बिहार से भी कम बिजली राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों को दी जा रही है।

    उन्होंने कहा है कि ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार का कानून कहता है कि सभी राज्यों में कृषि फीडर को छोड़कर शहरी और ग्रामीण के सभी उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली मिलनी चाहिए। नागालैंड को छोड़ दिया जाए तो दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश ही ऐसा राज्य है जो अपने ग्रामीण उपभोक्ताओं को सबसे कम बिजली दे रहा है।

    पावर कारपोरेशन प्रबंधन इस बात के लिए माफी मांगे कि देश में कंज्यूमर राइट रूल-2020 लागू होने के बाद से आज तक ग्रामीण उपभोक्ताओं के साथ न्याय नहीं किया गया। भरपूर बिजली देना दूर की बात रही राज्य के ग्रामीण उपभोक्ताओं की बिजली दरों में बढ़ोत्तरी की कोशिशें की जा रही हैं।

    अवधेश वर्मा ने ये आरोप तीन फरवरी 2025 को राज्यसभा के पटल पर रखे गए ग्रामीण क्षेत्र में बिजली आपूर्ति के आंकड़ों के हवाले से लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि देश में सिर्फ उत्तर प्रदेश ही ऐसा राज्य है जहां आज भी बिजली सप्लाई में रोस्टर व्यवस्था लागू है जबकि कंज्यूमर राइट रूल के मुताबिक सभी राज्यों में रोस्टर व्यवस्था समाप्त है।

    उन्होंने बताया है कि देश के दूसरे राज्य ग्रामीण क्षेत्रों में औसतन 21 से 23 घंटे बिेत्जली की सप्लाई प्रतिदिन कर रहे हैं। वहीं उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में औसतन 18 घंटे बिजली की सप्लाई प्रतिदिन की जा रही है। यह आंकड़ें मार्च 2024 तक के हैं।

    उन्होंने कहा है कि यह रिपोर्ट काफी चौंकाने वाली है ऐसे में राज्य में बिजली कंपनियों को युद्धस्तर पर अपने सिस्टम को सही करने और बिजली की उपलब्धता बढाने की दिशा में काम करना होगा।

    देश के प्रमुख राज्यों में वर्ष 2023 -24 में ग्रामीण क्षेत्रों में औसत दैनिक विद्युत आपूर्ति (घंटों में)

    • नागालैंड में ग्रामीण दैनिक बिजली आपूर्ति 18 घंटे और  शहरी दैनिक बिजली आपूर्ति  20 घंटे है।
    • उत्तर प्रदेश में  ग्रामीण दैनिक बिजली आपूर्ति 18.1 घंटे और शहरी दैनिक बिजली आपूर्ति 23.4 घंटे है।
    • बिहार में ग्रामीण दैनिक बिजली आपूर्ति 22.2 घंटे और  शहरी दैनिक बिजली आपूर्ति  23.6 घंटे है।
    • उत्तराखंड में  ग्रामीण दैनिक बिजली आपूर्ति 21.4 घंटे और  शहरी दैनिक बिजली आपूर्ति  23.7 घंटे है।
    • मध्य प्रदेश में ग्रामीण दैनिक बिजली आपूर्ति 22.6 घंटे और  शहरी दैनिक बिजली आपूर्ति  23.8 घंटे है।
    • राजस्थान में  ग्रामीण दैनिक बिजली आपूर्ति 21.7 घंटे और  शहरी दैनिक बिजली आपूर्ति  23.9 घंटे है।
    • गुजरात  में ग्रामीण दैनिक बिजली आपूर्ति 23.7 घंटे और शहरी दैनिक बिजली आपूर्ति 23.9 घंटे है।