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    यूपी में बिजली दरों में हो सकता है बड़ा बदलाव, UPPCL ने दिए बस 2 ऑप्शन और कहा- कोई और चारा नहीं

    Updated: Fri, 25 Jul 2025 09:40 PM (IST)

    लखनऊ में राज्य सलाहकार समिति की बैठक में बिजली कंपनियों ने दरें बढ़ाने का प्रस्ताव रखा जिसका विरोध हुआ। सदस्यों ने 45% तक दरें घटाने की मांग की निजीकरण का विरोध किया। मेट्रो ने भी वृद्धि का विरोध किया। उपभोक्ता परिषद ने स्मार्ट मीटर का खर्च उपभोक्ताओं पर डालने का विरोध किया। नियामक आयोग जल्द ही बिजली दरों पर फैसला लेगा।

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    पावर कारपोरेशन ने कहा बिजली दरें बढ़ाएं या सरकार सब्सिडी दे

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में आयोजित राज्य सलाहकार समिति की बैठक में पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने बिजली दरें बढ़ाने की जोरदार पैरवी की। प्रबंधन ने कहा कि या तो बिजली दरें बढ़ाई जाएं अन्यथा सरकार सब्सिडी दे, कोई और चारा नहीं है। प्रबंधन के इस प्रस्ताव का मौके पर ही विरोध हुआ।

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    विरोध में तीन सदस्यों ने सामूहिक रूप से बिजली दरों में 45 प्रतिशत कमी लाने का प्रस्ताव पेश किया। इस बैठक के साथ ही नियामक आयोग द्वारा 2025-26 के लिए बिजली दरों पर की जा रही सुनवाई की प्रक्रिया पूरी हो गई। माना जा रहा है कि अगस्त के पहले सप्ताह में आयोग बिजली दरें घोषित कर सकता है।

    शुक्रवार को आयोजित इस बैठक में पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार ने बिजली दरों में वृद्धि क्यों हो इसे विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि पिछले पांच सालों से बिजली दरों में कोई वृद्धि नहीं हुई है। उन्होंने स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर होने वाले खर्च को भी उपभोक्ताओं से वसूले जाने की बात कही। बता दें कि बिजली कंपनियों ने बिजली दरों में 45 प्रतिशत तक वृद्धि प्रस्तावित किया है।

    वहीं बिजली दरों में वृद्धि का विरोध करने वाले सदस्यों ने तर्क दिया कि उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33,122 करोड़ रुपये निकल रहे हैं इसके एवज में बिजली दरें 45 प्रतिशत कम की जाएं या अगले पांच वर्षों तक नौ प्रतिशत कम की जाएं।

    प्रस्ताव में बिजली कंपनियों के निजीकरण के प्रस्ताव को गलत बताते हुए इसे निरस्त किए जाने की मांग भी शामिल की गई है। राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा, दीपा जैन तथा डा. भारत राज सिंह ने संयुक्त रूप से बिजली दरें कम करने का प्रस्ताव पेश किया।

    मेट्रो कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक सुशील कुमार ने भी बिजली दरों में बढ़ोतरी का विरोध किया। उन्होंने कहा कि मेट्रो को कोई भी सब्सिडी नहीं मिलती यदि दरों में बढ़ोतरी होगी तो मेट्रो कारपोरेशन बंदी के कगार पर पहुंच जाएगा। इंडियन इंडस्ट्री एसोसिएशन के प्रतिनिधि ने भी दरों में वृद्धि का विरोध किया।

    बैठक की अध्यक्षता नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार ने की। जिसमें आयोग के सदस्य संजय कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव ऊर्जा नरेंद्र भूषण, पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार, मध्यांचल की प्रबंध निदेशक रिया केजरीवाल के साथ ही अन्य विभागों के उच्चाधिकारी, उपभोक्ता परिषद तथा औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

    स्मार्ट प्रीपेड मीटर का खर्च उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जा सकता

    पावर कारपोरेशन प्रबंधन की बिजली दरें बढ़ाने के लिए दी गईं दलीलों का उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विरोध किया। उन्होंने कहा कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर का खर्च उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जा सकता है।

    स्मार्ट मीटर की खरीद के लिए पावर कारपोरेशन ने 18,885 करोड़ रुपयेय का टेंडर 27,342 करोड़ रुपये में दिया। उस समय क्यों नहीं सोचा गया कि यह पैसा कहां से आएगा।

    उपभोक्ता परिषद ने मल्टी स्टोरी बिल्डिंगों के उपभोक्ताओं का बिल्डरों द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न को समाप्त करते हुए घरों के अंदर छोटी दुकानें खोलकर जीविका चलाने वालों को घरेलू विधा की बिजली का उपयोग करने देने की मांग की।

    स्मार्ट प्री पेड मीटर लगाने वालों को बिल में पांच प्रतिशत छूट देने की मांग भी की। उन्होंने नोएडा पावर कंपनी में लागू 10 प्रतिशत बिजली दरों में कमी के प्रस्ताव को आगे भी जारी रखने की पैरवी की।