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    UPPCL Privatisation : बिजली विभाग के निजीकरण के प्रस्ताव को खारिज करने की मांग

    Updated: Thu, 31 Jul 2025 12:03 PM (IST)

    Privatization of Electricity Department राज्य सलाहकार समिति के सदस्य व परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बुधवार को कहा कि नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) ने भी निजीकरण पर कई सवाल उठा दिए हैं। ऐसे में आयोग को रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत निजीकरण के प्रस्ताव को खारिज करने की सलाह सरकार को भेजना चाहिए।

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    बिजली विभाग के निजीकरण के प्रस्ताव को खारिज करने की मांग

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग से बिजली विभाग के निजीकरण के प्रस्ताव को खारिज करने की सलाह सरकार को देने की मांग की है। परिषद ने आयोग में लोक महत्व का प्रस्ताव दाखिल करते हुए कहा है कि पूरे प्रदेश में निजीकरण और बिजली दर बढ़ोतरी का विरोध का मुद्दा ही छाया रहा है। ऊर्जा मंत्री ने भी निजीकरण से अपना पल्ला झाड़ लिया है। निजीकरण का पूरा प्रस्ताव एनर्जी टास्क फोर्स तैयार कर रही है। इसका मतलब दाल में कुछ काला है।

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    राज्य सलाहकार समिति के सदस्य व परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बुधवार को कहा कि नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) ने भी निजीकरण पर कई सवाल उठा दिए हैं। ऐसे में आयोग को रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत निजीकरण के प्रस्ताव को खारिज करने की सलाह सरकार को भेजना चाहिए। असंवैधानिक रूप से नियुक्त कंसल्टेंट ग्रांट थार्नटन लगातार आयोग द्वारा निकाली गई कमियों पर अपना जवाब सही करने के लिए बार-बार मसौदा कार्मिकों को दिखा रहा है। ये रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के खिलाफ है। कमियों पर उसे जो भी कहना है लिखित में दाखिल करना चाहिए।

    उपभोक्ता परिषद ने कहा कि अडानी द्वारा नोएडा व गाजियाबाद के पैरलल लाइसेंस के संबंध में जो भी मानक तय किए हैं, उसे ही निजीकरण की वर्तमान प्रक्रिया में कानूनन शामिल किया जाना चाहिए। उसके विपरीत कोई भी निर्णय उद्योगपतियों को लाभ पहुंचने वाला साबित होगा।

    परिषद ने 44094 करोड़ रुपये की विद्युत सुधार योजना सभी बिजली कंपनियों में लागू करने की सहमति पर सवाल उठाया है। उसका कहना है कि इस योजना का लगभग 16 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा दक्षिणांचल व पूर्वाचल में खर्च हो रहा है। ऐसे में सुधार करके निजीकरण करना सरकारी धन का दुरुपयोग है। ये बड़े भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगा। ऐसे में भी निजीकरण का प्रस्ताव स्वीकार करने योग्य नहीं है।