Privatisation of UPPCL: बिजली कर्मियों को ऊर्जा मंत्री पर भरोसा नहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से विभाग संभालने की मांग
UPPCL समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि देश में सर्वाधिक विद्युत आपूर्ति का रिकॉर्ड बनाने वाले प्रदेश के ऊर्जा निगमों को बेवजह बदनाम किया जा रहा है। ऊर्जा विभाग में शीर्ष पदों पर बैठे लोग सांविधानिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए वितरण निगमों को असफल बता रहे हैं। इसके पीछे मूल कारण निजीकरण है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : बिजली अभियंताओं और कर्मचारियों ने ऊर्जा मंत्री एके शर्मा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने मंत्री पर भरोसा तोड़ने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री से अपील की है कि वह स्वयं विभाग की कमान संभालें। कर्मियों का कहना है कि अगर निजीकरण का प्रस्ताव रद कर दिया जाए तो पूरे जोश और समर्पण से राज्य की बिजली व्यवस्था को सुदृढ़ बना सकते हैं।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की बैठक रविवार को फील्ड हास्टल में हुई। इसमें अब तक चले आंदोलनों की समीक्षा करते हुए निर्णय लिया गया है कि निजीकरण के प्रस्ताव का विरोध और तेज किया जाएगा। साथ ही एक प्रस्ताव पारित कर मुख्यमंत्री से आग्रह किया गया कि ऊर्जा विभाग को निजी हाथों में सौंपने का विचार त्याग दें। यदि निजीकरण रोका गया, तो वे उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं देने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि देश में सर्वाधिक विद्युत आपूर्ति का रिकॉर्ड बनाने वाले प्रदेश के ऊर्जा निगमों को बेवजह बदनाम किया जा रहा है। ऊर्जा विभाग में शीर्ष पदों पर बैठे लोग सांविधानिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए वितरण निगमों को असफल बता रहे हैं। इसके पीछे मूल कारण निजीकरण है। ऐसे लोगों को खुद त्यागपत्र दे देना चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाया कि संघर्ष समिति के साथ लिखित समझौता कर ऊर्जा मंत्री एके शर्मा मुकर चुके हैं। वह बिजली कर्मियों का विश्वास पहले ही खो चुके हैं। अब ऊर्जा मंत्री और पावर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष के बीच घमासान है। उन दोनों की लड़ाई में आम जनता पिस रही है। जनता को बचाने के लिए मुख्यमंत्री आगे आएं।
पदाधिकारियों ने मंत्री पर लगाए गंभीर आरोप
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने ऊर्जा मंत्री एके शर्मा पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह न सिर्फ कर्मचारियों से किए समझौतों से मुकर गए हैं, बल्कि विभाग के भीतर अव्यवस्था को और गहरा कर रहे हैं।
उनका कहना है कि प्रदेश कि जिसने देशभर में सर्वाधिक विद्युत आपूर्ति का रिकार्ड बनाया, उसके वितरण निगमों को नाकाम साबित करने की कोशिश की जा रही है। शीर्ष पदों पर बैठे कुछ अधिकारी निजीकरण के पक्ष में माहौल बनाकर विभाग को बदनाम कर रहे हैं। अगर वास्तव में विभाग को बेहतर करना है, तो पहले उन अफसरों को हटाना होगा जो निजी कंपनियों के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं।
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