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    UPPCL: बिजली आपूर्ति के निजीकरण में हटाए जाएंगे संविदाकर्मी? व‍िभाग ने साफ की स्‍थि‍ति

    Updated: Thu, 05 Dec 2024 11:58 AM (IST)

    कारपोरेशन प्रबंधन ने पीपीपी संबंधी आरएफपी (प्रस्ताव के लिए अनुरोध) में कार्मिकों के लिए किए गए प्रमुख प्रविधानों को साझा करते हुए कहा है कि कार्मिकों के सभी तरह के हितों का पूरा ध्यान रखा जाएगा। जो भी कार्मिक चाहेगा वह उसी स्थान पर रह सकेगा या पावर कारपोरेशन सहित अन्य डिस्कॉम में जाने या फिर वीआरएस लेने का उसे विकल्प मिलेगा। किसी को पदावनत नहीं किया जाएगा।

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    प्रबंधन ने पीपीपी माॉडल अपनाए जाने पर सभी कार्मिकों के हितों को सुरक्षित बताया।

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के रिफॉर्म (सुधार) प्रक्रिया को लेकर उठ रहे तमाम सवालों पर पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने एक बार फिर स्थिति स्पष्ट की है। प्रबंधन ने पीपीपी माॉडल अपनाए जाने पर सभी कार्मिकों के हितों को सुरक्षित बताते हुए कहा है कि संविदाकर्मियों को भी नहीं हटाया जाएगा। साफ किया है कि संविदा एजेंसियों के साथ किए गए अनुबंध रिफॉर्म के तहत भी बने रहेंगे।

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    कारपोरेशन प्रबंधन ने पीपीपी संबंधी आरएफपी (प्रस्ताव के लिए अनुरोध) में कार्मिकों के लिए किए गए प्रमुख प्रविधानों को साझा करते हुए कहा है कि कार्मिकों के सभी तरह के हितों का पूरा ध्यान रखा जाएगा। जो भी कार्मिक चाहेगा वह उसी स्थान पर रह सकेगा या पावर कारपोरेशन सहित अन्य डिस्कॉम में जाने या फिर वीआरएस लेने का उसे विकल्प मिलेगा। किसी को पदावनत नहीं किया जाएगा। जरूरत पड़ने पर नई प्रशासनिक इकाइयों का गठन कर उनमें कार्मिकों को समायोजित किया जाएगा या फिर पदोन्नति के लिए अस्थायी पद सृजित किए जाएंगे।

    र‍ियायती दर पर म‍िलती रहेगी ब‍िजली और च‍िकि‍त्‍सा सुव‍िधा

    सेवा शर्तों के तहत कार्मिकों को रियायती दर पर बिजली व चिकित्सा की सुविधा मिलती रहेगी। नई कंपनी में वेतन पुनरीक्षण व महंगाई भत्ते की सुविधा सेवा शर्तों के तहत मिलती रहेगी। सीपीएफ व जीपीएफ में जमा धनराशि का भुगतान भी ट्रस्ट के तहत मिलता रहेगा। पेंशन का पूरा दायित्व भी पूर्व की भांति राज्य सरकार ही उठाएगी।

    बिजली निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन अब सात द‍िसंबर को

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। दो डिस्कॉम के प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का छह दिसंबर को प्रस्तावित आंदोलन अब सात दिसंबर को होगा। छह दिसंबर को कानून व्यवस्था और संवेदनशीलता को देखते हुए समिति ने अपनी ध्यानाकर्षण सभाओं और आंदोलन की तिथि में बदलाव करने का निर्णय लिया है।

    समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि छह दिसंबर को प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति सामान्य बनाए रखने में कोई दिक्कत न हो, इस दृष्टि से बिजली के निजीकरण के विरोध में सभी जिलों और परियोजना मुख्यालय पर कार्यालय समय के बांद ध्यानाकर्षण सभाएं अब सात दिसंबर को करने का निर्णय लिया गया है। बिजली कर्मचारियों की राष्ट्रीय समन्वय समिति ने उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ की बिजली के निजीकरण के विरोध में छह दिसंबर को पूरे देश में विरोध सभाएं करने का आह्वान किया था।

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