यूपी में SIR ने तोड़ी किसकी पतवार और किसका होगा बेड़ा पार? जवाब पाने के लिए राजनीतिक दलों ने तेज की तैयारी
उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) में 2.89 करोड़ मतदाताओं के नाम कटने से राजनीतिक दलों में हलचल है। 2027 विधानसभा चुनाव से पहल ...और पढ़ें

दिलीप शर्मा, लखनऊ। वर्ष 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) में गणना प्रपत्र जमा करने की अवधि पूरी होने के बाद सामने आए आंकड़ाें ने राजनीतिक दलों की धड़कनें तेज कर दी हैं। जिन 2.89 करोड़ मतदाताओं के नाम कटने जा रहे हैं, वे किसके हैं या उनमें सबसे ज्यादा संख्या किसकी है?
इन वोटों के कम होने से चुनावी वैतरणी में किसकी नाव की पतवार टूटेगी और किसका बेड़ा पार होगा, यह प्रश्न सबके मन को मथ रहा है। 31 दिसंबर को ड्राफ्ट रोल जारी होना है, परंतु उत्तर तलाशने को सभी राजनीतिक दल अभी से आकलन में जुट गए हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिछले दिनों दिए भाजपा के वोट कटने की आशंका जताते हुए पार्टी नेताओं को सचेत किया था। ऐसे में भाजपा पर दबाव ज्यादा है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी इसी बयान के सहारे माहौल बनाने की कोशिश में है। हालांकि, सपा केवल यह सोचकर नहीं बैठेगी कि वोट भाजपा के ही कट रहे हैं, अपने मतदाताओं के नाम जुड़वाने की तैयारी की कर ली गई है।
प्रदेश में चार नवंबर को जब एसआइआर की प्रक्रिया शुरू हुई थी तब 15.44 करोड़ मतदाता थे। आयोग के अनुसार एसआइआर में 2.89 करोड़ मतदाता अनुपस्थित, स्थानांतरित, मृत व डुप्लीकेट श्रेणी के मिले हैं। बड़ी संख्या में मतदाताओं के घटने से चुनावी समीकरणों में हलचल है। 14 दिसंबर को पार्टी के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने दावा किया था कि करीब चार करोड़ मतदाता कम होने जा रहे हैं।
इनमें से 80 से 85 प्रतिशत आपका मतदाता है। कार्यकर्ताओं को पात्र लोगों के नाम मतदाता सूची में जुड़वाने के निर्देश दिए थे। ऐसे में भाजपा को ज्यादा नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है। इस आशंका को इससे भी बल मिल रहा है कि जिन जिलों में सबसे ज्यादा नाम कटने का अनुमान लगाया जा रहा है, वहां अधिकांश में भाजपा का प्रदर्शन बेहतर रहा है। हालांकि, अभी तक भाजपा ने ताजा आंकड़ों पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
वहीं सपा प्रमुख ने मुख्यमंत्री पर तंज करते हुए एक्स पर लिखा, बकौल ‘एक वर्ष शेष’ उप्र के मुख्यमंत्री जी, इसमें से 85-90 प्रतिशत उनके अपने वोटर कटे हैं। 2.89 करोड़ का अगर केवल 85 प्रतिशत भी मान लिया जाए तो उसके हिसाब से 403 सीट में से हर एक पर 61 हजार वोट का आंकड़ा आएगा। भाजपा यदि हर सीट पर औसतन इतने कम वोट पाएगी। ऐसे में वो सरकार क्या बनाएगी, दहाई का अंक भी पार नहीं कर पाएगी।
उन्होंने ब्राह्मण विधायकों की बैठक को भी इससे जोड़ते कटाक्ष किया। पार्टी सूत्राें के अनुसार सपा दो मोर्चों पर काम कर रही है। एक तरफ मुख्यमंत्री के बयान के सहारे भाजपा की हार तय होने का नैरेटिव खड़ा किया जा रहा है तो दूसरी तरफ पार्टी के 1,12,309 बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) और एसआइआर में लगे नेताओं को ड्राफ्ट रोल के अध्ययन और अपने मतदाताओं के नाम जुड़वाने के निर्देश दिए गए हैं।
वहीं बसपा ने अपने कार्यकर्ताओं को रणनीति के हिसाब से काम जारी रखने को कहा है। दूसरी तरफ कांग्रेस नाम कटने को लेकर पहले से ही भाजपा पर हमलावर है और सवाल उठा रही है कि यदि इतने मतदाता फर्जी थे तो क्या भाजपा उनके ही दम पर चुनाव जीती थी। अब प्रदेश में भी इसी संदेश को आगे बढ़ाने की तैयारी की जा रही है।
घटेंगे वोट तो बढ़ेगा वोटिंग प्रतिशत
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में 15.12 करोड़ मतदाता थे और मतदान प्रतिशत 61.03 रहा था। वहीं पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव में 15.44 करोड़ मतदाता थे और मतदान प्रतिशत 56.99 प्रतिशत रहा था। माना जा रहा है कि बड़ी संख्या में अनुपस्थित, मृतक आदि श्रेणी के मतदाताओं के नाम शामिल होने से प्रतिशत कम रहता था, अब कुल मतदाताओं की वास्तविक संख्या सामने आने की सूरत में यदि लगभग उतने ही वोट पड़ते हैं तो मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी होगी ही।

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